स्वरभानु

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चित्र:God Vishnu cut the head of Rahu with disk.jpg
समुद्र मन्थन के दौरान भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का शीश काटते भगवान विष्णु

स्वरभानु एक दानव था, जो समुद्र मंथन में असुरराज बलि की तरफ था। स्वरभानु ने छल से देवता का रूप ले कर अमृत का पान कर लिया था। जब मोहिनी रुपी भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चला कर इसका सिर काट दिया था तब तक अमृत इसके गले के नीचे चला था। इसका सिर और धड़ अमर हो गए और सिर राहु नाम का ग्रह और धड़ केतु ग्रह बना।[१][२] स्वरभानु महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी दनु का पुत्र था। स्वरभानु के अन्य भाई हयग्रीव , नमुचि , शुम्भ निशुम्भ , रंभ , करंभ और वप्रीचिति थे |

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite book

विस्तृत पठन

  • J. Sarat Chander : "Ketu and its Forms". 2000.
  • Sukumari Bhattacharji : The Indian Theogony. Cambridge University Press, 1970.
  • John E. Mitchiner : Traditions of the Seven Rishis. Motilal Banarsidass, Delhi, 1982.