रामायण (टीवी धारावाहिक)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
रामायण
चित्र:रामायण पोस्टर.jpg
रामायण प्रचार पोस्टर
प्रारूप धार्मिक
सर्जनकर्ता रामानन्द सागर
अभिनय अरुण गोविल
दीपिका
सुनील लहरी
संजय जोग
अरविन्द त्रिवेदी
दारा सिंह
विजय अरोड़ा
समीर राजदा
मुलराज राजदा
ललिता पवार
मूल देश साँचा:flag/core
भाषा(एं) हिन्दी
अंक संख्या ७८
निर्माण
प्रसारण अवधि ३५ मिनट
प्रसारण
मूल चैनल दूरदर्शन
मूल प्रसारण २५ जनवरी १९८७ – ३१ जुलाई १९८८
समय-चक्र
पश्चातवर्ती लव कुश

रामायण एक बहुत ही सफल भारतीय टीवी शृंखला है, जिसका निर्माण, लेखन और निर्देशन रामानन्द सागर के द्वारा किया गया था। 78-कड़ियों (एपिसोड) के इस धारावाहिक का मूल प्रसारण दूरदर्शन पर 24 जनवरी 1987 से 31 जुलाई 1988 तक रविवार के दिन सुबह 9:30 बजे किया गया।

यह एक प्राचीन भारतीय धर्मग्रन्थ रामायण का टीवी रूपान्तरण है और मुख्यतः वाल्मीकि रामायण और तुलसीदासजी के रामचरितमानस पर आधारित है। इसका कुछ भाग कम्बन की कम्बरामायण और अन्य कार्यों से लिया गया है।

28 मार्च 2020 से दूरदर्शन चैनल पर रामायण कार्यक्रम का पुनः प्रसारण हुआ है। जब देश में कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन घोषित हुआ है। । रामायण कार्यक्रम को एक बार फिर दूरदर्शन चैनल पर सर्वाधिक दर्शक रेटिंग मिली, जैसा कि ब्यूरो की प्रेस सूचना द्वारा बताया गया है।[१]

कलाकार

अभिनेता/अभिनेत्री पात्र
अरुण गोविल श्रीराम
दीपिका सीता
सुनील लहरी लक्ष्मण
संजय जोग भरत
समीर राजदा शत्रुघ्न
दारा सिंह हनुमान
बाल धुरी दशरथ
जयश्री गडकर कौशल्या
रजनीबाला सुमित्रा
पद्मा खन्ना कैकयी
ललिता पवार मन्थरा
अरविन्द त्रिवेदी रावण
विजय अरोड़ा इन्द्रजीत
मुलराज राजदा जनक
अपराजिता भूषण मंदोदरी
सुधीर दळवी वशिष्ठ
चंद्रशेखर सुमन्त्र
भूषण लकांद्री विष्णु

लोकप्रियता और प्रभाव

अपने मूल प्रसारण के दौरान, रामायण अप्रत्याशित रूप से लोकप्रिय था, जिसके लगभग 10 करोड़ दर्शक थे। प्रारम्भ में कुछ कम लोकप्रियता के साथ बाद में इस धारावाहिक की लोकप्रियता उस स्तर तक पहुँच गई जहाँ पर सम्पूर्ण भारत एक आभासी ठहराव में आ जाता था और प्रत्येक व्यक्ति जिसकी टीवी तक पहुँच थी, अपना सब कामकाज छोड़कर इस धारावाहिक को देखने के लिए रुक जाता था। इस दृग्विषय को जिसे समाचारपत्रिका इण्डिया टुडे ने "रामायण फ़ीवर" का नाम दिया, सभी धार्मिक क्रियाकलापों (हिन्दू और अहिन्दू) को पुनर्नियत किया गया ताकी लोग इस धारावाहिक को देख सकें; रेलगाडियाँ, बसें और नगर-भीतरीय ट्रक इत्यादि इस धारावाहिक के प्रसारण के दौरान रुक जाते थे; और ग्रामों में बड़ी संख्या में लोग एक टीवी के सामने इसे देखने के लिए एकत्रित होते थे।

विश्व कीर्तिमान

इसके प्रसारण के दौरान, रामायण, भारत और विश्व टेलिविज़न इतिहास में सबसे अधिक देखा जाने वाला कार्यक्रम बन गया और बी आर चोपड़ा के 1989 महाभारत का प्रसारण होने तक तथा 1993-1996 के कृष्णा (टीवी धारावाहिक) तक यह खिताब इसके पास ही रहा। बाद में रामायण के पुनः प्रसारण और वीडियों प्रोडक्शन के कारण इसने फिर लोकप्रियता प्राप्त की। लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में जून 2003 तक यह "विश्व के सर्वाधिक देखे जाने वाले पौराणिक धारावाहिक" के रूप में सूचीबद्ध था।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

यूट्यूब

यूट्यूब पर वर्तमान में यह हिंदी, तमिल, तेलुगु, बंगला, मराठी भाषाओं में उपलब्ध है

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]