कृष्णा (टीवी धारावाहिक)
श्रीकृष्णा | |
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प्रारूप | धार्मिक |
सर्जनकर्ता | रामानंद सागर |
निर्देशित |
रामानन्द सागर मोती सागर आनंद सागर |
अभिनय |
सर्वदमन बनर्जी स्वप्निल जोशी पिंकी पारिख संदीप मोहन दीपक देउलकर रेशमा मोदी अशोक कुमार बालकृष्णन |
मूल देश | साँचा:flag/core |
भाषा(एं) |
हिंदी तमिल तेलुगु |
अंक संख्या | 221 |
निर्माण | |
निर्माता |
रामानन्द सागर सुभाष सागर प्रेम सागर |
कैमरा | अविनाश सतोस्कर |
प्रसारण अवधि | 45 मिनट |
निर्माताकंपनी | सागर फिल्मस |
प्रसारण | |
मूल चैनल | डीडी नेशनल |
कृष्णा (जिसे श्रीकृष्णा के नाम से भी जाना जाता है) रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण , हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , मार्कण्डेय पुराण आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित १९९३ को किया गया था जो १९९६ तक चला, २२१ एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर प्रसारित हुआ, रामायण (टीवी धारावाहिक) व महाभारत (टीवी धारावाहिक) के बाद इसने टी आर पी के मामले में दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी २०२० में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर १६ दिसम्बर तक किया गया, यह धारावाहिक बना तो हिंदी में था किंतु तमिल ,तेलुगु आदि भाषाओं में डब भी किया जा चुका है TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा
लोकप्रियता
- सागर आर्ट द्वारा निर्मित श्रीकृष्णा धारावाहिक ने इसके प्रसारण के दौरान रामयण व महाभारत को कमाई व TRP दोनों में पीछे कर दिया था जिसका कारण था अधिक लम्बा धारावाहिक तथा रामायण की लोकप्रियता की वजह से भी सागर आर्ट का यह सीरियल लोगों को खूब पसन्द आया क्योंकि इसकी पटकथा व संवाद रामानन्द सागर ने ही लिखे थे
- २०२० में यह सीरियल ०३ मई से बिना रुकावट(१६अक्टूबर-२७अक्टूबर तक दशहरे के दौरान छोड़कर) १६ दिसम्बर तक निरन्तर चला
- सबसे अधिक देखे जाने वाले धारावाहिकों में TRP के अनुसार जुलाई तक यह पहले स्थान पर रहा तथा ३० sept तक दूसरे नम्बर पर रहा!
दूरदर्शन पर प्रथम प्रसारण
श्रीकृष्णा का प्रथम प्रसारण १८ जुलाई को हुआ था जिसे दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर दिखाया गया जो १९९६ तक चला बाद में बचे शेष सभी भागों को डी डी नेशनल पर दिखाया गया
भाग में दिखाया गया | दिनाँक |
०१-परीक्षित के राज्य में कलियुग का प्रारंभ | १८ जुलाई १९९३ |
०२-श्रीकृष्ण कथा का शुभारंभ |
२५ जुलाई १९९३ |
०३-कंस उग्रसेन को मारने की कोशिश करता है | ०१ अगस्त १९९३ |
०४-कंस मथुरा पर आक्रमण करता है | ०८ अगस्त १९९३ |
०५-कंस का राज्याभिषेक | १५ अगस्त १९९३ |
०६-शेषनाग का देवकी R गर्भ में समाना | २२ अगस्त १९९३ |
०७-रोहिणी गर्भधारण व नन्द-यशोदा पुत्र प्रप्ति यज्ञ | २९ अगस्त १९९३ |
०८-श्री हरि का देवकी के गर्भ में स्थापित होना | ०५ सितम्बर १९९३ |
०९- श्री कृष्ण जन्म बलराम जन्म |
१२ सितंबर १९९३ |
१०-कृष्ण के जन्म पर नन्द राय के घर उत्सव | १९ सितम्बर १९९३ |
११-कंस का सभी नवजात शिशुओं को मारना वसुदेव देवकी को कंस द्वारा मुक्त किया जाता है |
२६ सितम्बर १९९३ |
१२-श्री कृष्ण द्वारा पूतना वध | ०३ अक्टूबर १९९३ |
१३-श्रीकृष्ण ने श्रीधर को किया अपंग | १० अक्टूबर १९९३ |
१४-उत्करच का वध बलराम का नामकरण |
१७ अक्टूबर १९९३ |
१५-श्रीकृष्ण का नामकरण वसुदेव को कंस का बुलावा |
२४ अक्टूबर १९९३ |
१६-कंस वसुदेव-देवकी को पुनः कारागृह में डाल देता है | ३१ अक्टूबर १९९३ |
१७-तृणावर्त वध भगवान शिव गोकुल आये दर्शन को |
०७ नवम्बर १९९३ |
१८-श्रीकृष्ण व भोलेनाथ का मिलन श्रीकृष्ण माखन लीला |
१४ नवम्बर १९९३ |
१९-श्रीकृष्ण मिट्टी खाते हैं मैया यशोदा को श्रीकृष्ण अपने मुंह में सारी सृष्टि दिखाते हैं |
२१ नवम्बर १९९३ |
२०-कान्हा द्वारा गोकुल के ग्वालों के साथ माखन चोरी | २८ नवम्बर १९९३ |
२१-कन्हैया को मटकी तोड़ने की सजा कृष्ण व राधा प्रथम मिलन |
०५ दिसम्बर १९९३ |
२२-गोपियों के चीर चुराना,उन्हैं नग्न होकर न नहाने की सलाह, गोपियों के साथ सन्धि, कृष्ण और फल वाली | १२ डिसम्बर १९९३ |
२३-श्रीकृष्ण द्वारा बकासुर और अघासुर वध | १९ दिसम्बर १९९३ |
२४-कालियानाग व श्रीकृष्णा युद्ध | २६ दिसम्बर १९९३ |
२५-कृष्ण का तुलादान और गोवर्धन पूजा का आरम्भ | ०२ जनवरी १९९४ |
२६-इन्द्र का कुपित होना कृष्ण द्वारा गोवर्धन उठाकर गोकुल के लोगों की रक्षा |
०९ जनवरी १९९४ |
२७-कंस को नारद मुनि ने श्रीविष्णु की शरण में जाने की सलाह | १६ जनवरी १९९४ |
२८-ब्रज की होली व श्रीकृष्णा राधा प्रेम लीला | २३ जनवरी १९९४ |
२९-श्रीकृष्ण ने राधा का अहंकार तोड़ा | ३० जनवरी १९९४ |
३०-कृष्ण और गोपियों की रास-लीला | ०६ फरवरी १९९४ |
३१-कंस की धनुष योजना | १३ फरवरी १९९४ |
३२-कंस वसुदेव को सच न बताने की वजह से नागों के अंधे कुँए में फेंकने का निश्चय करता है | २० फरवरी १९९४ |
३३-अक्रुरजी यशोदा और नन्द से कृष्ण को मथुरा ले जाने की बात कहते हैं | २७ फरवरी १९९४ |
३४-बलराम और श्रीकृष्ण की एक साथ मथुरा जाने की तैयारी | ०६ मार्च १९९४ |
३५-राधा ने कृष्ण को मथुरा जाने से रोका | १३ मार्च १९९४ |
३६-अक्रूर को कृष्ण अपने वास्तविक रूप को दिखाते हैं | २० मार्च १९९४ |
३७-श्रीकृष्ण ने कुब्जा को सुंदर बनाया | २७ मार्च १९९४ |
३८-श्रीकृष्ण द्वारा शिव धनुष भंग | ०३ अप्रैल १९९४ |
३९-श्रीकृष्ण द्वारा कंस के हाथी का वध कंस के पहलवानों के साथ कृष्ण व बलराम का मल्लयुद्ध |
१० अप्रैल १९९४ |
४०-कंस-वध देवकी व वसुदेव से कृष्ण मिलन |
१७ अप्रैल १९९४ |
४१-नन्दराय जी कृष्ण व बलराम से विदाई लेते हैं | २४ अप्रैल १९९४ |
४२-शिक्षा हेतु श्रीकृष्ण व बलराम सांदिपनी मुनि के आश्रम पहुंचते हैं | ०१ मई १९९४ |
४३-महर्षि सांदीपनि ने श्रीकृष्ण व बलराम को दी दीक्षा | ०८ मई १९९४ |
४४-सांदीपनि कृष्ण व बलराम को प्रह्लाद की विष्णु भक्ति की कथा व नृसिंह द्वारा हिरणकश्यप के उद्धार की कथा सुनाते हैं | १५ मई १९९४ |
४५-ऋषि सांदीपनि ने सुनाई मत्स्य अवतार और समुद्र मंथन की कथा | २२ मई १९९४ |
४६-सांदीपनि मुनि द्वारा समुद्र मंथन व विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनाई जाती है | २९ मई १९९४ |
४७-सांदीपनि ने सुनाई राम अवतार में राम के जन्म की कथा | ०५ जून १९९४ |
४८-सांदीपनि द्वारा श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाई जाती है | १२ जून १९९४ |
४९-सांदीपनि द्वारा राम के वनवास की कथा सुनाई जाती है | १९ जून १९९४ |
५०-सांदीपनि द्वारा रावण वध व प्रभु श्रीराम के परलोकगमन की कथा सुनाई गई | २६ जून १९९४ |
५१-सांदीपनि जी द्वारा कृष्ण व बलराम को योग की शिक्षा दी जाती है | ०३ जुलाई १९९४ |
५२-श्रीकृष्ण ने विष्णु रूप में सांदीपनि को दर्शन दिए | १० जुलाई १९९४ |
५३-कृष्ण द्वारा पांचजन्य वध व पुनर्दत्त की यमराज से जीवात्मा के रूप में वापसी | १७ जुलाई १९९४ |
५४-जरासन्ध द्वारा कंस के वध से प्रतिशोध की भावना में मथुरा पर आक्रमण करने के लिए कूच किया जाता है | २४ जुलाई १९९४ |
५५-अक्रूर हस्तिनापुर धृतराष्ट्र से सहायता माँगने के लिए जाते हैं | ३१ जुलाई १९९४ |
५६-अक्रूर की कुंती से भेंट व वापस मथुरा लौटना | ०७ August १९९४ |
५७-महर्षि माण्डव्य द्वारा धर्म राज को श्राप | १४ August १९९४ |
४८-जरासन्ध का सन्धि पत्र ठुकराना | २१ August १९९४ |
५८-जरासन्ध के मित्र राजाओं की सेनाओं व कृष्ण बलराम के बीच युद्ध | २८ August १९९४ |
६०-जरासन्ध की रण में हार और बलराम व कृष्ण में जीत की खुशी | ०४ September१९९४ |
६१-कृष्ण को गोकुल की याद आती है,उद्धव का मथुरा आगमन और कृष्ण-उद्धव का ज्ञानयोग पर वार्तालाप | ११ September१९९४ |
६२-उद्धव को अपने ज्ञान पर अहंकार हो जाता है व गोपियों को ब्रह्मज्ञान की शिक्षा देने के लिए वृंदावन की ओर कृष्ण का पत्र लेकर प्रस्थान करता है | १८ September १९९४ |
७३-उद्धव का राधा से मिलना और उसका कृष्ण प्रेम पर विश्वास जागना | २५ September १९९४ |
६४-उद्धव को प्रेम का ज्ञान होना और श्रीकृष्ण-राधा उसे आशीर्वाद देते हैं | ०२ October १९९४ |
६५-जरासन्ध की फिर युद्ध में यादवों से हार | ०९ October१९९४ |
६६-श्रीकृष्ण ने सुनाई अक्रूर व बलराम को जरासन्ध की कहानी
१६ October १९९४ | |
६७-राजा मुचुकुंद की कहानी | २३ October १९९४ |
६८-कालयवन का मथुरा पर चढ़ाई व कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारना | ३० October १९९४ |
६९-मुचुकन्द द्वारा गुफा में कालयवन का वध व राजा मुचुकन्द को वरदान देना | ०६ November १९९४ |
७०-कृष्ण द्वारिका यादवों सहित पहुँच जाते हैं और द्वारिका निर्माण (इसी एपिसोड से सर्वदमन जी का किरदार है स्वप्निल जोशी की भूमिका कृष्ण के रूप में समाप्त) | १३ November १९९४ |
७१-हस्तिनापुर में द्वारिका की ओर से अक्रूर दूत के रूप में जाते हैं व श्रीकृष्ण का मैत्री-संधि पत्र सुनाना | २० November १९९४ |
७२-युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का युवराज घोषित किया जाता है बलराम और रेवती का विवाह | २७November १९९४ |
७३-नर नारायण की कथा व शकुनि द्वारा पांडवों को जलाने के लिए लाक्षागृह का निर्माण | ०४ December १९९४ |
७४-युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र से मिलने जाना व शेष चारों पांडव युद्ध अभ्यास करते हैं और अपने कौशल को दिखाते हैं | ११ December१९९४ |
७५-पांडव वारणावत पहुँचे और विदुर द्वारा गुप्त रूप से पांडवों को बचाने की योजना | १८ December १९९४ |
७६-लाक्षागृह में लगी आग ,सभी पांडव कुशलता से बच निकलते हैं | २५ December १९९४ |
७७-विदुर व भीष्म के बीच वार्ता और पांडव अज्ञातवास के रूप में पांचाल देश pajunch जाते हैं | ०१ January १९९५ |
७८-रुक्मिणी का शिशुपाल से विवाह का रुक्मी द्वारा प्रस्ताव | ०८ January१९९५ |
७९-रुक्मिणी के विवाह की तैयारी श्रीकृष्ण रुक्मिणी को बचाने के लिए कुण्डिनपुर की ओर निकल पड़ते हैं | १५ January १९९५ |
८०-रुक्मिणी हरण और रुक्मी-श्रीकृष्ण के बीच युद्ध | २२ January १९९५ |
८१-द्रोपदी व धृष्टद्युम्न जन्म कथा व द्रोपदी स्वयम्बर | २९ January १९९५ |
८२-अर्जुन ने भेदी मछली की आँख व पांडवों का द्रोपदी को leke हस्तिनापुर आगमन | ०५ February १९९५ |
८३-मयदानव व विश्वकर्मा द्वारा खांडवप्रस्थ का जीर्णोंद्धार करके पांडवों के नए नगर की स्थापना | १२ February १९९५ |
८४- सभी पांडवों का इंद्रप्रस्थ आना और भीम जरासन्ध युद्ध | १९ February १९९५ |
८५-युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ व कृष्ण द्वारा शिशुपाल वध | २६ February १९९५ |
८६-पार्षद जय की कथा व बलराम दुर्योधन को गधा युद्घ की शिक्षा देते हैं | ०५ March १९९५ |
८७-अर्जुन तथा सुभद्रा मिलन और योगमाया द्वारा निर्मित असुर से अर्जुन सुभद्रा की रक्षा करते हैं | १२ March १९९५ |
८८-बलराम को श्रीकृष्ण द्वारिका आने के लिए मनाते हैं सुभद्रा व अर्जुन के बीच प्रेम गहरा होता जाता है | १९ March १९९५ |
८९-द्वारिका का ब्राह्मणपुत्रशोक से व्याकुल होकर कृष्ण का अपमान करता है | २६ March १९९५ |
९०-अर्जुन का यमलोक जाना और ब्रह्मास्त्र चलाना लेकिन उसका तेज इंद्र हीन कर देते हैं | ०२ April१९९५ |
९१-दुर्योधन गधा युद्ध की शिक्षा के बदले में बलराम को गुरुदक्षिणा देता है, दुर्योधन-सुभद्रा विवाह का बलराम द्वारा वचन | ०९ April १९९५ |
९२-अर्जुन द्वारिका से विदा लेना चाहते हैं जहाँ कृष्ण प्रेम के वचन को निभाने के लिए अर्जुन व सुभद्रा को समझाते हैं, सुभद्रा द्वारा अर्जुन का हरण और द्वारिका में विवाह संपन्न | १६ April १९९५ |
९३-श्रीकृष्ण पर लगा स्यमन्तक मणि चुराने का आरोप, मणि की खोज में कृष्ण गुफा में जाते हैं जहाँ जामवन्त से उनका युद्ध होता है | २३ April १९९५ |
९४-जामवंती का हाथ जामवन्त कृष्ण को सौंपते हैं तथा सत्राजित भी अपनी बेटी सत्यभामा का हाथ कृष्ण के हाथों में सौंप देते हैं | ३० April१९९५ |
९५-नरकासुर का वध एवं सत्यभामा कृष्ण से पारिजात के वृक्ष की माँग करते हैं | ०७ May१९९५ |
९६-कृष्ण व देवराज के बीच समर और श्रीकृष्ण की विजय, देवलोक से पारिजात का वृक्ष धरती पर आता है | १४ May १९९५ |
९७-सत्यभामा पुण्यकव्रत का अनुष्ठान करती है एवं श्रीकृष्ण का तुलादान | २१ May १९९५ |
९८-श्रीकृष्ण ने देवऋषि नारद से सत्यभामा का अहंकार तोड़ा | २८ May १९९५ |
९९-श्रीकृष्ण के परम् भक्त सुदामा की कथा | ०४ June १९९५ |
१००-सुदामा व कृष्ण की मित्रता | ११ June १९९५ |
१०१-सुदामा और चक्रधर पहुँचे राजा के दरबार में | १८ June १९९५ |
१०२-सुदामा का कृष्ण से मिलने को प्रस्थान | २५ June १९९५ |
१०३-श्रीकृष्ण सुदामा से भेंट के लिए मुरली-मनोहर बने | ०२ July १९९५ |
१०४-श्रीकृष्ण ने की सुदामा की सेवा | ०९ July १९९५ |
१०५-सुदामा पहुँचे कृष्ण की नगरी द्वारिका | १६ July १९९५ |
१०६-श्रीकृष्ण तथा सुदामा मिलन, श्रीकृष्ण ने की सुदामा की सेवा | २३ July १९९५ |
१०७-श्रीकृष्ण ने खाये सुदामा के चावल और त्रिलोक की समाप्ति भेंट पर माता लक्ष्मी उन्हैं रोकती है | ३० July १९९५ |
१०८-माता रुक्मिणी लक्ष्मी रूप में सुदामा की पत्नी वसुंधरा को चिरयौवना का वरदान देती है | ०६ August १९९५ |
१०९-सुदामा की अपने गाँव वापसी | १३ August १९९५ |
११०-श्रीकृष्ण पुत्र प्रद्युम्न जन्म की कथा | २० August१९९५ |
१११-शिव की तपस्या भंग होने पर शिव उन्हैं अपने तीसरी आँख की ज्वाला में भस्म कर देते हैं | २७ August 1995१९९५ |
११२-शम्भरासुर व मायासुर द्वारिका पर आक्रमण करते हैं कृष्ण द्वारा मायासुर का वध,प्रद्युम्न जन्म | ०३ September १९९५ |
११३-प्रद्युम्न का नामकरण व अर्जुन ने किया मायावती का वध | १० September १९९५ |
११४-शम्भरसुर ने किया प्रद्युम्न का अपहरण | १७ September १९९५ |
११५-बलराम प्रद्युम्न के न मिलने से क्रोधित होकर सारी नदियों का प्रवाह रोक देते हैं | २४ September १९९५ |
११६-मछली के पेट से प्रद्युम्न निसन्तान भानामति को मिलता है ,दानवगुरु शुक्राचार्य शम्भरसुर से मिलने को आते हैं | ०१ October १९९५ |
११७-राजगुरु शुक्राचार्य शम्भरसुर को प्रड्यूसर का वध करने के लिए शम्बासुर से कहते हैं | ०८ October १९९५ |
११८-भानामति के पिछले जन्म की कथा व अप्सरा पद्मिणी को श्राप | १५ October १९९५ |
११९-भानुमति की रसायन विद्या, कृत्या प्रद्युम्न को मारने आयी | २२ अक्टूबर १९९५ |
१२०-भानुमति ने किया प्रद्युम्न पर रसायन विद्या का प्रयोग | २९ अक्टूबर १९९५ |
१२१-दानवगुरु शुक्राचार्य यज्ञाग्नि में अपने प्राण त्याग देते हैं | ०५ नवम्बर ११९५ |
१२२-प्रद्युम्न-रति मिलन | १२ नवम्बर १९९५ |
१२३-प्रद्युम्न की शिक्षा सम्पन्न | १९ नवम्बर १९९५ |
१२४-विकटासुर का वध, प्रद्युम्न ने दिखाई अपनी माया | २६ नवम्बर १९९५ |
१२५-प्रद्युम्न ने किया शम्भरासुर का विजय स्तम्भ ध्वस्त | ०३ दिसम्बर १९९५ |
१२६-प्रद्युम्न व शम्बरासुर के पुत्रों के बीच युद्ध | १० दिसंबर १९९५ |
१२७-कुम्भकेतु व प्रद्युम्न में युद्ध | १७ December १९९५ |
१२८-प्रद्युम्न ने किया कुम्भकेतु का वध | २८ December १९९५ |
१२९-शम्बरासुर व प्रद्युम्न में युद्ध | ३१ December १९९५ |
१३०-शम्बरासुर वध व भानामति उद्धार | ०७ January १९९६ |
१३१-द्वापर युग में हनुमान से मिलने रामनवमी को अयोध्या आये कृष्ण | १४ January १९९६ |
१३२-राजा पौंड्रक का अहंकार, हनुमान पहुँचे पौंड्रक नगरी | २१ January १९९६ |
१३३-हनुमान जी की पौंड्रक को चेतावनी , द्वित वानर का प्रकोप वह | २८ January १९९६ |
१३४-पौंड्रक का अपने काका वीरमणि पर अत्याचार और श्रीकृष्ण को पौंड्रक का संधि पत्र | ०४ February १९९६ |
१३५-हनुमान का पौंड्रक की नगरी आना व उसके कई सैनिकों को मारना | ११ February १९९६ |
१३६-बलराम ने किया द्वित वानर का वध और पौंड्रक द्वारा द्वारिका पर आक्रमण के लिए प्रस्थान | १८ February १९९६ |
१३७-पौंड्रक का कृष्ण द्वारा वध और काशीराजपुत्र दुर्जय का वध | २५ February १९९६ |
१३८-भीम द्वारा दिव्य कमलों की खोज में गन्धमादन की ओर जाना और हनुमान जी भीम के अहंकार को नष्ट करना | ०३ March १९९६ |
१३९-हनुमान जी ने अर्जुन के श्रेष्ठ धनुर्धर होने का घमंड तोड़ा, बलराम व हनुमान में युद्ध | १० March १९९६ |
१४०-श्रीकृष्ण के जीवन के अब तक की लीलाओं का संक्षेप में वर्णन | १७ March १९९६ |
१४१-कौरव पांडवों के बीच द्यूत क्रीड़ा ,द्रोपदी का बीच सभा में अपमान | २४ March १९९६ |
१४२-द्रोपदी का दुर्योधन के कहने पर दुःशासन द्वारा चीर हरण, कृष्ण ने बचाई द्रोपदी की लाज | ३१ March १९९६ |
१४३-पांडवों की जुए में हार और वे सारा इंद्रप्रस्थ हार जाते हैं ,पांडवों का १३ साल वनवास व १ साल के लिए अज्ञातवास, उर्वशी द्वारा अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप | ०७ April १९९६ |
१४४-पांडवों का अज्ञातवास पूरा होना और अभिमन्यु-उत्तरा का विवाह | १४ April १९९६ |
१४५-कृष्ण का हस्तिनापुर शांतिदूत बनकर आना व दुर्योधन द्वारा बन्दी बनाये जाने पर राजसभा में विराट रूप दिखाना | २१ April १९९६ |
१४६-कर्ण की सूर्यदेव से भेंट, युद्ध की तैयारी | २८ April १९९६ |
१४७- महाभारत का युद्ध आरम्भ,अर्जुन का युद्ध से विचलित होना | ०५ May १९९६ |
१४८-कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र में समय की गति रोककर गीता का उपदेश देने लगते हैं | 12 May १९९६ |
१४९-श्रीकृष्ण गीता का उपदेश देते हैं और अर्जुन को अपने कर्तव्य पूर्ण करने के लिए कहते हैं, श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि हर शरीर जन्म लेता और मरता है, उसे अपनों की मृत्यु पर चिंता न करने को कहते हैं | 19 May १९९६ |
१५०-श्रीकृष्ण अर्जुन को इंद्रियों को वश में रखने का आदेश देते हैं | २६ May १९९६ |
१५१-श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का ज्ञान देते हैं | ०२ June १९९६ |
१५२-श्रीकृष्ण अर्जुन को सुख की परिभाषा समझाते हैं | ०९ June १९९६ |
१५३-श्रीकृष्ण अर्जुन को स्थिर बुद्धि के बारे में कहते हैं | १६ June १९९६ |
१५४-श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्म और ज्ञान के बारे में बताते हैं और अपने अवतारों के बारे में बताते हैं | २३ June १९९६ |
१५५-श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं अधर्मी का विनाश न करना या अधर्म का साथ देना या अधर्म पर चुप रहना भी पाप है | ३० June १९९६ |
१५६-श्रीकृष्ण अर्जुन के कहने पर अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाते हैं | ०७ July १९९६ |
१५७-रामानंद सागर जी गीता के बारे में संक्षेप में कहते हैं और बताते हैं कि किस प्रकार कृष्ण ने अब तक पांडवों का साथ दिया | १४ July १९९६ |
१५८- अब तक की गीता को संक्षेप में दिखाया जाता है, अर्जुन कृष्ण के चतुर्भुज रूप को दिखाने के लिए कृष्ण का धन्यवाद करता है | २१ July १९९६ |
१५९-श्रीकृष्ण अर्जुन से मोक्ष के बारे में कहते हैं,प्रारब्ध केवल मनुष्य का होता, पाप पुण्य के अनुसार स्वर्ग या नरक, उच्च तुच्छ योनियां मिलती हैं, निष्काम होकर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है | २८ July १९९६ |
१६०-अर्जुन शस्त्र उठाने के लिए तैयार हो जाता है | ०४ August १९९६ |
१६१-युधिष्ठिर का ज्येष्ठों से युद्ध में विजय के लिए आशीर्वाद | ११ August १९९६ |
१६२-महाभारत का युद्ध आरम्भ, विराट नरेश उत्तर को वीरगति प्राप्त | १८ August १९९६ |
१६३-अर्जुन व भीष्म के बीच युद्ध | २५ August १९९६ |
१६४-कृष्ण को शस्त्र उठाने के लिए भीष्म द्वारा विवश | ०१ September १९९६ |
१६५-भीष्म की पांडवों के वध की प्रतिज्ञा | ०८ September १९९६ |
१६६-भीष्म ने दिया द्रोपदी को सुहागन रहने का आशीर्वाद | १५ September १९९६ |
१६७-अर्जुन व भीष्म का युद्ध | २२ September १९९६ |
१६८-द्रोण द्वारा कौरवों के सेनापति का पद संभालना , इंद्र द्वारा कर्ण से उसके दिव्य कुंडल व कवच भिक्षा में लेने के लिए प्रस्थान | २९ September १९९६ |
१६९-कर्ण द्वारा इंद्र को कवच कुंडल दान, चक्रव्यूह का निर्माण | ०६ October १९९६ |
१७०-अभिमन्यु वध | १३ October १९९६ |
१७१-श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन के अहंकार को तोड़ने की लीलाओं को दिखाना | २० October १९९६ |
१७२-रामानंद सागर श्री कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन करते हैं | २७ October १९९६ |
१७३- श्रीकृष्ण के जीवन की मुख्य मुख्यघटनाओं को संक्षेप में बतलाया गया है | ०३ November १९९६ |
१७४-श्रीकृष्ण के यशोदा से विछड़ने की का वर्णन | १० November १९९६ |
१७५-अर्जुन की जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा, द्रौपदी व सुभद्रा भीष्म के पास अभिमन्यु के वध का दुख प्रकट करने के लिए जाती हैं | १७ November १९९६ |
१७६- द्रोण दुर्योधन को जयद्रथ की सुरक्षा का वचन देते हैं ,जयद्रथ का वध | २४ November १९९६ |
१७७- दुर्योधन व शकुनि द्रोण पर पांडव प्रेम का आरोप लगाते हैं, द्रोणचार्य धरती को निष्पाण्डव करने की प्रतिज्ञा लेते हैं | ०१ December १९९६ |
१७८-गुरू द्रोण का निर्णायक युद्ध | ०८ December १९९६ |
१७९- द्रोण का धृष्टद्युम्न द्वारा वध, अश्वत्थामा पिता की मृत्यु से व्यथित होकर पांडवों पर नारायण अस्त्र चलाता है | १५ December १९९६ |
१८०-कर्ण कौरव सेननापति का पदभार संभालता है ,कृष्ण कर्ण को उसकी माता बनने के बारे में बताते हैं | २२ December १९९६ |
१८१-कुंती कर्ण से मिलने जाती है, कर्ण के नेतृत्व में कौरव पांडवों से युद्ध करते हैं | २९ December १९९६ |
१८२-घटोत्कच का पराक्रम, कर्ण घटोत्कच का वध करता है | ०५ January १९९७ |
१८३-कर्ण व अर्जुन के बीच संग्राम | १२ January १९९७ |
१८४-कर्ण युधिष्ठिर को पराजित कर देता है, युधिष्ठिर अपने अपमान को महसूस करता है | १९ January १९९७ |
१८५- अर्जुन कौरव सेनापति महारथी कर्ण का वध कर देते हैं | २६ January १९९७ |
१८६-श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्ण के बारे में बताते हैं | ०२ February १९९७ |
१८७-शल्य को कौरवों के सेनापति का पद दिया जाता है , मामा शकुनि का वध नकुल कर देते हैं | ०९ February १९९७ |
१८८-भीम द्वारा दुःशाशन वध और युधिष्ठिर द्वारा मामा शल्य वध | १६ February १९९७ |
१९८-दुर्योधन युद्धभूमि छोड़कर भाग जाता है | २३ February १९९७ |
१९०-पांडव दुर्योधन को खोजते हैं और उसके सरोवर में होने का पता लगाते हैं | ०२ March १९९७ |
१९१-भीम व दुर्योधन के बीच गदा युद्ध होता है | ०९ March १९९७ |
१९२-अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य रात्रि में पांडव शिविर पर आक्रमण कर देते हैं | १६ March १९९७ |
१९३-अश्वत्थामा पाण्डव पुत्रों का वध कर देता है,द्रोपदी व सभी पांडवों का विलाप | २३ March १९९७ |
१९४-अश्वत्थामा उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्मशिर अस्त्र चलाता है,श्रीकृष्ण अश्वत्थामा को शाप देते हैं और पांडव अश्वत्थामा के माथे से उसकी मणि निकाल देते हैं | ३० March १९९७ |
१९५-मुरा का श्रीकृष्ण से युद्ध, श्रीकृष्ण बने मुरारी | ०६ April १९९७ |
१९६- कंकण्टका का घटोत्कच से विवाह , बर्बरीक की कथा | १३ April १९९७ |
१९७-धृतराष्ट्र अपनी बाहों में जकड़कर भीम को मारना चाहता है, गांधारी कुरुकुल के महाविनाश सेद्रवित होकर श्रीकृष्ण को उनके कुल का नाश और उनके वध का श्राप देती है | २० April १९९७ |
१९८-कुंती कर्ण के जन्म के बारे में बताती है कर्ण उनका ज्येष्ठ भ्राता है, पांडव कर्ण को तिलांजलि देते हैं | २७ April १९९७ |
१९९-युधिष्ठिर का हस्तिनापुर का नरेश बनना | ०४ May १९९७ |
२००-भीष्म युधिष्ठिर को ज्ञान देते हैं, भीष्म को मोक्ष प्राप्ति | ११ May १९९७ |
२०१-धृतराष्ट्र का वन में जाकर रहने का निर्णय लेना | १८ May १९९७ |
२०२-युधिष्ठिर का अश्वमेध यज्ञ , युधिष्ठिर को अपने दान पर अहंकार होना | २५ May १९९७ |
२०३-युधिष्ठिर का स्वर्ण नेवले के द्वारा अहंकार का टूटना, पांडव वन में धृतराष्ट्र, विदुर, गांधारी,कुंती के दर्शन के लिए जाते हैं, विदुर अपने प्राणों को त्याग देते हैं | ०१ June १९९७ |
२०४-कृष्ण की हस्तिनापुर से विदाई ,महर्षि उत्तंग की कृष्ण से भेंट व उनका क्रोध | ०८ June १९९७ |
२०५-उत्तंग की देवराज इन्द्र परीक्षा लेते हैं | 15 June १९९७ |
२०६-श्रीकृष्ण पर वज्रनाभ के असुर चर्वाक ने द्वारिका में किया आक्रमण | २२ June १९९७ |
२०७-श्रीकृष्ण बलि से मिलने के लिए सुतल जाते हैं | २९ June १९९७ |
२०८-श्रीकृष्ण प्रद्युम्न व प्रभावती के विवाह का प्रस्ताव लेकर बज्रनाभ के शिविर में जाते हैं | ०६ July १९९७ |
२०९-वज्रनाभ की युद्ध में पराजय | १३ July १९९७ |
२१०-बाणासुर की कथा, बाणासुर की महायुद्ध के लिए तपस्या | २० July १९९७ |
२११-बाणासुर की पुत्री का स्वयम्बर | २७ July १९९७ |
२१२-ऊषा और अनिरुद्ध एक दूसरे से सपने में मिलते हैं और प्रेम करने लगते हैं | ०३ August १९९७ |
२१३-अनिरुद्ध के चित्र से बाणासुर का विजयस्तम्भ ध्वस्त हो जाता है, नारद अनिरुद्ध को उत्तर दिशा में जाने के लिए कहते हैं | १० August १९९७ |
२१४-बलराम का बाणासुर के पास अनिरुद्ध ऊषा के विवाह का प्रस्ताव,नारद जी चित्रलेखा को अनिरुद्ध के अपहरण का सुझाव देते हैं | १७ August १९९७ |
२१५-चित्रलेखा के श्राप की कथा | २४ August १९९७ |
२१६- चित्रलेखा बाणासुर के गुप्तचर वीरसेन व चित्रसेन का माया से वध कर देती है, अनिरुद्ध का अपहरण | ३१ August १९९७ |
२१७-ऊषा व अनिरुद्ध का मिलन, बाणासुर को जब ज्ञात होता है कि अनिरुद्ध द्वारिका में नहीं है तो वह क्रोधित हो अनिरुद्ध की तलाश आरम्भ करता है | ०७ September १९९९७ |
२१८-चित्रलेखा अपनी सखी के लिए अपना मित्रता का धर्म निभाती है | १४ September १९९७ |
२१९-अनिरुद्ध ऊषा के साथ पालकी में छिपकर शिव मंदिर जाता है | २१ September १९९७ |
२२०-बाणासुर अनिरुद्ध युद्ध, बाणासुर की विजय और अनिरुद्ध बन्दी बन जाता है | २८ September १९९७ |
२२१-बाणासुर-कृष्ण युद्ध ,कृष्ण ने तोड़ा बाणासुर का अहंकार और ऊषा-अनिरुद्ध विवाह | ०५ October १९९७ |
कलाकार
पात्र | अभिनेता/अभिनेत्री |
---|---|
कृष्ण, विष्णु | सर्वदमन बनर्जी- (वयस्क) ,
|
शेष, बलराम | दीपक देउलकर(वयस्क) , संजीव शर्मा(किशोर) |
कंस | विलास राज |
रुक्मिणी, लक्ष्मी, यमुना, दुर्गा | पिंकी पारिख |
राधा | श्वेता रस्तोगी (किशोरावस्था) , रेशमा मोदी(अनुराधा) |
सत्यभामा | शशि शर्मा |
जाम्बवन्ती | मोना पारिख |
रेवती/बलराम की पत्नी और चित्रलेखा/ऊषा की सखी | स्वाति आनंद |
अर्जुन | संदीप मोहन |
युधिष्ठिर | रमन वेदप्रकाश खत्री |
भीम | महेंद्र घुले |
नकुल, पांडु | प्रेम चन्द्र शर्मा |
सहदेव | सुरेश चांदी और अन्य |
सुभद्रा, योगमाया | सोनिया कपूर |
द्रोपदी | फाल्गुनी पारिख |
वसुंधरा | प्रेरणा अग्रवाल |
अनिरुद्ध | नवनीत चड्डा |
कर्ण | गोविंद खत्री |
दुःशाशन | दीपक जेठी और दिनेश आनन्द |
दुर्योधन | कुमार हेगड़े |
यशोदा | दामिनी(सीमा) कंवल |
नंद बाबा, शूरसेन, महाबली चाणूर | शहनवाज प्रधान |
वसुदेव | सुनील पांडे |
देवकी | पॉलोमी मुखर्जी |
नरकासुर | संजीव सिद्धार्थ |
अश्वत्थामा , सुदामा | मुकुल नाग |
भीष्म | सुनील नागर |
बाणासुर | शक्ति सिंह |
मायावती(वज्रनाभ की दादी) | निहारिका भट्ट |
द्रोणाचार्य | कानू पटेल |
विधुर | विजय शर्मा |
शकुनि | जे पी शर्मा |
धृतराष्ट्र | तारकेश चौहान |
गांधारी | नीला पटेल |
कुंती | लता हये |
हिडिम्बा, भानामति, एक एपिसोड में माँ दुर्गा भी | झरना दवे |
जरासन्ध, महर्षि उतंग, देवशिल्पी विश्वकर्मा | राधा कृष्ण दत्त |
उद्धव | सुनील चौहान |
द्वित वानर , मायासुर(शम्बरासुर का पुत्र),मय दानव | बशीर खान |
पौण्ड्रक | गौतम चतुर्वेदी |
तारा | भक्ति नरूला |
कालयवन, वज्रनाभ, शम्बरासुर के राजगुरु | अरविंद सिंह राजसौरिया |
कुम्भकेतु(शम्बरासुर का पुत्र),संजय | नील कमल |
कृपाचार्य | एन. जीतेन्द्र |
इन्द्र,शल्य | ज्योति दवे |
नारद | दीपक दवे,सागर सैनी |
शम्भरासुर | अरुण माथुर |
कामदेव,प्रद्युम्न | गिरीश परदेसी ,मनीष शर्मा/बाद के एपिसोड में |
रती | दीपाली थोसर |
शिव | अमित पचोरी,विजय कविश और अन्य |
शिशुपाल | राजप्रेमी |
रोहिणी | सुलक्षणा खत्री |
महारानी सुमति | बज्रनाभ की पत्नी, प्रभावती की माँ |
तिया गण्डवानी | ऊषा की माँ, महारानी वृन्दा/बाणासुर की पत्नी |
विभिन्न भूमिकाओं में | असलम खान |
चाणूर (केवल तीसरे वाले एपिसोड में) | श्याम सुंदर कलानी |
निर्माण में योगदान व आधारित
श्रीकृष्णा धारावाहिक प्रामाणिक व शोध की गई पुस्तकों पर बना है जनश्रुतियों व किंवदंतियों को इसमें नहीं रखा गया है जो मुख्यतः हरिवंश पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण, विष्णु पुराण, महाभारत, मार्कण्डेय पुराण,गर्ग संहिता, अग्नि पुराण, स्कंध पुराण पर आधारित है
'इसमें मुख्यतः श्री चैतन्य महाप्रभु ,श्री वल्लभाचार्य,सन्त दिनेश्वर,सन्त तुकाराम,मीराबाई, विद्यापति, रसखान, मीराबाई,रत्नाकर, रहीम खान,नरसी भगत, जयदेव, नरोत्तम दास,सूरदास, श्री ए सी भक्तिवेदांत,स्वामी प्रभुपाद, श्री विनोबा भावे,श्री प्रभुदत्ता महाराज,श्री प्रियदर्शी महाराज, तमिल कवि अंदाल आदि की रचनाओं को लिया गया है'
निर्माण में योगदान
साँचा:reflistयोगदान | व्यक्ति |
---|---|
निर्देशक | रामानंद सागर आनंद सागर मोती सागर |
निर्माता | रामानंद सागर सुभाष सागर प्रेम सागर |
मुख्य सहायक निर्देशक | योगी योगिंदर |
सहायक निर्देशक | ज्योति सागर श्रीधर जेटी राजेन्द्र शुक्ला |
पटकथा व संवाद | रामानंद सागर |
गीत व संगीत | रवींद्र जैन |
पार्श्वतगायक व पार्श्वगायिका | रविन्द्र जैन सुरेश वाडकर अरविंदर सिंह सुशील हेमलता |
सम्पादक | मोरेश्वर ए आर मिश्रा सहदेव गिरीश दादा |
कैमरा | अविनाश सतोस्कर |
वीडियो इंजीनियर | विजय आप्टे |
लाइटिंग कैमरामैन | राम मदकल्कर |
मुख्य ध्वनि रिकॉर्डर | ई. रुद्रा |
मुख्य मेकअप | गोपाल सावंत |
मेकअप | हरि नावर सूर्यकान्त सावंत |
ध्वनि | रवि रुद्रा |
फोटोग्राफी निर्देशक | अजीत नायक |
पृष्ठ/dubbing कलाकर | जवाहर भान पवन शुक्ला |
कॉस्ट्यूम्स | मगनलाल ड्रेसवाला |
Stills | रानू बोहरा |
PRO | रजनी आचार्य |
वीडियो एडिटिंग | प्रकाश जयवंत |
Wardrobe in charge | प्रमोद अय्यर |
Productions | विनोद पटेल |
Hair style/केश सज्जा | नीना |
Wig maker | ए अनवर |
Sound | ए वी मोर |
गाना रिकॉर्डिंग | हेमंत पारकर |
लाइटमैन | भीमशंकर बी आर मोहनराव |
Makeup | अरविंद ठाकुर नरेंद्र |
Acknowledgements | International society of Krishna consciousness-श्रीमती जादूरानी दासी/न्यूयॉर्क स्वामी तुरियानन्द/लॉस एंजिलिस |