भारत के प्रक्षेपास्त्र

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भारतीय मिसाइल परियोजनाएं

परियोजना डेविल

परियोजना डेविल 1970 के दशक में परियोजना वैलेंटाइन के साथ भारत द्वारा विकसित दो प्रारंभिक तरल-ईंधन वाली मिसाइल परियोजनाओं में से एक थी। परियोजना डेविल का लक्ष्य एक छोटी दूरी की सतह से सतह मिसाइल का उत्पादन करना था। हालांकि 1980 में इच्छित सफलता प्राप्त किए बिना इस परियोजना को बंद कर दिया गया था। बाद में परियोजना डेविल ने 1980 के दशक में पृथ्वी मिसाइल विकास को जन्म दिया।

परियोजना वैलेंटाइन

परियोजना वैलेंटाइन 1970 के दशक में परियोजना डेविल के साथ भारत द्वारा विकसित दो प्रारंभिक तरल-ईंधन वाली मिसाइल परियोजनाओं में से एक थी। परियोजना वैलेंटाइन का लक्ष्य अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र का उत्पादन करना था। हालांकि 1974 में इच्छित सफलता प्राप्त किए बिना इस परियोजना को बंद कर दिया गया था। बाद में परियोजना डेविल की तरह परियोजना वैलेंटाइन ने 1980 के दशक में पृथ्वी मिसाइल विकास को जन्म दिया।

एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम

एकीकृत मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) मिसाइलों की एक विस्तृत श्रृंखला के अनुसंधान और विकास के लिए रक्षा मंत्रालय (भारत) कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम का प्रबंधन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय आयुध निर्माणियाँ द्वारा अन्य भारतीय सरकारी शोध संगठनों के साथ साझेदारी में किया गया था।[१] परियोजना 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू हुई थी और इसे 2008 में समाप्त कर दिया गया था जब सामरिक मिसाइलों को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया गया। इस कार्यक्रम के तहत विकसित अंतिम प्रमुख मिसाइल मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 3 थी जिसका सफलतापूर्वक 9 जुलाई 2007 को परीक्षण किया गया था।[२] 8 जनवरी 2008 को, क्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने औपचारिक रूप से एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की। इस घोषणा में कहा गया है कि रणनीतिक एकीकृत निर्देशित मिसाइल कार्यक्रम अपने डिजाइन उद्देश्यों के साथ पूरा हुआ हैं क्योंकि इस कार्यक्रम की अधिकांश मिसाइलों को विकसित किया जा चुका हैं और भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका हैं।[३]

डॉ अब्दुल कलाम जिन्होंने इस कार्यक्रम की कल्पना की और इस पर काम किया था। बाद में भी भारत के राष्ट्रपति बने।[४]

आकाश

आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय आयुध निर्माणियाँ और भारत इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की चलनशील सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है।[५][६] मिसाइल प्रणाली 18 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर, 30 किमी दूर विमान को मार गिरने में सक्षम है।

त्रिशूल

त्रिशूल (मिसाइल) कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला यह समन्वित मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम में (DRDO) रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ओर(BDL) भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया था।

नाग

नाग भारत में विकसित एक तीसरी पीढ़ी "छोड़ो-और-भूल जाओ" पर आधारित एंटी-टैंक मिसाइल है। यह एकीकृत मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित पांच मिसाइल प्रणालियों में से एक है। नाग मिसाइल प्रणाली 3 अरब रु (यूएस $43.7 मिलियन) की लागत से विकसित किया गया है।

पृथ्वी मिसाइल श्रृंखला

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पृथ्वी मिसाइल सामरिक सतह से सतह की छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।

नाम प्रकार चरण सीमा पेलोड उपयोगकर्ता
पृथ्वी-1 (एसएस-150) छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल एक 150 किमी 1000 किलोग्राम थलसेना
पृथ्वी-2 (एसएस-250) छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दो 250 किमी – 350 किमी 500 किलोग्राम – 1000 किलोग्राम वायुसेना, थलसेना
पृथ्वी-3 (एसएस-350) छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दो 350 किमी – 600 किमी 250 किलोग्राम – 500 किलोग्राम थलसेना, वायु सेना, नौसेना

धनुष एक प्रणाली है जिसमें एक स्थिरीकरण प्लेटफार्म (बो) और मिसाइल (तीर) शामिल है। यह भारतीय नौसेना के लिए अन्य जहाजों या भूमि लक्ष्यों के खिलाफ जहाजों से पृथ्वी मिसाइल को छोड़ने में सक्षम है। धनुष पृथ्वी-2 या पृथ्वी-3 के संशोधित संस्करणों को भी छोड़ सकता हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ