भारतीय आयुध निर्माणियाँ
भारतीय आयुध निर्माणियाँ (Indian Ordnance Factories) भारत की एक औद्योगिक संरचना हैं जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। इसका मुख्यालय कोलकाता में है। यह 39 निर्माणियों, 9 प्रशिक्षण संस्थान, 3 क्षेत्रीय विपणन केन्द्र ओर 4 क्षेत्रीय संरक्षा नियंत्रणालयों का समूह है। यह जल, थल तथा वायु प्रणालियों के व्यापक उत्पादों का उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, विकास एवं उनका विक्रय करती हैं।
भारतीय आयुध निर्माणियों के चुनिंदा ग्राहक भारतीय सशस्त्र सेनाएं हैं। सशस्त्र सेनाओं को आयुध की आपूर्ति के अतिरिक्त, आयुध निर्माणियाँ अन्य दूसरे उपभोक्ताओं की मांगों को भी पूरा करती हैं जैसे गोला बारूद, वस्त्र, बुलेट प्रुफ वाहन और सुरंग प्रतिरोधी वाहन की आपूर्ति इत्यादि। निर्यात के आयतन में वृद्धि एवं इसके कार्य विस्तार में फैलाव आयुध निर्माणियों का प्रमुख उद्देश्य रहता है।
भौगोलिक विस्तार
भारतवर्ष में 39 आयुध निर्माणियाँ 24 विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित हैं।
राज्य एवं संघ शासित प्रदेशों के नाम निर्माणियों की संख्या
महाराष्ट्र --- 10
उत्तर प्रदेश --- 8
मध्य प्रदेश --- 6
तमिलनाडु --- 6
पश्चिम बंगाल --- 4
उत्तरांचल --- 2
आंध्र प्रदेश --- 1
चण्डीगढ़ --- 1
उड़ीसा --- 1
40 वीं निर्माणी की स्थापना बिहार के नालंदा में हो रही है।
उत्पाद
पिस्तौल/रिवॉल्वर की खरीद
नागरिक शस्त्र ऎवं कारतूस
शस्त्र
गोला, बारूद, विस्फ़ोटक, नोदक एवं रसायन
सैन्य वाहन
कवचयुक्त वाहन
प्रकाशिक उपकरण
पैराशूट
सहायक उपस्कर
सामान्य भण्डार
माल, अवयव एवं विशेष कार्य हेतु मशीनें
इतिहास
आरम्भ
भारतीय आयुध निर्माणियों का इतिहास एवं विकास भारत में अंग्रेजी शासन काल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। इंगलैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने आर्थिक लाभ एवं अपनी राजनीतिक शक्ति को बढाने हेतु सैन्य सामग्री को महत्वपूर्ण अवयव के रूप में स्थापित किया। सन् 1775 के दौरान ब्रिटिश प्राधिकारियों ने फोर्ट विलियम, कोलकाता में आयुध निर्माणी की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की। यह भारत में थलसेना आयुध के प्रारम्भ को दर्शाता है।
सन् 1787 में ईशापुर गन पाउडर फैक्टरी की स्थापना की गई एवं 1791 से इसका उत्पादन शुरू हुआ। (1904 में स्थापित की गई राइफल फैक्टरी) सन् 1801 में काशीपुर, कोलकाता में तोपगाड़ी एजेंसी (वर्तमान में तोप एवं गोला निर्माणी, काशीपुर के नाम से जानी जाती है) की स्थापना की गई एवं इसका उत्पादन 18 मार्च 1802 से होने लगा। यह आयुध निर्माणियों की प्रथम औद्योगिक स्थापना थी जो अपने अस्तित्व को आज की तिथि तक कायम रखे हुए हैं।
भारतीय आयुध निर्माणियों का विकास
अपनी वर्तमान प्रतिष्ठा में अग्रसर आयुध निर्माणियाँ निरंतर परंतु अत्यंत तीव्र गति से विकास कर रही है। भारत में 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कुल 18 आयुध निर्माणियाँ थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत 21 निमाणियों की स्थापना की गई, अधिकांशत: भारतीय सशस्त्र बलों के द्वारा तीन प्रधान युद्ध लड़ने के परिणामस्वरूप की गई। बिहार के नालंदा में 40 वीं फैक्टरी निर्माणाधीन है।
मुख्य घटनाएं
आयुध निर्माणियों के विकासक्रम की मुख्य घटनाएं निम्न रूप में सूचीबध्द की जा सकती है:
- 1801 - काशीपुर, कोलकाता में गन कैरिज एजेंसी की स्थापना।
- 1802 - 18 मार्च 1802 से काशीपुर में उत्पादन की शुरूआत।
- 1906 - भारतीय आयुध निर्माणियों को प्रशासन का दायित्व " आई जी आयुध निर्माणियों " के अधीन आ गया।
- 1933 - " निदेशक, आयुध निर्माणियाँ " को प्रभार प्रदान किया गया।
- 1948 - रक्षा मंत्रालय के सीघे नियंत्रण के अधीन।
- 1962 - रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई।
- 1979 - दिनांक 2 अप्रैल से आयुध निर्माणी बोर्ड अस्त्तित्व में आया।