पीलीभीत जिला

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(पिलभीत जिला से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
पीलीभीत
—  जिला  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
राज्य उत्तर प्रदेश
महापौर
नगर पालिका अध्यक्ष विमला जायसवाल
जनसंख्या
घनत्व
१२,८३,१०३ (साँचा:as of)
• ३२०.१३५
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
३,५००४ वर्ग कि.मी. कि.मी²
• १७२ मीटर मीटर
  साँचा:collapsible list
आधिकारिक जालस्थल: https://pilibhit.nic.in

साँचा:coord पीलीभीत भारतीय के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला है, जिसका मुख्यालय पीलीभीत है। इस जिले की साक्षरता - ६१% है, समुद्र तल से ऊँचाई -१७१ मीटर[१] और औसत वर्षा - १४०० मि.मी.[२] है। इसका क्षेत्रफल ३,५०४ वर्ग किलोमीटर है जिसमें से ७८४७८ हेक्टेयर भूमि पर सघन वन हैं। हिमालय के बिलकुल समीप स्थित होने के बावजूद इसकी भूमि समतल है। पीलीभीत की अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां के उद्योगों में चीनी, काग़ज़, चावल और आटा मिलों की प्रमुखता है। कुटीर उद्योग में बांस और ज़रदोज़ी का काम प्रसिद्ध है। पीलीभीत मेनका गांधी का चुनाव क्षेत्र भी है।

यह नगर ज्ञान एवं साहित्य की अनेक विभूतियों का कर्मस्थल रहा है। नारायणानंद स्वामी 'अख्तर' संगीतज्ञ, कवि, साहियकार ता इतिहासकार के ूें प्रसिद्ध रहे हैं। चंडी प्रसाद 'हृदयेश' कहानीार, एांकीकार, उपन्यासकार, ीतकार एवं कवि थे। कविवर राधेश्याम पाठक 'श्याम' ने गद्य एवं पद्य दोनों साहित्य का सृजन किया और प्रसिद्ध फिल्मी गीतकार अंजुम पीलीभीती ने 'रतन', 'अनमोल घड़ी', 'ज़ीनत', 'छोटी बहन' एवं 'अनोखी अदा' आदि फिल्मों के प्रसिद्ध गीत लिखकर पीलीभीत नगर का नाम रोशन किया।

"धार्मिक इतिहास में " राजा मोरोध्‍वज की कहानी सवने सुनी होगी जिन्‍होने अपने वेटे को आरे से काट कर कृष्ण भगवान को आधा तथा आधा उनके साथ आये सिंह के रूप में अर्जुन को खिलाने के लिये दे दिया था। उस राजा का किला दियूरिया के जंगल में आज भी है। "इकहोत्तरनाथ मन्दिर":-पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील की ग्राम पंचायत सिरसा के निकट रमणीक वन क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर स्थित पौराणिक मन्दिर है। कहा जाता है कि देवराज इन्द्र ने गौतम ऋषि द्वारा दिए गये श्राप से मुक्ति पाने के लिए एक ही रात्रि में एक सौ शिव लिंग गोमती तट पर स्थापित करने का निश्चय किया,जिसमें यह इकहत्तरवाँ शिव लिंग है।पीलीभीत में न्योरिया हुसैनपुर नाम का सुंदर नगर है पीलीभीत मे कुतुब शौकत मियां हुज़ूर का जहानाबाद के नाम से एक बड़ा खुशहाल नगर है यह हिन्दू मुस्लिम बहुत भाईचारे भाइचारे के साथ रहते है

ऐतिहासिक भवन

मनकामेश्वर महादेव मंदिर,ब्रह्मचारी घाट।

मनकामेश्वर महादेव, पीलीभीत।

खकरा ओर देवह नदियों के संगम स्थल ब्रह्मचारी घाट पर स्थित मनकामेश्वर महादेव का यह चार सौ वर्ष प्राचीन मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध है । यंहा हनुमान जी एवं धनेश्वर महादेव के भी सुंदर और सिद्ध मंदिर हैं। यंहा का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है संगम में स्नान करके मनकामेश्वर महादेव के दर्शनों से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है ऐसा भक्तो का मत है । यंहा आकर आपको एक असीम शांति का अनुभव होगा। मनकामेश्वर महादेव की उपस्थिति यंहा की शांति और सौन्दर्य में दिव्यता का संचार सा कर देती है जिसे आप यँहा से अपने साथ ले जाएंगे।

ऐतिहासिक गुरुद्वारा - पीलीभीत के पकड़िया मोहल्ले में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। धार्मिक रूप से यह लगभग चार सौ वर्षों पुराना स्थान है। लेकिन इसका जीर्णोद्धार हाल ही में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सिक्खों के गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने अमृतसर से नानकमता जाते समय में यहीं रुक कर विश्राम किया था। सन् १९८३ ई. में सुविख्यात बाबा फौजसिंह ने कार सेवा द्वारा पाँच मंज़िल वाले विशाल गुरुद्वारे का निर्माण करवाया। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह की स्मृति में इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का निर्माण हुआ।

गौरी शंकर मंदिर -

गौरी शंकर मंदिर

गौरी शंकर मंदिर खकरा मुहल्ले में देवहा तथा खकरा नदी के पास स्थित है। यहाँ गौरीशंकर जी के अतिरिक्त हनुमान, भैरों, दुर्गा और गणेश जी की मूर्तियाँ भी हैं। लगभग ढाई सौ साल पुराना यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसका द्वार अत्यंत भव्य एवं अवलोकनीय है। ऐसा माना जाता है कि यह द्वार नामक एक मुसलमान ने बनवाया था।

जामा मस्जिद -

जामा मस्जिद 1780s

जामा मस्जिद पीलीभीत का एक और गौरवशाली धर्मस्थल है। इसका निर्माण हाफिज रहमत खाँ ने ११८१- ८२ हिजरी में करवाया। यह मस्जिद दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद की बहुत शानदार प्रतिकृति है। मस्जिद के प्रवेश द्वार से पहले दरवेश इमाम हाफिज नूरुउद्दीन गजनबी का मजार बना हुआ है। वे इस मस्जिद के पहले इमाम भी थे।

शाहजी मियां का मजार -

Shahji Miyan Ki Mazar Pilibhit 1.jpg

शाहजी मियां पीलीभीत में जन्मे एक संत थे। मानव कल्याण के कार्यों के कारण उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई। वो १२५ वर्ष तक जीवित रहे। आज भी उनके मजार पर सभी धर्मों के लोग मन्नत माँगने आते हैं और चादर चढ़ाते हैं। इनका उर्स हर वर्ष एक सप्ताह के लिए होता है, जिसमें हजारों लोग सम्मिलित होते हैं।

यशवंतरी देवी यशवंतरी देवी मंदिर का इतिहास वहुत पुराना है लगभग कई सौ वर्ष पुराना, यशवंतरी देवी मंदिर के पास नकटादाना नाम की जगहा है कई सौ साल पहले वहां पर नकटा नाम का एक दानव रहा करता था जिसने वहां के लोगो का जीना मुशकिल कर दिया था तव शक्‍ती ने मां यशवंतरी देवी के रूप में आकर उसका वध किया था।

शिवधाम मंदिर -महादेव का यह मंदिर यशवंतरी देवी मंदिर से निकट ही है तथा इसका भी अपना वहुत महत्‍व है इस मंदिर में एक पीपल का पेड है जिसके बिषय में यह मान्‍यता है कि जो व्‍यक्‍ति यहां शिव जी पर रोज जल चढाता है पेड पर जितनी पत्‍तियां है उतनी शक्‍तियां उसकी रक्षा में लग जाती है। हाल में ही इसका जीर्णोद्र कराया गया है।

पीलीभीत के प्राकृतिक पर्यटन स्थल

चूका बीच-

चूका बीच

पीलीभीत वन प्रभाग द्वारा ७४ वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में शारदा नदी एवं मुख्य शारदा कैनाल के बीच, शारदा सागर के किनारे, एक पर्यटन केंद्र का विकास किया गया है। शारदा सागर जलाशय की लंबाई २२ किलो मीटर और चौड़ाई ३ से ५ किलो मीटर है। इतने बड़े जलक्षेत्र के किनारे स्थित होने के कारण यह 'बीच' जैसा दिखाई पड़ता है अतः इसे 'चूका बीच' कहते है।

जलाशय में अनेक प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। वन क्षेत्र में साल वृक्ष तो हैं ही, अर्जुन, कचनार, कदंब, हर्र, बहेड़ा, कुसुम, जामुन, बरगद, बेल, सेमल आदि अनेक प्रकार के बड़े वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां और घासें भी यहां देखी जा सकती हैं। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। यह स्थान पीलीभीत से लगभग ५० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।

लग्गा भग्गा वन क्षेत्र -

कृषि वानिकी विज्ञान केन्द्र, पीलीभीत

बराही क्षेत्र के अंतरगत इस वन प्रभाग की सीमा नेपाल से मिलती है। इसके एक ओर शारदा नदी है, दूसरी ओर नेपाल की 'शुक्ला फाटा सेंचुरी' तीसरी ओर किशनपुर का वन्य जीव विहार। यहां पर एक ओर बड़े-बड़े पेड़ हैं तो दूसरी ओर ऊंची घास और दलदल। यह अनेक प्रकार के पशुओं के निवास की आदर्श परिस्थतियां पैदा करता है। यहां सियार, हिरन और लोमड़ी जैसे मध्य आकार के पशु तो है ही शेर, हाथी और गैंडे भी आराम से विहार करते हुए देखे जा सकते हैं। यह वन क्षेत्र पीलीभीत से ७० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। विविध प्रकार के रंग बिरंगे पक्षी जैसे धनेश, कठफोड़ा, नीलकंठ, जंगली मुर्गा, मोर, सारस भी यहां देखे जा सकते हैं। यहाँ दुर्लभ प्रजाति का एक खरगोश भी पाया जाता है जिसे 'स्पिड हेअर' कहते हैं।

"गोमती उदगम स्‍थल " उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की शान गोमती नदी का उदगम पीलीभीत से हुआ है यहां एक सरोवर है जिस्‍से गोमती नदी निकलती हैा

"चक्रतीरर्थ" पीलीभीत शहर से १० कि॰मी॰ की दूरी पर जहानावाद के निकट यह स्‍थान है यहां का सरोवर चक्र की तरह गोल है

"एकोत्‍तर नाथ"


दोनों वन प्रदेशों में जाने व ठहरने की समुचित व्यवस्था है।

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कडियाँ