कच्छ राज्य
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कच्छ राज्य 1947 से 1956 तक भारत के भीतर एक राज्य था। इसकी राजधानी भुज थी। वर्तमान समय का गुजरात का कच्छ जिला, कच्छ राज्य के क्षेत्र से ही बना है।
कच्छ की रियासत अंग्रेज शासन काल मे बड़ी रियासतों मे गिनी जाती थी। ये गुजरात राज्य के आधुनिक कच्छ ज़िले के क्षेत्र मे थी। इस रियासत का क्षेत्र फल १७,६१६ वर्ग मील था और आबादी ४८८,०२२ (१९०१ जनगणना के अनुसार)। कच्छ के शासक जडेजा राजपूत थे। कच्छ के शासक को १७ तोपों की सलामी का अधिकार था। १९४८ मे ये रियासत भारतीय संघ मे शामिल हो गयी।
इतिहास
कच्छ रियासत से पहले एक राज्य था और इस की स्थापना ११४७ ई मे हुई थी।
खेंगार जी तृतीया कच्छ के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजा थे। उनका शासन 23 अगस्त 1866 को शुरू हुआ और 15 जनवरी 1942 तक चला।
कच्छ के अंतिम शासक श्री मदनसिंहजी थे, जिन्होने 26 जनवरी १९४८ से शासन शुरू किया। उसी वर्ष ४ मई को यह रियासत भारत में शामिल हो गयी।
अर्थव्यवस्था
कच्छ रियासत से पहले एक राज्य था और इस की स्थापना ११४७ ई मे हुई थी।
कृषि कच्छ की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र था। कुल कृषि भूमि 14.5 लाख एकड़ थी, जिसमें से 6 लाख एकड़ शासक की थी, जबकि शेष अन्य प्रमुखों की थी। बाजरा, दाल और कपास खरीफ की प्रमुख फसलें थीं। गेहूं, जौ और चना महत्वपूर्ण रबी फसलें थीं।
मुद्रा
कच्छ की मुद्रा कोरी थी। यह 4.6 ग्राम वजन का एक चांदी का सिक्का था। 15 वीं शताब्दी के मध्य से 1948 तक, सिक्के का वजन लगभग समान था। कुछ अन्य रियासतों, जैसे कि नवानगर, पोरबंदर और जूनागढ़ की मुद्रा को भी कोरी कहा जाता था।[१]
सन्दर्भ
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