विंध्य क्षेत्र
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विन्ध्य प्रदेश, भारत का एक भूतपूर्व प्रदेश था जिसका क्षेत्रफल 23,603 वर्ग मील था। [१] भारत की स्वतन्त्रता के बाद सेन्ट्रल इण्डिया एजेन्सी के पूर्वी भाग के रियासतों को मिलाकर १९४८ में इस राज्य का निर्माण किया गया था। इस राज्य की राजधानी रीवा थी। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण में मध्य प्रदेश था।
विंध्य क्षेत्र पारंपरिक रूप से विंध्याचल पर्वत के आसपास का पठारी भाग को कहा जाता है।
इतिहास
१९४८ में भारत की स्वतंत्रता के बाद मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में स्थित कुछ रियासतों को मिलाकर विंध्यप्रदेश की रचना की गई थी। इसमें भूतपूर्व रीवां रियासत का एक बड़ा हिस्सा, बघेलखंड, बुंदेलखंड आदि थे। इसकी राजधानी रीवां थी। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा दतिया राज था। १ नवम्बर १९५६ को ये सब मिलाकर मध्यप्रदेश बना दिए गए थे। यह क्षेत्र सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है। विंध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री पं॰ शम्भूनाथ शुक्ल जी थे, जो शहडोल के रहने वाले थे। उनके नाम पर शहडोल में बड़ा शासकीय महाविद्यालय है और रीवा विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक हाल भी उन्हीं के नाम पर है। राजधानी स्थित मंत्रालय में भी श्री शुक्ल जी के नाम पर कई कक्ष स्थापित है।
वर्तमान मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, शहडोल,अनूपपुर, सिंगरौली, पन्ना, छ्ततरपुर, टीकमगढ, दतिया और उमरिया जिले पूर्व विंध्य प्रदेश का भाग थे. विंध्य प्रदेश सफेद शेरों के लिए विश्व में प्रसिद्ध है. सतना जिले के बेला-गोविंदगढ मार्ग एवं रीवा-मुकुंदपुर मार्ग(निपानिया-तमरा रोड) पर मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी की स्थापना की गयी है. जो रीवा से 12 किलोमीटर है
प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर इस प्रदेश में चूना, कोयला, हीरा, प्राकृतिक गैस जैसी अनमोल सम्पदा विद्ययमान है.
विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री
1: अवधेश प्रताप सिंह, (1948 से 1949 तक) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2: एस.एन.मेहता, (1949 से 1952 तक) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3: शम्भूनाथ शुक्ल, (1952 से 1956 तक) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस