ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा
ऍप्सिलन ऍरिडानी (बायर नाम: ε Eridani या ε Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 10.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (यानि सापेक्ष कान्तिमान) 3.73 मैग्नीट्यूड मापी गई है। यह एक नारंगी रंग का K2 श्रेणी वाला मुख्य अनुक्रम तारा है जिसका सतही तापमान लगभग 5,000 कैल्विन है। इसका द्रव्यमान (मास) और व्यास (डायामीटर) सूरज से थोड़े छोटे हैं।
वैज्ञानिक पिछले 20 साल से ऍप्सिलन ऍरिडानी की हिलावट का अध्ययन कर रहें हैं और इस से उन्होंने अंदाज़ा लगाया है के इसके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसा एक गैस दानव ग्रह तारे से 3.4 खगोलीय इकाईयों (ख॰इ॰) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "बी" रखा है। उनका यह भी अनुमान है के इस तारे के इर्द-गिर्द दो क्षुद्रग्रहों (ऐस्टेरोईड) के घेरे हैं - एक 3 ख॰इ॰ की दूरी पर और दूसरा 20 ख॰इ॰ की दूरी पर। यह भी मुमकिन है के एक और भी ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा हो, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "सी" रखा है। अभी तक जितने भी तारों के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह मिले हैं, ऍप्सिलन ऍरिडानी उन सब में पृथ्वी के सब से पास है।[१]
विवरण
ऍप्सिलन ऍरिडानी हमारे सूरज का तेरहवा सब से नज़दीकी तारा है। इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का 82% है और इसका व्यास सूरज के व्यास का 74% है। इसकी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) सूरज की चमक की सिर्फ़ 34% है। इस तारे की चुम्बकीय प्रक्रियाएँ सूरज से काफ़ी ज़्यादा हैं जिस से खगोलशास्त्री अनुमान लगते हैं की इसकी बाहरी गैस-मंडल में सूरज से अधिक हरकत चल रही है।
ग्रहों और क्षुद्रग्रहों के अलावा इस तारे के इर्द-गिर्द बहुत सी धूल भी पाई गई है जो इसके तारे पर केन्द्रित चक्र बनाए हुए है।
साहित्य में
क्योंकि ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा सूरज से थोड़ा-बहुत मिलता-जुलता है, इसलिए विज्ञान कथा साहित्य (साइन्स फिक्शन) में इस तारे पर आधारित बहुत सी काल्पनिक कहानियाँ बनी हैं। यह या तो इसके ग्रहों पर जीवों के मिलने की कल्पना करती हैं या फिर यहाँ मनुष्यों के नए बसेरों के बनाने की।