आसाराम
आसाराम | |
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जन्म |
आसूमल सिरूमलानी साँचा:birth date and age ग्राम बेराणी, नवाबशाह जिला, सिंध प्रान्त, ब्रितानी भारत |
आवास | अहमदाबाद, गुजरात, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू |
जीवनसाथी | लक्ष्मी देवी |
बच्चे |
नारायण साईं (पुत्र) भारती देवी (पुत्री) |
माता-पिता |
महँगीबा (माँ) थाऊमल सिरूमलानी (पिता) |
वेबसाइट [१] |
आसाराम (पूरा नाम: आसूमल थाऊमल सिरुमलानी[१] अथवा आसूमल सिरूमलानी,[२] जन्म: 17 अप्रैल 1941, नवाबशाह जिला, सिंध प्रान्त) भारत के महान, आध्यात्मिक सन्त है[३] जो अपने शिष्यों को एक सच्चिदानन्द ईश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते हैं। उन्हें उनके भक्त प्राय: बापू के नाम से सम्बोधित करते हैं। आसाराम 450 से अधिक छोटे-बड़े आश्रमों के संचालक हैं। उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में है।
आसाराम सामान्यतः विवादों से जुड़े रहे हैं जैसे आपराधिक मामलों में उनके खिलाफ दायर याचिकाएँ, उनके आश्रम द्वारा अतिक्रमण, 2012 दिल्ली दुष्कर्म पर उनकी टिप्पणी एवं 2013 में नाबालिग लड़की का कथित यौन शोषण। उन पर लगे आरोपों की आँच उनके बेटे नारायण साईं तक भी पहुंची। न्यायालय ने उन्हें 5 साल तक न्यायिक हिरासत में रखने के बाद 25अप्रैल को नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा का निर्णय लिया है। फ़िलहाल आसाराम जोधपुर जेल की सलाखों के पीछे कैद हैं।[४]
यौन छेड़छाड़ का यह मामला 20 अगस्त 2013 को प्रकाश में आया जब एक एफ आई आर दिल्ली के कमला नगर थाने में रात 2 बजे दर्ज हुई। घटना जोधपुर के मड़ई में स्थित फार्म हाउस में 16 अगस्त की बताई जाती है। एफ़ आई आर में 20 अगस्त को लड़की ने आरोप लगाया है बापू ने रात उसे कमरे में बुलाया व 1 घंटे तक यौन छेड़छाड़ की। लड़की उत्तरप्रदेश के शाहजहापुर की निवासी है जो 12वीं कक्षा में छिंदवाड़ा में आश्रम के कन्या छात्रा वास में पड़ती थी।
जीवनी
पूर्व जीवन
आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941[५] को ब्रितानी भारत के नवाबशाह जिले के बेराणी गाँव में, जो अब पाकिस्तान में है, हुआ था। उनकी माँ का नाम महँगीबा एवं पिता का नाम थाऊमल सिरूमलानी था।[६][७] 1947 में भारत विभाजन के समय वे और उनके परिवार के सभी लोग भारतीय अधिराज्य के गुजरात राज्य के अहमदाबाद में स्थापित हो गये। धन-वैभव सब कुछ छूट जाने के कारण परिवार आर्थिक संकट के चक्रव्यूह में फँस गया। अहमदाबाद आने के बाद आजीविका के लिए थाऊमल ने शक्कर विक्रय व्यवसाय आरम्भ किया।। [८] पिता के निधन के बाद, उन्होंने अपनी माँ से ध्यान और आध्यात्मिकता की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और देश भ्रमण पर निकल पड़े। भ्रमण करते-करते वे स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के आश्रम नैनीताल चले गये।[९]
व्यक्तिगत
अपने व्यक्तिगत जीवन में आसूमल ने लक्ष्मी देवी से विवाह कर लिया जिससे उनके एक पुत्र नारायण साईं और एक पुत्री भारती देवी उत्पन्न हुए।
आसूमल से आसाराम
नैनीताल में गुरू से दीक्षा लेने के बाद गुरु ने नया नाम दिया आसाराम। और घूम घूम कर आध्यात्मिक प्रवचन के साथ-साथ स्वयं भी गुरु-दीक्षा देने लगे। उनके सत्संग कार्यक्रमों में श्रद्धालु भारी संख्या में पहुँवने लगे। लगभग 20,000 छात्र तो उनके अहमदाबाद में दिसम्बर 2001 में हुए सत्संग में ही पहुँचे थे।[१०] अगस्त 2012 में गोधरा के समीप उनका हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें संयोग से आसाराम व पायलट सहित सभी यात्री सुरक्षित बच गये।[११] उसके बाद उनके सत्संग में शामिल होने वालों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी होती चली गयी।
विवादों में आसाराम
अगस्त 2013 में बापू आसाराम के ऊपर जोधपुर में उनके ही आश्रम में एक कथित षोडशी (सोलह साल की) कन्या असलियत में 18 साल से ऊपर के साथ कथित अप्राकृतिक दुराचार के आरोप लगे।[१२][१३][१४] दो दिन बाद नाबालिग कन्या के पिता ने दिल्ली जाकर पुलिस में इस काण्ड की रिपोर्ट दर्ज़ करायी। पुलिस ने मेडिकल टेस्ट कराया जो जे के हॉस्पिटल मैं हुआ डॉ के अनुसार उसकेे साथ कोई खरोंच तक के निशान नहीं है न ही छेेेड़छड़ हुुुई।
केस में पॉस्को एक्ट लगाया गया है यद्यपि शाहजहां पुर के विद्यालय के सर्टिफिकेट के अनुसार लड़की वयस्क है। उसने कन्या का कलमबन्द बयान लेकर सारा मामला राजस्थान पुलिस को ट्रान्सफर कर दिया।[१५] आसाराम को पूछताछ हेतु 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया गया। इसके बावजूद जब वे हाजिर नहीं हुए तो दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से बन्धक बनाना), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक हथकण्डे) के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज़ करने हेतु जोधपुर की अदालत में सारा मामला भेज दिया।[१६] फिर भी आसाराम गिरफ़्तारी से बचने के उपाय करते रहे। उन्होंने इन्दौर जाकर प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया। पण्डाल के बाहर गिरफ़्तारी को पहुँची पुलिस के साथ बापू के समर्थकों ने हाथापायी की।[१७] आखिरकार रात के बारह बजे तक प्रतीक्षा करने के बाद जैसे ही 1 सितम्बर 2013 की तारीख आयी, राजस्थान पुलिस ने आसाराम को गिरफ़्तार कर लिया और विमान द्वारा जोधपुर ले गयी।[१४][१८] उन्होंने नाबालिग कन्या के सभी आरोपों को नकारते हुए[१९] केन्द्र में सत्तारूढ़ काँग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर उनके विरुद्ध षड्यंत्र रच राजनीतिक रूप से फसाने का आरोप लगाया है [२०]जहाँ बचाव पक्ष के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा एक के बाद एक नये खुलासे करते जा रहे हैं।
अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने लड़की की उम्र व जन्मतिथि के संबंध में बताया कि अनुसंधान अधिकारी द्वारा पीड़िता के मात्र जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर सैकंडरी एजुकेशन बोर्ड की अंकतालिका रिकॉर्ड पर ली गई है , परन्तु अनुसंधान अधिकारी द्वारा सैकंडरी एज्यूकेशन बोर्ड में आवेदन पत्र को रिकॉर्ड पर नहीं लिया तथा अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर पाया कि अंकतालिका में जो जन्मतिथि का अंकन है वह किस दस्तावेज के आधार पर किया गया है।
घटना के बाद बनाया स्कूल का फर्जी सर्टिफिकेट
अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने अंतिम बहस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अभियोजन ने संत आसारामजी बापू के खिलाफ फर्जी तरीके से गवाह और साक्ष्य बनाए है, उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश स्थित शाहजहाँपुर के प्राथमिक स्कूल के प्रिंसिपल अरविंद वाजपेयी ने कोर्ट में मिथ्या गवाही दी थी कि वह [[२]] तक स्कूल का प्रिंसिपल था। जबकि हकीकत में वह एक वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत हो गया था। अधिवक्ता सुराणा ने कहा कि तथाकथित घटना के बाद पीडिता अभिभावक ने षड्यंत्र के तहत लड़की का स्कूली स्थानांतरण प्रमाण पत्र बनाया और कोर्ट में पेश कर दिया, इसके विपरीत बीमा पॉलिसी के दस्तावेज की तरफ न्यायालय का ध्यान केंद्रित करते हुए वकील ने बताया कि इस पॉलिसी के दस्तावेज में अंकित जन्मतिथि के आधार पर घटना के दिन पीड़िता बालिग थी।
न्यायालय में जन्मतिथि की कमियां जाहिर की...[२१]
बचाव पक्ष द्वारा रखे गये तर्कों के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के दृष्टांत भी पढ़कर सुनाये गए। साथ ही अभियोजन गवाहों के विरोधाभासी बयान (जो कि जन्मतिथि से सबंधित थे) की कमियां न्यायालय के समक्ष जाहिर की गई।
बापू आसारामजी के अधिवक्ता ने दावा किया है कि पीड़ित लड़की उस समय नाबालिग नहीं थी जिस समय उसने मणाई गाँव, जोधपुर में आसारामजी बापू पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था । उन्होंने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई केसों के उदाहरण देते हुए कहा कि जीवन बीमा एक कानूनी दस्तावेज है जो कानून में किसी भी उम्र संबंधी विवाद में पर्याप्त साक्ष्य होता है।
लड़की की माँ ने जो जीवन बीमा खरीदी थी उसमें लड़की की जन्म दिनांक 1/7/1994 उल्लेखित है और इस जन्म दिनांक के मुताबिक लड़की ने जिस समय का आरोप लगाया है उस समय वो नाबालिग नहीं थी बल्कि 19 साल से ज्यादा की हो चुकी थी। तो किस आधार पर संत आसारामजी बापू पर Act लगाया गया ?
अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने यह भी कहा कि लड़की की उम्र संबंधी अलग-अलग दस्तावेजों में अंतर होने के बावजूद अभियोजन पक्ष ने इसकी परवाह नहीं की और किसी अधिकृत अधिकारी से उन दस्तावेजों में जो उम्र संबंधी अंतर आ रहा था, उसकी जाँच नहीं करवाई।
मणाई फार्म हाउस के बापू आसारामजी ट्रस्टी नही थे..
बचाव पक्ष अधिवक्ता ने आगे बहस जारी रखते हुए कहा कि अगर बापू आशारामजी जोधपुर मणाई फार्म हाउस के ट्रस्टी थे, तो अभियोजन पक्ष ने इस संबंध में कोई सबूत पेश क्यों नहीं की? अगर कोई विश्वास योग्य होती तो रेजिस्टर होती, कोई व्यक्ति आकर उसको साबित करता, परन्तु का कोई डॉक्युमेंटt पेश नहीं हुआ। इसलिए ट्रस्टी होने को लेकर जो आरोप हुए हैं उसकी जीरो वैल्यू है।
अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने पहले भी न्यायालय में सबूत सहित कई खुलासे किए हैं[२२]
1- FIR करवाई गई घटना के 5 दिन बाद। वो भी जोधपुर की घटना बताकर, दिल्ली में रात्रि 2:45 बजे FIR किया।
2- रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्घ तरीके से फाड़ें गए।
3- FIR दो दिन बाद न्यायालय में पेश की गई।
4- अलग-अलग सर्टिफिकेट में पाई गई लड़की की अलग-अलग उम्र।
5- FIR लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई।
6- FIR और FIR की कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया।
7- मेडिकल में नहीं मिला एक खरोंच का भी निशान, मेडिकल में भी क्लीनचिट मिल चुकी है।
8- सुब्रमण्यम स्वामी जी के अनुसार - कॉल डिटेल्स से पता चला है कि जिस समय घटना बता रही है उस समय तो वे अपने मित्र से बात कर रही थी और पूरी रात उस लड़के से मैसेज से बात कर रही थी।
9 - लड़की की माँ दिल्ली में ही गिरफ्तार करवाना चाहती थी।
10- लड़की और उसके मां-बाप ने जो भूत-प्रेत की छाया बताने की घटना बताई है वो कल्पना करके झूठी बनाई गई है।
आपको बता दें कि अधिवक्ता #सुराणा ने और भी कई #खुलासे किये है जिससे साफ पता चलता है कि #बापू #आशारामजी को #षडयंत्र के तहत #फंसाया #गया है।
केवल न्यायालय में सुराणा ने केस के खुलासे किए ऐसी बात नही है दिग्गज न्यायविद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी भी पहले न्यायालय में आकर सनसनीखेज खुलासे किये हैं और सबूत सहित बताया है कि बापू आशारामजी को सुनियोजित षडयंत्रपूर्वक जेल भिजवाया है।
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी तो गृहमंत्री राजनाथ को भी बता चुके है कि बापू आशारामजी को जेल में रखने का फालतू
न्यायिक हिरासत में
फिलहाल आसाराम जोधपुर की जेल में बन्द हैं और जमानत के लिये प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जमानत के लिये राम जेठमलानी को अपना वकील नियुक्त किया। राजस्थान उच्च न्यायालय में जेठमलानी द्वारा यह दलील दी गयी कि आरोप लगाने वाली लड़की बालिग है व मानसिक रूप से विक्षिप्त है तथा उनके मुवक्किल (आसाराम) को एक साजिश के तहत फँसाया गया है। टीवी चैनल पर यह समाचार देखते ही शाहजहाँपुर में रह रही पीड़ित बालिका ने आहत होकर अपने बाप से कहा कि वह अब जीना नहीं चाहती। पीड़िता के पिता ने कहा कि आसाराम को तो सजा न्यायालय से मिलेगी लेकिन उनकी बेटी पर मिथ्या आरोप लगाने वाले वकील को ईश्वर की अदालत में दण्ड मिलेगा।[२३] बहरहाल, अदालत ने आगामी 1 अक्टूबर 2013 तक का वक्त जेठमलानी को सबूत जुटाने के लिये दिया।
1 अक्टूबर 2013 को न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि आसाराम बाल यौन शोषण (पीडोफीलिया) नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं। गवाहों की गवाही अधूरी है इस मुद्दे को देखते हुए जज ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी।[२४] आरोपों की आँच उनके बेटे नारायण साईं तक पहुँच चुकी है। वह अभी तक फरार है और पुलिस के हाथ नहीं आ रहा। इन हालात को देखते हुए न्यायालय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने का निर्णय लिया है। फ़िलहाल आसाराम न्यायिक हिरासत में रहेंगे।
दुष्कर्म के आरोप में फंसे आसाराम के केस के 1 गवाह कृपाल सिंह की शनिवार रात रहस्यमयी मौत हो गई। उन्हें शुक्रवार रात घर लौटते समय अज्ञात बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारी थी। हालत बिगड़ने पर उन्हें शुक्रवार देर रात ही बरेली के मिशन हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई। [२५]
यौन शोषण के मामले में जोधपुर जेल में बंद आसाराम को 25 अप्रेल 2018 बुधवार को जोधपुर की विशेष अदालत ने आरोपी मानते हुए दाेेेषी करार दिया गया।[२६] इस फैसले के बाद जोधपुर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है जिसको हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए बहस जारी है
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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- ↑ अ आ साँचा:cite web
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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