अग्नि-4
अग्नि Agni-IV | |
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प्रकार | इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल |
उत्पत्ति का मूल स्थान | साँचा:flag/core |
सेवा इतिहास | |
सेवा में | 2014 |
द्वारा प्रयोग किया | भारतीय सशस्त्र सेना |
उत्पादन इतिहास | |
डिज़ाइनर | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) |
निर्माता | भारत डायनामिक्स लिमिटेड |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।[१] |
लंबाई | साँचा:convert[१] |
वारहेड | सामरिक परमाणु (~15 किलोटन से ~ 250 किलोटन), परम्परागत, थर्मोबेरिक |
इंजन | दो चरण ठोस प्रणोदक इंजन |
परिचालन सीमा | साँचा:convert[२][३] |
उड़ान ऊंचाई | साँचा:convert |
मार्गदर्शन प्रणाली | रिंग लेजर जाइरोस्कोप - जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली,वैकल्पिक रूप से संवर्धित जीपीएस / आईआरएनएसएस। |
प्रक्षेपण मंच | 8 x 8 (ट्रांसपोर्टर निर्माता लांचर), रेल मोबाइल लांचर |
अग्नि-4 (Agni-IV) एक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। अग्नि-4 अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में चौथा मिसाइल है जिसे पहले अग्नि 2 प्राइम मिसाइल कहा जाता था। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इस मिसाइल प्रौद्योगिकी में कई नई प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण सुधार को प्रदर्शित किया है। मिसाइल हल्के वजन वाली है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड मॉड्यूल है।[४] यह मिसाइल अपने प्रकारों में एक अलग ही मिसाइल है, यह पहली बार कई नई प्रौद्योगिकियों को साबित करती है और मिसाइल प्रौद्योगिकी के मामले में एक क्वांटम छलांग दर्शाती है। मिसाइल वजन में हल्का है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड है। मिश्रित रॉकेट मोटर, जिसे पहली बार इस्तेमाल किया गया है, ने उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया है। उच्च स्तर की विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए मिसाइल प्रणाली आधुनिक और कॉम्पैक्ट उड्डयनकी से सुसज्जित है। स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित उच्च सटीकता वाला जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईजीआईएस) को एक-दूसरे के साथ पहली बार सफलतापूर्वक मार्गदर्शन मोड में चलाया गया है। वितरित उड्डयनकी आर्किटेक्चर, हाई स्पीड विश्वसनीय संचार बस और एक पूर्ण डिजिटल कंट्रोल सिस्टम के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर मिसाइल को लक्ष्य पर नियंत्रित और निर्देशित करता है। मिसाइल उच्च स्तर की बहुत सटीकता से लक्ष्य तक पहुंचता है। लॉन्च रेज के साथ रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियों ने मिसाइल के सभी मापदंडों को ट्रैक और मॉनिटर किया है।
डॉ विजय कुमार सारस्वत, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, डीआरडीओ के महानिदेशक , जिन्होंने इस प्रक्षेपण को देखा, ने अग्नि-4 के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी। लॉन्च के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए, श्री अविनाश चंदर, चीफ कंट्रोलर (मिसाइल एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम), डीआरडीओ और अग्नि प्रोग्राम के डायरेक्टर ने इसे भारत में आधुनिक लांग रेंज नेविगेशन सिस्टम में एक नए युग के रूप में बुलाया। उन्होंने कहा, "इस परीक्षा ने अग्नि-5 मिशन की सफलता के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जो शीघ्र ही शुरू होगा।"
श्रीमती टेस्सी थॉमस, अग्नि-4 परियोजना की निदेशक और उनकी टीम ने मिसाइल प्रणाली को तैयार और एकीकृत किया तथा मिसाइल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। एक उत्साही स्वर में उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने मिश्रित रॉकेट मोटर्स जैसे मिसाइल प्रणाली में कई कला प्रौद्योगिकियां साबित कर दी हैं जिसमे बहुत उच्च सटीकता वाली स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम, माइक्रो नेविगेशन सिस्टम, डिजिटल कंट्रोलर सिस्टम और बहुत शक्तिशाली जहाज पर कंप्यूटर सिस्टम आदि शामिल है। सेना के लिए सामरिक हथियार को ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल ने देश के लिए एक शानदार प्रतिरोध प्रदान किया है और इसे बडी संख्या में उत्पादन कर जितनी जल्दी ही सशस्त्र बलों को दिया जाएगा। श्री एस.के. रे, निदेशक आरसीआई, श्री पी. वेणुगोपालन, निदेशक डीआरडीएल, डॉ वी.जी. सेकर्ण, एसएसएल के निदेशक और श्री एस.पी. दैश, निदेशक आईटीआर भी लॉन्च के दौरान उपस्थित थे और सभी गतिविधियों की समीक्षा की।
विकास
डीआरडीओ ने अग्नि-4 के लिये देश में कई प्रौद्योगिकियों का उत्पादन किया। जिसमे मिश्रित रॉकेट मोटर्स, बहुत उच्च सटीकता वाला रिंग लेजर जियोरो आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम, माइक्रो नेविगेशन सिस्टम, डिजिटल कंट्रोलर सिस्टम और बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर सिस्टम शामिल था।[४] अग्नि-4 अग्नि-2 और अग्नि-3 के बीच की खाई को भरने के लिये पुल के रूप में कार्य करता है। अग्नि 4 1 टन का हथियार ले जा सकता है। यह उच्च रेंज प्रदर्शन के साथ मार दक्षता बढ़ाने के लिए बनाया गया है। अग्नि 4 अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस है, जिसमें स्वदेशी तौर पर विकसित रिंग लेजर जियोरोऔर मिश्रित रॉकेट मोटर शामिल हैं। यह ठोस प्रणोदक द्वारा संचालित एक दो चरण वाली मिसाइल है। इसकी लंबाई 20 मीटर है और लांच वजन 17 टन है। इसे सड़क के मोबाइल लांचर से लॉन्च किया जा सकता है।[५][६] इस मिसाइल का निर्माण दुश्मान देश की एन्टी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को भेदने के लिये किया गया है। क्युकि इस मिसाइल में राडर से बचने के क्षमता है जो इसे दुश्मान देश की एन्टी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से बचाती है और अपने लक्ष्य पर बिना अवरोधन के वार करने में सक्षम बनाता है।[७]
परिक्षण
अग्नि 5 के पांच साल के दौरान एक असफल और चार सफल परीक्षण हुए हैं।[८]
- 15 नवंबर 2011: उड़ीसा तट पर व्हीलर द्वीप से 9:00 बजे सड़क पर एक मोबाइल लॉन्चर से, अग्नि-4 को पहली बार सफलतापूर्वक ळोन्च किया गया। मिसाइल ने अपनी प्रक्षेपवक्र के बाद 900 किमी की ऊंचाई हासिल की और बंगाल की खाड़ी के अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में पूर्व-निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचा। सभी मिशन उद्देश्य पूरी तरह से पूरे हुए थे। 3,000 डिग्री सेल्सियस (5,430 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक के पुन: प्रवेश तापमान का सामना करने के अंत तक सभी सिस्टम ने पूरी तरह से कार्य किया।[४]
- 19 सितंबर 2012: उड़ीसा तट पर, व्हीलर द्वीप से 4,000 किलोमीटर की पूरी श्रृंखला के लिए फिर से मिसाइल का परीक्षण किया गया। मिसाइल सुबह 11.48 बजे पर एक सड़क मोबाइल लांचर से लॉन्च किया गया था।[९] और 800 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुचने के बाद, इसने वायुमंडल में फिर से प्रवेश किया और 20 मिनट की उड़ान के बाद सटीकता की उल्लेखनीय डिग्री के साथ हिंद महासागर में पूर्व-नियुक्त लक्ष्य पर वार किया। एक टन वजन वाले विस्फोटकों का पेलोड ले जाने के बाद मिसाइल ने वातावरण में फिर से प्रवेश किया और 3,000 डिग्री सेल्सियस (5,430 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक तापमान का सामना किया।[२][१०]
- 20 जनवरी 2014: उड़ीसा तट से व्हीलर द्वीप पर एकीकृत परीक्षण रेंज के लांच कॉम्प्लेक्स-4 से, सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने वास्तविक हथियार और सड़क-मोबाइल विन्यास में मिसाइल का परीक्षण किया। मिसाइल ने 850 किलोमीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तय की और इसकी पूरी श्रृंखला 4,000 किमी तक पहुची। मिसाइल पर रिंग लेजर जियरो-आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (आरआईएनएस) और माइक्रो-नेविगेशन सिस्टम (एमआईजीआईएस) ने मिसाइल को अपने लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर गिरने में सक्षम बनाया। 4,000 डिग्री सेल्सियस (7,230 डिग्री फारेनहाइट) के उच्च तापमान के साथ फिर से पुन:प्रवेश शील्ड ने वैमानिकी के अन्दर 50 डिग्री सेल्सियस (122 डिग्री फारेनहाइट) से कम तापमान करने में सक्षम बना रहा। मिसाइल की उन्पादन लाइन 2014 या 2015 के प्रारंभ से शुरू होगी थी।[११][१२]
- 2 दिसंबर 2014: सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।[१३] यह पहला उपयोगकर्ता परीक्षण था और लगातार चौथी सफल उड़ान थी। मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल किया चुका है।[१४]
- 9 नवंबर 2015: त्रि-सेवा सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा उपयोगकर्ता परीक्षण के भाग के रूप में अग्नि-4 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। डीआरडीओ अधिकारियों के अनुसार, मिसाइल सभी मिशन पैरामीटरों पर खरी उतरी।[८][१५]
- 2 जनवरी 2017: अग्नि-4 को सुबह 11.55 बजे सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा उपयोगकर्ता परीक्षण के भाग के रूप में व्हीलर द्वीप के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) के लांच कॉम्प्लेक्स-4 से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। डीआरडीओ के अधिकारियों के अनुसार, प्रयोक्ता परीक्षण ने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया।[१६][१७][१८]
इन्हें भी देखें
- भारत में सामूहिक विनाश के हथियार
- भारतीय हाइपरसोनिक मिसाइल
- अग्नि 5
- अग्नि 6
- निर्भय क्रूज मिसाइल
- बराक 8
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ अ आ इ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।