कोलकाता के दर्शनीय स्थल
कोलकाता में ढेरों स्मारक एवं दर्शनीय स्थल हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं:-
मैदान और फोर्ट विलियम
हुगली नदी के समीप यह भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है। यह 3 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला है। मैदान के पश्चिम में फोर्ट विलियम है। चूंकि फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है, आपको यहां प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी।
ईडन गार्डन्स
एक छोटे से तालाब में बर्मा का पेगोडा स्थापित किया गया है, जो इस गार्डन का विशेष आकर्षण है। यह स्थान स्थानीय जनता में भी लोकप्रिय है।
विक्टोरिया मेमोरियल
1906-21 के बीच निर्मित यह स्मारक रानी विक्टोरिया को समर्पित है। इस स्मारक में शिल्पकला का सुंदर मिश्रण है। इसके मुगल शैली के गुंबदों में सारसेनिक और पुनर्जागरण काल की शैलियां दिखाई पड़ती हैं। मेमोरियल में एक शानदार संग्रहालय है, जहां रानी के पियानो और स्टडी-डेस्क सहित 3000 से अधिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। यह रोजाना प्रात: 10.00 बजे से सायं 4.30 बजे तक खुलता है, सोमवार को यह बंद रहता है।
सेंट पॉल कैथेड्रल
यह चर्च शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है, इसकी रंगीन कांच की खिड़कियां, भित्तिचित्र, ग्रांड-ऑल्टर, एक गॉथिक टावर दर्शनीय हैं। यह रोजाना प्रात: 9.00 बजे से दोपहर तक और सायं 3.00 बजे से 6.00 बजे तक खुलता है।
नाखोदा मस्जिद
लाल पत्थर से बनी इस विशाल मस्जिद का निर्माण 1926 में हुआ था, यहां 10,000 लोग आ सकते हैं।
मार्बल पैलेस
एम जी रोड पर स्थित आप इस पैलेस की समृद्धता देख सकते हैं। 1800 ई. में यह पैलेस एक अमीर बंगाली जमींदार का आवास था। यहां कुछ महत्वपूर्ण प्रतिमाएं और पेंटिंग हैं। सुंदर झूमर, यूरोपियन एंटीक, वेनेटियन ग्लास, पुराने पियानो और चीन के बने नीले गुलदान आपको उस समय के अमीरों की जीवनशैली की झलक देंगे।
पारसनाथ जैन मंदिर
1867 में बना यह मंदिर वेनेटियन ग्लास मोजेक, पेरिस के झूमरों और ब्रूसेल्स, सोने का मुलम्मा चढ़ा गुंबद, रंगीन शीशों वाली खिड़कियां और दर्पण लगे खंबों से सजा है। यह रोजाना प्रात: 6.00 बजे से दोपहर तक और सायं 3.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है।
बेलूर मठ
बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है, इसकी स्थापना 1899 में स्वामी विवेकानंद ने की थी, जो रामकृष्ण के शिष्य थे। यहां 1938 में बना मंदिर हिंदु, मुस्लिम और इसाईशैलियों का मिश्रण है। यह अक्टूबर से मार्च केदौरान प्रात: 6.30 बजे से 11.30 बजे तक और सायं 3.30 बजे से 6.00 बजे तक तथा अप्रैल से सितंबर तक प्रात: 6.30 बजे से 11.30 बजे तक और सायं 4.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित यह मां काली का मंदिर है, जहां श्री रामकृष्ण परमहंस एक पुजारी थे और जहां उन्हें सभी धर्मों में एकता लाने की अनुभूति हुई।
काली मंदिर
सडर स्ट्रीट से 6 कि॰मी॰ दक्षिण में यह शानदार मंदिर कोलकाता की संरक्षक देवी काली को समर्पित है। काली का अर्थ है "काला"। काली की मूर्ति की जिह्वा खून से सनी है और यह नरमुंडों की माला पहने हुए हैं। काली, भगवान शिव की अर्धांगिनी, पार्वती का ही विनाशक रूप है। पुराने मंदिर के स्थान पर ही वर्तमान मंदिर 1809 में बना था। यह प्रात: 3.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक खुलता है।
मदर टेरेसा होम्स
इस स्थान की यात्रा आपकी कोलकाता यात्रा को एक नया आयाम देगी। काली मंदिर के निकट स्थित यह स्थान सैंकड़ों बेघरों और "गरीबों में से भी गरीब लोगों" का घर है - जो मदर टेरेसा को उद्धृत करता है। आप अपने अंशदान से जरुरतमंदों की मदद कर सकते हैं।
बॉटनिकल गार्डन्स
कई एकड़ में फैली हरियाली, पौधों की दुर्लभ प्रजातियां, सुंदर खिले फूल, शांत वातावरण...यहां प्रकृ ति के साथ शाम गुजारने का एक सही मौका है। नदी के पश्चिमी ओर स्थित इस गार्डन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बरगद का पेड़ है, जो 10,000 वर्ग मीटर में फैला है, इसकी लगभग 420 शाखाएं हैं।