कमलादेवी चट्टोपाध्याय
कमलादेवी चट्टोपाध्याय | |
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जन्म |
कमलादेवी 03 April 1903 मंगलौर, कर्नाटक, भारत |
मृत्यु |
29 October 1988साँचा:age) बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत | (उम्र
शिक्षा प्राप्त की | बेडफोर्ड कॉलेज (लंदन) |
जीवनसाथी |
साँचा:marriage साँचा:marriage |
बच्चे | रामाकृष्ण चट्टोपाध्याय |
पुरस्कार | साँचा:nowrap |
कमलादेवी चट्टोपाध्याय (3 अप्रैल 1903 साँचा:ndash 29 अक्टूबर 1988) भारतीय समाजसुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, तथा भारतीय हस्तकला के क्षेत्र में नवजागरण लाने वाली गांधीवादी महिला थीं। उन्हें सबसे अधिक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के लिए; स्वतंत्र भारत में भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा, और थियेटर के पुनर्जागरण के पीछे प्रेरणा शक्ति के लिए; और सहयोग की अगुआई करके भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक स्तर के उत्थान के लिए याद किया जाता था। उन्हे समाज सेवा के लिए १९५५ में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया।
डॉ॰ कमलादेवी ने आजादी के तुरंत बाद शिल्पों को बचाए रखने का जो उपक्रम किया था उसमें उनकी नजर में बाजार नहीं था। उनकी पैनी दृष्टि यह समझ चुकी थी कि बाजार को हमेशा सहायक की भूमिका में रखना होगा। यदि वह कर्ता की भूमिका में आ गया तो इसका बचना मुश्किल होगा, परंतु पिछले तीन दशकों के दौरान भारतीय हस्तशिल्प जगत पर बाजार हावी होता गया और गुणवत्ता में लगातार उतार आता गया। भारतभर के हस्तशिल्प विकास निगमों ने शिल्पों को बाजार के नजरिये से देखना शुरू कर दिया। उनको इसमें आसानी और सहजता भी महसूस हो रही थी।
जीवनी
लेखन
कमलादेवी चट्टोपाध्याय को लिखने का भी शोंक था और उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जो लोगो में काफी चर्चित हुयीं।लोगों ने उनके द्वारा लिखीं पुस्तकों को काफी सराहा।
- द अवेकिंग ऑफ इंडियन वोमेन
- जापान इट्स विकनेस एंड स्ट्रेन्थ
- अंकल सैम एम्पायर
- ‘इन वार-टॉर्न चाइना
- टुवर्ड्स ए नेशनल थिएटर’
इसी तरह उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और इसी के साथ लेखनकार्य में भी अपना महत्वपुर योगदान दिया।
कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार
स्मृति ईरानी द्वारा मार्च २०१७ में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला बुनकरों एवं शिल्पियों के लिए ‘कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ शुरू करने की घोषणा की गयी।