दक्षिण सिक्किम जिला

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दक्षिण सिक्किम भारतीय राज्य सिक्किम का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नामची है। सिक्किम राज्य का यह छोटा-सा जिला बौद्ध संस्कृति, कला और धर्म के लिए जाना जाता है। जिले के अनेक मठ इसे भव्य और खूबसूरत बनाते हैं। राज्य की सबसे प्राचीनतम मठ इसी जिले में स्थित हैं। नामची जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। पश्चिम बंगाल से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस खूबसूरत जिले में ट्रैकिंग के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। यहां की तेंदांग पहाड़ी में बौद्ध लामाओं ने काफी समय ध्यान में व्यतीत किया है। टेमी टी गार्डन सिक्किम का पहला और एकमात्र टी गार्डन है जिसकी चाय की आपूर्ति अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में की जाती है। धार्मिक दृष्टि से भी इस जिले का विशेष महत्व है। राज्य की चार पवित्र गुफाओं में एक यहीं स्थित है।

प्रमुख आकर्षण

रावंग्ला

मेनम पहाड़ी के तल पर स्थित यह छोटा-सा नगर समुद्र तल से 6800 फीट की ऊंचाई पर है। माउंट नरसिंग की बर्फ से ढकी चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं। नगर से कुछ ऊपर ही तिब्बती शरणार्थी शिविर है, जहां से तिब्बती शैली के उलेन कॉरपेट खरीदे जा सकते हैं। मेनम हिल, तेन्दांग हिल और बोरोंग गर्म पानी के झरने के लिए यहां से ट्रैकिंग की जा सकती है।

टेमी टी गार्डन

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टेमी चाय बागान में स्थित चेरी रिजॉर्ट

सिक्किम टी मूलत: इसी टी गार्डन से जानी जाती है। देश-विदेश के अनेक शहरों से यहां से चाय निर्यात की जाती है। एक पहाड़ी के ढाल पर स्थित इस टी गार्डन आसपास के गांवों के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। यहां की टी फैक्ट्री में चाय बनाने की प्रक्रिया को देखा जा सकता है।

नामची

समुद्र तल से 4300 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस नगर से दार्जिलिंग, कलिंगपोंग और बर्फ से आच्छादित पर्वत चोटियों के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं। दक्षिण सिक्किम का यह जिला मुख्यालय साफ, सुथरा और तेजी से विकसित होता नगर है। पर्यटक यहां नियमित रूप से आते रहते हैं।

फुर-चा-छू

दक्षिण सिक्किम से 4 किलोमीटर दूर नया बाजार की तरफ रंगीत नदी के किनारे यह गर्म पानी का झरना स्थित है। यह पवित्र झरना औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। यहां जिले की पवित्र गुफा को भी देखा जा सकता है।

तेंदांग हिल

इस पहाड़ी को लेपचा लोर में दक्षिण सिक्किम का पवित्र स्थान माना गया है। माना जाता है कि जब यहां प्रलय आई थी तक यह पहाड़ी ही सींग की भांति खड़ी रही थी।

रालंग मठ

रावंग्ला से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मठ बौद्ध धर्म के कंग्‍युपा संप्रदाय से संबंधित है। यहां मूलत: दो मठ हैं। प्राचीन मठ को 1768 में बनवाया गया था। माना जाता है कि कंग्‍युपा संप्रदाय के प्रमुख 9वें करमापा ने तिब्बत से चावल फेंककर कृपा की थी। यहां हर साल मुखौटा नृत्य आयोजित किया जाता है।

समद्रुपत्से

भूटिया भाषा में समद्रुपत्से का अर्थ मनोकामना पूरी करने वाली पहाड़ी होता है। दक्षिण सिक्किम में नामची के निकट स्थित यह पहाड़ी गंगटोक से 75 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां भगवान पद्मसंभव की 135 फीट ऊंची अद्वितीय प्रतिमा स्थापित है। विश्व में इस तरह की यह सबसे ऊंची प्रतिमा है। इस प्रतिमा का डिजाइन और निर्माण क्याबजे डोडरूपचेम रिमपोछी की देखरेख में किया गया था। इस प्रतिमा का शिलान्यास बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने 22 अक्टूबर 1997 को किया था।

आवागमन

वायु मार्ग

पश्चिम बंगाल का बागडोगरा एयरपोर्ट यहां का करीबी एयरपोर्ट है जो देश के अनेक प्रमुख शहरों से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के माध्यम से सिक्किम पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

न्यू जलपाईगुडी और सिलीगुडी यहां के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। यहां से बस या टैक्सी नियमित रूप से सिक्किम के लिए चलती रहती हैं।

सड़क मार्ग

सिक्किम के सभी प्रमुख शहरों और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यह जिला सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। निजी बसें और टैक्सियां यहां के लिए चलती रहती हैं।

सन्दर्भ

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