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बंधुआ मजदूर प्रथा (समापन) अधिनियम, 1976 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बँधुआ मज़दूरी की बंधुआ मजदूरी की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लागू की गयी है।
बंधुआ मज़दूरी की कुप्रथा के उन्मूलन हेतु यह अधिनियम पारित कराया गया था ताकि जनसंख्या के कमज़ोर वर्गों के आर्थिक और वास्तविक शोषण को रोका जा सके और उनसे जुड़े एवं अनुषंगी मामलों के सम्बंध में कार्रवाई की जा सके। इसने सभी बंधुआ मज़दूरों को एकपक्षीय रूप से बंधन से मुक्त कर दिया और साथ ही उनके कर्जो को भी परिसमाप्त कर दिया। इसने बंधुआ प्रथा को कानून द्वारा दण्डनीय संज्ञेय अपराध माना।
यह कानून श्रम मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रशासित और कार्यान्वित किया जा रहा है। राज्य सरकारों के प्रयासों की अनुपूर्ति करने के लिए मंत्रालय द्वारा बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास की एक केन्द्र प्रायोजित योजना शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारों को बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिए समतुल्य अनुदानों (५०:५०) के आधार पर केन्द्रीय सहायता मुहैया कराई जाती है।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
भारतीय विधि |
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संविधान | |
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अपराध व नागरिक संहिता | |
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अधिनियम |
- सूचना का अधिकार अधिनियम
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
- कम्पनी अधिनियम, 1956
- दहेज प्रतिबंध अधिनियम
- मानवाधिकार की रक्षा अधिनियम, 1993
- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005
- बाल-विवाह निषेध अधिनियम, 2006
- अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956
- गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निषेध) अधिनियम, 1995
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
- हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
- हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956
- भारतीय इसाई विवाह अधिनियम, 1872
- बंधुआ मजदूर प्रथा (समापन) अधिनियम, 1976
- संविदा श्रम (नियमन एवं समापन) अधिनियम, 1970
- कारखाना अधिनियम, 1948
- औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
- असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम, 2005
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
- माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007
- सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम १८८२
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, २०१९
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