बिनोय-बादल-दिनेश बाग

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डलहौज़ी स्क्वायर
कोलकाता का क्षेत्र
बिनोय बादल दिनेश बाग़
बी.बी.डी. बाग में लाल दीघि के पार राइटर्स बिल्डिंग
बी.बी.डी. बाग में लाल दीघि के पार राइटर्स बिल्डिंग
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निर्देशांक: साँचा:coord
देशसाँचा:flag/core
राज्यपश्चिम बंगाल
शहरकोलकाता
जिलाकोलकाता
मेट्रो स्टेशनमहाकरन(निर्माणाधीन)
कोलकाता सर्कुलर रेलवेबी.बी.डी. बाग
नगर निगमकोलकाता नगर निगम
कोननि वार्ड45
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या
 • कुलFor population see linked KMC ward pages
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
PIN700001, 700062
दूरभाष कोड+91 33
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रकोलकाता उत्तर
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रचौरंगी

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बी.बी.डी. बाग ( बांग्ला;বিনয়-বাদল-দীনেশ বাগ), जिसे पहले डलहौजी स्क्वायर के नाम से जाना जाता था, बिनोय-बादल-दिनेश बाग का संक्षिप्त संस्करण है। यहाँ पश्चिम बंगाल राज्य सरकार का मुख्यालय स्थित है (राइटर्स बिल्डिंग, अभी नवीकरण के लिए बंद), साथ ही यह भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के कोलकाता जिले का केंद्रीय व्यवसायिक जिला भी है।

नामांकन

इस चौक या स्क्वायर का नाम 1847 से 1856 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड डलहौज़ी के नाम पर डलहौज़ी स्क्वायर रखा गया था। इससे पहले इसे समय समय पर 'ग्रीन बिफोर द फोर्ट' या टैंक स्क्वायर भी कहा जाता था।[१] बीबीडी बाग का वर्तमान नाम तीन स्वाधीनता सेनानियों, बिनोय (हिन्दी में विनय), बादल और दिनेश के नाम पर रखा गया है जिन्होने 8 दिसंबर 1930 को तत्कालीन कारागार महानिरीक्षक एन एस सिम्पसन की डलहौसी स्क्वायर में स्थित राइटर्स बिल्डिंग की बालकनी से गोली मार कर हत्या कर दी थी।

भौगोलिक स्थिति

बीबीडी बाग क्षेत्र केंद्रीय कोलकाता के पश्चिमी हिस्से में हुगली नदी के पास और पुराने लाल दीधि सरोवर के चारों ओर स्थित एक चौक है। आज जहाँ प्रधान डाकघर स्थित है वहाँ कभी अंग्रेजों द्वारा निर्मित पुराना फोर्ट विलियम किला था। एक समय में यह क्षेत्र पुराने कलकत्ता या 'व्हाइट टाउन' का हृदय स्थल था।

इतिहास

1870 के दशक में उतारपूर्व की ओर देखती डलहौज़ी स्क्वायर की एक तस्वीर

बीबीडी बाग (या डलहौज़ी स्क्वायर जैसा कि पहले जाना जाता था) को हुगली नदी के किनारे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक केंद्र के रूप में बनाया गया था। नदी और सरोवर (लाल दीघि) के बीच पुराना फोर्ट विलियम स्थित था। 1756 की गर्मियों में, बंगाल, बिहार और उड़ीसा के नवाब सिराज उद-दौला ने फोर्ट विलियम और उसके आसपास के क्षेत्र की किलेबंदी को मजबूत करने के कंपनी के फैसले के विरोध में इस ब्रिटिश नगर पर हमला कर दिया। हमले के बचे लोगों को किले के भीतर एक दुर्ग (गैरीसन) में भेजा गया था, जो कोलकाता की कुख्यात काल कोठरी की घटना का कारण बना। रॉबर्ट क्लाइव की सेनाओं ने नवाब को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और जल्द ही अंग्रेजों ने शहर को वापस अपने कब्ज़े में ले लिया। इस घटना के एक साल के भीतर, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं ने कलकत्ता समेत पूरे बंगाल को अपने कब्जे में ले लिया, और इस चौक को ब्रिटिश कब्जे वाले भारत के वाणिज्यिक और राजनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया।

1880 के दशक में प्रधान डाकघर

अगली डेढ़ शताब्दियों तक, चौक का महत्व और प्रभाव बढ़ता गया। इसका नाम भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया। भारत में कंपनी के शासन के पतन के बाद, राइटर्स बिल्डिंग भारत के वायसराय का सचिवालय बन गयी। शहर के इस केंद्रीय व्यापार जिले का प्रभाव कई निगमों और संस्थानों द्वारा इसमें और इसके आस-पास खोले गये कार्यालयों और मुख्यालयों ने और बढ़ाया। 1912 में, ब्रिटिशों ने अपनी राजधानी को आधिकारिक तौर पर नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया, लेकिन अधिकांश वित्तीय और राजनीतिक संस्थान इसी क्षेत्र में बने रहे।

20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर पहुंचने लगा और बंगाल में इसने एक हिंसक मोड़ ले लिया। आठ दिसंबर 1930 को, तीन क्रांतिकारियों, बेनॉय, बादल और दिनेश ने कारागार महानिरीक्षक एन एस सिम्पसन की राइटर्स बिल्डिंग में गोली मार कर हत्या कर दी। इसके बाद इन तीनों भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने आत्महत्या की। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस चौक का नाम बदलकर इन तीनों के सम्मान में बेनॉय-बादल-दिनेश बाग रखा गया जिसे संक्षिप्त में बीबीडी बाग कहा जाता है।

आधुनिक महत्व

बि.बा.दी. बाग सर्कुलर रेलवे स्टेशन

बि.बा.दी. बाग अभी भी पूर्वी भारत का वाणिज्यिक और राजनीतिक केंद्र है और औपनिवेशिक युग से कई व्यापारिक और राजनीतिक संस्थान अभी भी यहाँ मौजूद हैं। यहाँ उपस्थित राइटर्स बिल्डिंग, पश्चिम बंगाल राज्य सरकार का सचिवालय है और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का कार्यालय भी है। पश्चिम में प्रधान डाकघर, रॉयल इंश्योरेंस बिल्डिंग, भारतीय रिजर्व बैंक का पूर्वी कार्यालय, पूर्वी रेलवे का मुख्यालय, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का मुख्यालय और अन्य कई सरकारी कार्यालय स्थित हैं। क्षेत्र के लोग इसे 'ऑफिस पैरा' के नाम से भी जानते हैं। उत्तर में रॉयल एक्सचेंज बिल्डिंग है, जिसमें बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बिल्डिंग और अन्य कई वित्तीय प्रतिष्ठान हैं। पूर्वी छोर में चित्तरंजन एवेन्यू तक कई कार्यालय हैं। चौक के दक्षिण क्षेत्र में राजभवन है, जो कि अब राज्यपाल का निवास और भारत के वायसराय और अतीत में गवर्नर-जनरल का निवास था। पूर्व विदेशी और सैन्य सचिवालय, ट्रेजरी ऑफिस, टेलीग्राफ कार्यालय और कोलकाता टाउन हॉल सहित कई ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासनिक कार्यालय यहां देखे जा सकते हैं। हांगकांग हाउस जो कि एचएसबीसी का कार्यालय है और ग्रेट ईस्टर्न होटल के साथ एक प्रमुख व्यावसायिक जिला भी है।

बि.बा.दी. बाग को अभी भी दुनिया में ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ अवशेष और केंद्रित क्षेत्रों में से एक माना जा सकता है। लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में स्थित सेंट मार्टिन-इन-फील्ड्स की तर्ज पर बना सेंट जॉन्स चर्च तथा अन्य कई ऐतिहासिक स्थल भी इस चौक की विशेषता हैं। यह गिरजाघर कोलकाता की कुछ पहली इमारतों में से एक है। यह गिरजा सुंदर रंगीन काँच की खिड़कियों से सुसज्जित है और कई ऐतिहासिक चित्रों के साथ-साथ यहाँ आधुनिक कोलकाता के संस्थापक जॉब चारनाक का मकबरा भी स्थित है। बि.बा.दी. बाग में दरभंगा (1858-1898) के प्रसिद्ध परोपकारी महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह की एक प्रतिमा भी है, जिसे एडवर्ड ओन्सलो फोर्ड ने बनाया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय भी यहाँ स्थित है।

कुल मिलाकर, चौक में कोलकाता की स्थापना के बाद से पिछली तीन शताब्दियों से कोलकाता महानगरीय क्षेत्र से हजारों लोग यहाँ कार्यालयीन और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए रोज़ाना आते हैं।

संरक्षण

विश्व स्मारक कोष (वर्ल्ड मॉन्यूमेंट्स फंड) द्वारा "दशकों की उपेक्षा" के कारण डलहौज़ी स्क्वायर को 2004 और 2006 में विश्व स्मारक पर्यवेक्षण (वर्ल्ड मॉन्यूमेंट्स वॉच) में शामिल किया गया था। इस सूची में शामिल होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी अमेरिकन एक्सप्रेस ने चौक के संरक्षण के लिए डब्ल्यू एम एफ के माध्यम से धन उपलब्ध कराया। क्षेत्र की कई इमारतों को भी हेरिटेज इमारतों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और चौक के आकर्षण को वापस लाने के लिए नवीकरण कार्य व्यापक स्तर पर किया गया। केन्द्रबिंदु, राइटर्स बिल्डिंग जिसके कई हिस्से जर्जर हो गये थे, को अस्थायी रूप व्यापक नवीकरण के कारण खाली कर दिया गया है।

चित्रदीर्घा

संदर्भ

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  1. Cotton, H.E.A., Calcutta Old and New, 1909/1980, p 268-9, General Printers and Publishers Pvt. Ltd.