मुनस्‍यारी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Hunnjazal द्वारा परिवर्तित ०५:५८, २ सितंबर २०२१ का अवतरण (HotCat द्वारा श्रेणी:उत्तराखण्ड में हिल स्टेशन जोड़ी)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
साँचा:if empty
Munsiari
{{{type}}}
स्क्रिप्ट त्रुटि: "photo montage" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
साँचा:location map
निर्देशांक: साँचा:coord
देशसाँचा:flag/core
प्रान्तउत्तराखण्ड
ज़िलापिथौरागढ़ ज़िला
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, कुमाऊँनी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

साँचा:template other

मुनस्‍यारी (Munsiari) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित एक पर्वतीय नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।[१][२][३]

विवरण

मुनस्‍यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के समीप है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है। काठगोदाम, हल्‍द्वानी रेलवे स्‍टेशन से मुनस्‍यारी की दूरी लगभग 295 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्‍यारी की यात्रा बस अथवा टैक्‍सी के माध्‍यम से की जा सकती है और रास्‍ते में कई खूबसूरत स्‍थल आते हैं। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्‍मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्‍ते में ही है। अल्‍मोड़ा से आगे प्रस्‍थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्‍वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते हैं। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्‍यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है।

मुनस्‍यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्‍ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्‍योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं। लोग पहाड़ी (स्‍थानीय बोली) बोलते है और हिन्‍दी भाषा का प्रयोग भी करते हैं। यहां के अधिकतर लोग कृषि कार्य में लगे हुए है।

नगर स्थापना

२०१३ में मुनस्यारी में चल रहे ग्रीष्मोत्सव में स्थानीय लोगों द्वारा इसे नगर पंचायत का दर्जा देने का प्रस्ताव पास किया गया।[४] मुनस्यारी बाजार से लगी ग्राम पंचायतों ने इसके लिए अपनी सहमति भी दे दी थी।[४] २८ फरवरी २०१४ को उत्तराखण्ड कैबिनेट की बैठक में मुनस्यारी, चौखुटिया और नौगांव को नगर पंचायत का दर्जा दिए जाने का फैसला हुआ।[५] इसके कुछ समय बाद मुनस्यारी भ्रमण पर आए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां नगर पंचायत के गठन की घोषणा कर दी थी।[६] नगर क्षेत्र को मल्लाघोरपट्टा, तल्लाघोरपट्टा, बुंगा, सरमोली और जैंती ग्राम पंचायतों को मिलाकर बनाया गया था।[६] ७ अक्तूबर २०१४ को इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई, लेकिन ग्राम सभाओं के विरोध के चलते यह नगर पंचायत अस्तित्व में नहीं आ सकी।[७] जून २०१५ में कई सरकारी अधिकारीयों ने क्षेत्र का भ्रमण कर स्थानीय ग्रामीणों से बात करने की कोशिश की।[८] कोई नतीजा न निकलने पर २२ अगस्त २०१६ को नगर पंचायत गठन की अधिसूचना निरस्त कर दी गई।[६]

भूगोल

जोहार घाटी के मुख पर बसा मुनस्यारी समुद्र तल से २२०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित ८-९ ग्रामों का एक समूह है।[९] गोरी गंगा मुनस्यारी से होकर बहती है। गोरी घाटी में स्थित जंगलों में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां रहती हैं।[१०]

वैसे तो मुनस्‍यारी का मौसम पूरे साल भर आनंदमय रहता है किन्‍तु अप्रैल से मई और सितम्‍बर से नवम्‍बर तक भ्रमण योग्‍य है। मुनस्‍यारी में वर्ष के चारों ऋतुओं का आनन्‍द लिया जा सकता है। बसंत ऋतु में यहां की छटा देखने लायक होती है। जून और जुलाई में यहां काफी बारिश होती है जिससे कभी-कभी रास्‍ते ब्‍लॉक हो जाते हैं। नवम्‍बर से फरवरी तक हालांकि भारी हिमपात होता है। साँचा:wide image

आवागमन

उत्तराखण्ड परिवहन निगम मुनस्यारी के लिए दिल्ली तथा देहरादून से बस सेवा का संचालन करता है। दिल्ली के आनन्द विहार से यह बस प्रतिदिन शाम ४ बजे चलती है, और हल्द्वानी, अल्मोड़ा, बागेश्वर तथा थल होते हुए मुनस्यारी पहुंचती है। देहरादून वाली बस सुबह छह बजे मदकोट से चलकर मुनस्यारी, थल, बेड़ीनाग, सेराघाट, अल्मोड़ा, हल्द्वानी होते हुए देहरादून को जाती है, जबकि देहरादून से रोज अपरान्ह चार बजे चलकर यह बस पहले पिथौरागढ़ आती है, और फिर पिथौरागढ़ से ओगला, जौलजीबी होते हुए शाम को एक चक्कर मुनस्यारी का लगाने के बाद रात में मदकोट रुकती है।[११]

चित्र दीर्घा

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  3. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
  4. साँचा:cite news
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite news
  7. साँचा:cite news
  8. साँचा:cite news
  9. साँचा:cite book
    "Munsiari is a collection of eight or more villages and it is the heart of Johar."
  10. साँचा:cite news
  11. साँचा:cite news