रावत
रावत एक भारतीय उपनाम है। सामान्यतः यह राजा या राजकुमार का समानार्थी शब्द है,[१] और यह माना जाता है कि पहले यह एक प्रकार की उपाधि थी जिसे वीरता के सम्मान में राजाओं द्वारा दिया जाता था, जिसे वंश परंपरा में नाम के आगे लिखने का प्रचलन हो गया।
रावत ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर, जाट, पासी समाज मे मिलते हैं। [२] रावत उपनाम वाले राजपूत, जाट और ब्राह्मण लोग मुख्यतः राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में संकेंद्रित हैं, इनकी कुछ संख्या पायी जाती है[१] और उत्तराखंड के समीपवर्ती नेपाल[३] तक इनका विस्तार है। रावत प्राचीन समय के ऐसे महान योद्धा होते थे। जो राजा के बाद सबसे पूजनीय स्थान रखते थे। इनके शौर्य,पराक्रम,वीरता के कारण दुश्मन इनसे खौफ खाते थे।अंग्रेजों को भी इनसे हार का सामना करना पड़ा था। जिससे यह भारत में एकमात्र स्वतंत्र उपनाम वाली जाति रह गई थी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के भिटी रियासत के रावत यादव (अहीर) जाति से सम्बंध रखते है । मध्यप्रदेश में रावत मूलतः क्षत्रिय वर्ग से संबंधित हैसाँचा:cn
क्षेत्रीय विस्तार
पश्चिमी भारत
मुख्यतः राजस्थान का एक सामाजिक समुदाय है, जहाँ इनकी सर्वाधिक जनसंख्या संकेंद्रित है।[१] जमीन आज भी रावत लोगों के जीवन का मुख्य आधार है।[४] आधुनिक समय में रावत समाज के लोग विभिन्न विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहे हैं परन्तु अधिकतर रावतवंश के लोग कृषि प्रेमी रहे हैं तथा कृषि करते हैं। आधुनिक समय में भी ८१% रावत कृषि करते हैं।साँचा:cn
राजस्थान रावत महासभा, जिसका मुख्यालय अजमेर में हैं, इस समुदाय का एक संगठन है। [४]
भाषाएँ
रावत समुदाय के लोग स्थानानुसार मेवाड़ी, मारवाड़ी, ढूंढारी, कुमाउनी, गढ़वाली, अवधी, ब्रजभाषा,मैथिली,भोजपुरी बुन्देली भाषाएँ अथवा बोलियाँ बोलते हैं।[१]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ ई साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite book
- ↑ अ आ साँचा:cite book
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