सिद्ध
सिद्ध, सम्स्कृत भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है जिसने सिद्धि प्राप्त कर ली हो। सिद्धि का अर्थ महान शारीरिक तथा आध्यात्मिक उपलब्धि से है या ज्ञान की प्राप्ति से है। जैन दर्शन में सिद्ध शब्द का प्रयोग उन आत्माओं के लिए किया जाता है जो संसार चक्र से मुक्त हो गयीं हों।
जैन धर्म
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जैन धर्म में सिद्ध शब्द का प्रयोग मुक्त आत्मा, जिन्होंने अपने सारे कर्मो का नाश कर मोक्ष प्राप्त किया है, उन्हें संबोधित करने के लिए किया जाता हैं।
वर्णरत्नाकर में वर्णित ८४ सिद्ध
ज्योतीरीश्वर ठाकुर द्वारा सन १५०६ में मैथिली में रचित वर्णरत्नाकर में ८४ सिद्धों के नामों का उल्लेख है। इसकी विशेष बात यह है कि इस सूची में सर्वाधिक पूज्य नाथों और बौद्ध सिद्धाचार्यों के नाम में सम्मिलित किए गये हैं। चौरासी सिद्धों के नाम निम्नलिखित हैं:[१][२] साँचा:columns-list
इन नामों के अन्त में 'पा' जो प्रत्यय लगा है, वह संस्कृत 'पाद' शब्द का लघुरूप है।
सन्दर्भ
- ↑ Dasgupta, Sashibhusan (1995). Obscure Religious Cults, Firma K.L.M., Calcutta, ISBN 81-7102-020-8स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, pp.203ff, 204
- ↑ Shastri Haraprasad (ed.) (1916, 3rd edition 2006). Hajar Bacharer Purano Bangala Bhasay Bauddhagan O Doha (in Bengali), Kolkata: Vangiya Sahitya Parishad, pp.xxxv-vi