सुरूद-ए-मिल्ली
सुरूद-ए-मिल्ली (ताजिकी: Суруди миллӣ) ताजिकिस्तान का राष्ट्रगान है। इसके बोल गुलनज़र कॅल्दीऍव (Гулназар Келдиев) ने लिखे थे और इसका संगीत सुलेमान युदाकोव (Сулаймон Юдаков) ने बनाया था। ताजिकिस्तान कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था और जो उस समय ताजिकिस्तान का राष्ट्रगान था उसी का संगीत नए राष्ट्रगान में भी इस्तेमाल किया गया।[१][२]
बोल
ताजिकी भाषा फ़ारसी की एक उपभाषा है और उसके बहुत से शब्द हिन्दीभाषियों को समझ आ सकते हैं। इस मामले में कुछ समझने ले लिए सहायक टिपण्णी नीचे दी गयी है।
मूल | लिप्यान्तरण | अनुवाद |
---|---|---|
Диёри арҷманди мо, |
दियोर-एसाँचा:ref अर्जमन्दए मो |
हमारी प्यारी मातृभूमि, |
हिन्दी भाषियों के लिए विशेष टिपण्णी
ताजिकिस्तान के राष्ट्रगान के शब्दों में कई तत्व हैं जो बिना अनुवाद किये भी हिन्दीभाषियों द्वारा समझे जा सकते हैं, जिस से वे सीधे मूल ताजिकी भाषा में ही इस राष्ट्रगान को अनुभव कर पाने में सक्षम हैं -
- 1.साँचा:note "दियार" का अर्थ है घर या वास करने की जगह। हिन्दी में "दियार करने" का मतलब होता है "घर बनाना"। ताजिकी भाषा में "आ" के स्वर को अक्सर "ओ" या "औ" उच्चारित किया जाता है। "मन" का अर्थ "मैं", "मो" का अर्थ "हम" और "तू" का अर्थ "तू" ही होता है। "दियोर-ए-अर्जमन्द-ए-मो" का अर्थ हुआ "हमारी प्यारी/महान (अर्जमन्द) वास-स्थल (मातृभूमि)"।
- 2.साँचा:note "बा" का अर्थ है किसी चीज़ के साथ। जिस तरह "सस्नेह" का मतलब है "स्नेह के साथ", उसी तरह "बाइज्ज़त" का मतलब है "इज्ज़त के साथ"। "बख़्त" का अर्थ है "सौभाग्य" (जैसे की "कमबख़्त" का मतलब है "अभागा")। "बा बख़्त-ए-मो" का अर्थ हुआ "हमारे सौभाग्य/ख़ुशी के साथ"।
- 3.साँचा:note "बलन्द" केवल "बुलन्द" का एक और रूप है जिसका अर्थ होता है "ऊँचा"। क्योंकि संस्कृत और फ़ारसी हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की दो बहने हैं, इसलिए उनमें बहुत से सजातीय शब्द हैं - "बलन्द" का सजातीय शब्द संस्कृत में "बृहत्" है, जिसका अर्थ होता है "बड़ा" या "विशाल"। उसी तरह "बोद" या "बूद" संस्कृत के "भवः" ("हो जाए") या "भूत" ("हो गया / बीत गया") का सजातीय है - जैसे "आयुष्मान भवः" का अर्थ है "जीते रहो" उसी तरह "बुलन्द बोद" का अर्थ है "ऊँचा उठो"।
- 4.साँचा:note "सओदती" केवल "साआदत" का बदला रूप है जिस से हिन्दी का शब्द "शादी" आया है, यानि "ख़ुश" या "ख़ुशियाँ"। "दाऔलती" हिन्दी के "दौलत" जैसा है, यानि "सम्पन्नता"।
- 5.साँचा:note "ज़ेर" का अर्थ है "नीचे", जैसे की हिन्दी-उर्दू में "ज़ेर-ए-ग़ौर" ("जिसपर ग़ौर किया जा रहा हो" या "ध्यान के नीचे") या "ज़ेर-ए-ज़मीन" ("ज़मीन के नीचे")। "ज़ेर-ए-परचम-ए-तू" का मतलब हुआ "तेरे परचम के नीचे"।
- 6.साँचा:note "कशीदा" का अर्थ होता है "खिचा" या "खड़ा"। हिन्दी में "कशीदाकारी" ऍम्ब्रोइडॅरी (embroidery) को कहते हैं जिसमें धागे को सूई के ज़रिये कपड़े में से खींचा जाता है।
- 7.साँचा:note "बोश" भी "भवः" का सजातीय शब्द है - "ज़िन्दा बोश" का अर्थ हुआ "जीवी भवः", यानि "जियो"।
- 8.साँचा:note "बरो-ए" केवल "बरा-ए" कहने का ताजिकी तरीक़ा है (जैसा की हिन्दी में कहते हैं "बरा-ए-महरबानी कुछ करिए", यानि "महरबानी के ज़रिये/ख़ातिर कुछ करिए")। "नंग" का मतलब होता है "इज़्ज़त" या "वह चीज़ जिस से इज़्ज़त जुड़ी हो"। संस्कृत का "नग्न" और हिन्दी का "नंगा" शब्द इस से सम्बन्ध रखते हैं। "नोम" केवल "नाम" बोलने का ताजिकी तरीक़ा है। "नंग-उ नोम-ए मो" का अर्थ हुआ "हमारे इज़्ज़त और नाम"।
- 9.साँचा:note "रफ़्तागोन" का मतलब वे जो पहले चले गए। "रफ़्त" का मतलब होता है "जाना"। हिन्दी में यह बहुत प्रयोग होता है - "राफ़्ता-राफ़्ता" ("गुज़रते-गुज़रते" या "चलते-चलते"), रफ़्तार ("चलने की गति"), गिरफ़्तार ("रोक लेना" या "पकड़ लेना"), वग़ैराह। "रफ़्तागोन-ए-मो" का अर्थ है "हमारे जो चले गए" यानि "हमारे (मृत) पूर्वज"।
- 10.साँचा:note इसमें फिर ताजिकी लहजे में "आ" के स्वर को कई जगह "ओ" बोला गया है। जाविदान का मतलब है "जो हमेशा जीता रहे", जैसे की प्रसिद्ध हिन्दी गाने "ऐ मेरी ज़ोहरा-जबीं" की एक पंक्ति है "ऐ सनम, मैं तेरा आशिक़-ए-जाविदान" यानि "ऐ सनम, मैं तेरा हमेशा-हमेशा के लिए आशिक़ हूँ"।
- 11.साँचा:note यहाँ ख़िज़ान (पतझड़) और बहार (बसंत) के वही अर्थ हैं जो हिन्दी में होते हैं। "ना मेरसद" का मतलब है जो कभी न पहुँचे या मिले (याद रहे के हिन्दी में "रसीद होने" का मतलब भी "मिल जाना" होता है)। "नवबहार" का मतलब "नई आई बहार" यानि "बसंत का शुरुआती समय"।
- 12.साँचा:note यहाँ फिर "बुवद" "भवत" का सजातीय है और इसका अर्थ है "होगा"। "कनोर" का अर्थ है "किनारा"। "वफ़ा बुवद किनार-ए-तू" का मतलब "तुझसे (तेरे किनारे से) वफ़ादारी करेंगे"।
- 13.साँचा:note "बक़ो" शब्द हिन्दी में "बाक़ी" के रूप में मिलता है और यहाँ "बक़ो-ए-तू" का अर्थ है "तेरा जो बाक़ी है" यानि "तेरा भविष्य"। "बक़ो-ए ख़ोनदोन-ए मो" का मतलब हुआ "हमारे ख़ानदान का जो बाक़ी है" यानि "हम सब का भविष्य"।
- 14.साँचा:note फ़ारसी में भी संस्कृत की तरह संधि होती है। "नसीब-ए मोस्त" केवल "नसीब-ए-मो अस्त" का सन्धियुक्त रूप है। "अस्त" का मतलब वही है जो संस्कृत में इसके सजातीय शब्द "अस्ति" का होता है, यानि "है"। "अबद" हिन्द-इरानी मूल का शब्द नहीं है, यानि यह फ़ारसी में अरबी भाषा से आया हुआ विदेशी शब्द है। इसका अर्थ होता है "हमेशा" या "अनंत"। "सओदत" ऊपर पहले समझाया जा चूका है (शाद, शादी - यानि ख़ुश)।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- यु-ट्यूब पर ताजिक दूरदर्शन से प्रसारित ताजिकी राष्ट्रगान (अंग्रेज़ी उपशीर्षकों के साथ)
- यु-ट्यूब पर ताजिकी राष्ट्रगान का एक और उदहारण
- ताजिकी राष्ट्रगान की एक और रिकार्डिंग (केवल ध्वनी)
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ National anthem. Economic court of Dushanbe sity.