सफदरजंग विमानक्षेत्र

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सफ़दरजंग विमानक्षेत्र (साँचा:comma separated entries) (जिसे सफ़दरजंग वायुसेना स्टेशन भी कहा जाता है) भारत की राजधानी नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में इसी नाम से बसे क्षेत्र में बना एक विमानक्षेत्र या हवाई अड्डा है। आजकल इसका प्रयोग मात्र राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री सहित अन्य वीवीआईपी हेलिकॉप्टर्स की पालम हवाई अड्डे तक की यात्राओं के लिये प्रयोग किया जाता है।[१][२]

ब्रिटिश राज के समय स्थापित यह हवाई अड्डा तब विलिंग्डन एयरफ़ील्ड के नाम से आरंभ हुआ था। १९२९ में यहां प्रचालन प्रारंभ हुआ जब यह दिल्ली का पहला एवं भारत का दूसरा हवाई अड्डा बना। साउथ एटलांटिक एयर फ़ेरी मार्ग में आने के कारण इसका भरपूर उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में, तथा कालांतर में भारत पाक युद्ध १९७४ में हुआ। कभी लूट्यन्स देल्ही के दक्षिणी छोर पर बसा यह हवाई अड्डा अब पूरे नयी दिल्ली शहर के लगभग बीच में आ गया है। १९६२ तक यह शहर का प्रमुख हवाई अड्डा बना रहा और दशक के अंत तक पूरा प्रचालन नये हवाई अड्डे पालम विमानक्षेत्र को स्थानांतरित हुआ। इसका प्रमुख कारण था इस विमानक्षेत्र का जेट विमान जैसे बड़े वायुयानों को उतार पाने में असमर्थता।[३][४]

१९० एकड़ के इस हवाई अड्डे के परिसर में,[२] राजीव गाँधी भवन परिसर बना है, जहां भारतीय नागर विमानन मंत्रालय तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का निगमित मुख्यालय स्थापित है। १९२८ में यहीं दिल्ली फ़्लाइंग क्लब की स्थापना हुई। तब यहां देल्ही एवं रोशनारा नामक २ दे हैविलैण्ड मोठ यान हुआ करते थे। हवाई अड्डे पर प्रचालन २००१ तक चला, किन्तु जनवरी २००२ से सरकार ने ९/११ की घटना को देखते हुए उरक्षा की दृष्टि से इस हवाई अड्डे पर प्रचालन को पूर्ण विराम दिया। तब से यह क्लब यहां केवल वायुयान अनुरक्षण एवं मरम्मत पाठ्यक्रम चलाता है।[५]

इतिहास

विमानक्षेत्र में उड़ान को तैयार एक विमान

इस वायुक्षेत्र का नाम पहले विलिंग्डन एयरफ़ील्ड हुआ करता था। यह नाम भारत के तत्कालीन वाइसरॉय तथा गवर्नर जनरल लॉर्ड विलिंग्डन (१९३१-१९३६) से मिला था। तब यह हवाई अड्डा विशाल घास के मैदान में मात्र कुछ छोरदारियों का समूह हुआ करता था। यहां प्रथम एयरमेल उड़ान ३० नवम्बर १९१८ को अवतरित हुई थी। इसी वर्ष लंदन-दिल्ली-काहिरा की भी एक उड़ान यहां आयी थी। हालांकि इसके बाद विमानक्षेत्र को अपना रूप ले लेने में अगला पूरा दशक लगा और तब यहां पहली व्यापारिक (कमर्शियल) उड़ान १९२७ में लैण्ड हुई। आगे आने वाले समय में इस वायुक्षेत्र का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर विलिंग्डन एयरपोर्ट हो गया, साथ ही यहां दिल्ली फ़्लाइंग क्लब की भी स्थापना हुई।[३]

सन १९४१ में जब ब्रिटिश भारतीय सेना ने अपनी स्वयं की एयरबॉर्न/पैराशूट इकाई की स्थापना करने की योजना बनाई, तब इसी विमानक्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी कोने में शाही भारतीय वायुसेना के एयर लैण्डिंग स्कूल का आरंभ हुआ। यहीं भारत के प्रथम पैराट्रूपर को प्रशिक्षण मिला था। इसी टोली में प्रथम भारतीय पैराट्रूपर भारतीय चिकित्सा सेवा के लेफ़्टि (बाद में कर्नल) ए.जी.रंगराजन, महावीरचक्र धारक तथा १५२ (भारतीय) पैराशूट बटालियन के रेजिमेण्टल चिकित्सा अधिकारी थे।

स्वतंत्रता उपरांत

हवाई अड्डे की पृष्ठभूमि में दिखाई देता भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन के संग सफ़दरजंग का मकबरा का श्वेत गुम्बद

१९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरांत इस हवाई अड्डे का नाम बदलकर सफ़दरजंग के मकबरे के नाम पर सफ़दरजंग विमानक्षेत्र कर दिया गया। यह मकबरा विमानक्षेत्र की पृष्ठभूमि में दिखता है। इसने दिल्ली शहर के मुख्य हवाई अड्डे रूप में दो दशकों तक सेवाएं दीं, जब तक की दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में तत्कालीन दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में पालम गाँव नामक क्षेत्र में एक नया स्थान नहीं स्वीकृत कर लिया गया। इस नये स्टेशन का गांव के नाम पर पहले पालम वायुसेना स्टेशन के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध काल में प्रारंभ हुआ। आज यही विमानक्षेत्र काफ़ी वृहत क्षेत्र में फ़ैला हुआ है और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कहलाता है। यहां १९६२ में यात्री यातायात बढ़ने के कारण प्रचालन स्थानांतरण किया गया था। हालांकि सफ़दरजंग विमानक्षेत्र का प्रयोग अभी भी सामान्य विमानन उद्देश्यों एवं छोटे प्रोपेलर यानों के उड़ान भरने तथा अवतरण करने हेतु किया जाता है। कालांतर में इस विमानक्षेत्र की उड़ानपट्टी के पूर्वी छोर के निकटस्थ एक फ़्लाईओवर बनने के कारण यानों को अवतरण के लिये सावधान किया जाता है। नये विमानक्षेत्र इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का आकार इसकी तुलना में काफ़ी बड़ा है एवं वहां ३ उड़ान पट्टियां तथा ६० से अधिक अन्तर्देशीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय यानों की सुविधा है।

२००१ में ९/११ की घटना के उपरांत भारत के नागर विमानन मंत्रालय ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के आपातकालीन निकास एवं कुछ अन्य विशेष उड़ानों हेतु सुरक्षित कर दिया है। बाद में २००२ से सुरक्षा की दृष्टि से इस हवाई अड्डे को सभी उड़ान गतिविधियों हेतु बंद कर दिया तथा,[५] दिओल्ली फ़्लाइंग क्लब की सभी उड़ानों को हरियाणा के हिसार शहर में स्थानांतरित कर दिया गया है।[६] तब से यह हवाई अड्डा मुख्यतः वीवीआईपी गणों के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक के गमन हेतु हैलीकॉप्टर उड़ान तक ही सीमित कर दिया गया है। इसका मुख्य कारण सुरक्षा ही रहा है, साथ ही उनके आवागमन के दौरान शहर की सड़कों को बंद करने तथा यातायात अवरोध से बचना भी है। २००० के दशक के आरंभ से ही प्रधानमंत्री कभी विदेश याता पर जाते मंत्रिमंडल के सदस्यों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों से हुए बजाय अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के, यहीं विदा लेते हैं।[७] इसके साथ ही ये हवाई-पट्टी पंजाब तथा हरियाणा राज्यों के मुख्य मंत्रियों के आवागमन हेतु छोटे विमानों के लिये प्रयोग होती है। इसके कारण यहां प्रतिमाह लगभग ८० से ९० हैलिकॉप्टर आवागमन होते रहते हैं।[८] कई बार यहां भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण तथा हैलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवनहंस भी इसका प्रयोग करती रहती है। कई अवसरों पर पवन हंस यहां से वैष्णो देवी के लिये हैलिकॉप्टर सेवा के आरक्षण भी करता है। हाल के समाचारों के अनुसार भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यालय, ७ रेसकोर्स मार्ग से यहां तक एक भूमिगत सुरंग का काम भी होने का विचार था जिसका विमानन मंत्रालय द्वारा कड़ा विरोध किया गया था।[२][९]

अनुरक्षण एवं प्रबन्धन

इस हवाई अड्डे का अनुरक्षण एवं प्रबन्धन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, व यह इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से नियंत्रित होता है|

सुविधाएं

नागर विमानन मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का निगमित मुख्यालय मंत्रालय के साथ ही राजीव गांधी भवन में स्थित है। यह भवन सफ़दरजंग विमानक्षेत्र की भूमि पर ही बना है तथा इसके निर्माण पूर्व भूमि विमानक्षेत्र परिसर में ही आती थी। यह प्राधिकरण ही भारत के अधिकांश विमानक्षेत्रों का प्रबंधन, देखरेख, भारतीय वायुक्षेत्र में वायु यातायात नियंत्रण तथा प्रबंधन करता है।[१०] नागर विमानन महानिदेशालय (भारत) का मुख्यालय भी विमानक्षेत्र के सामने ही स्थित है।[११]

घटनाएं एवं दुर्घटनाएं

सफ़दरजंग विमानक्षेत्र की एयरसाइड
  • ५ दिसम्बर १९७० को, जैमएयर का यान डग्लस डीसी-३ वीटी-सीज़ेडसी उड़ान भरने के तुरंत बाद ही क्रैश हो गया था[१२] जिसका कारण यान के इंजन का फ़ेल हो जाना था। यह यान एक गैर-अनुसूचित यात्री उड़ान यात्रा पर था। यान में सवार कुल १६ में से ५ यात्री मारे गये।[१३]
  • २३ जून १९८० को भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कनिष्ठ पुत्र श्री संजय गांधी का विमान सफ़दरजंग विमानक्षेत्र के निकट क्रैश में दुर्घटना ग्रस्त हो गया था। वे दिल्ली फ़्लाइंग क्लब का एक नया विमान उड़ा रहे थे और इसी दौरान अपने कार्यालय के ऊपर से एक चक्कर लगाते हुए उनका संतुलन खो गया एवं क्रैश हो गया। उनके एकेले सहयात्री कप्तान सुभाष सक्सेना भी मारे गये।[१४]

विशेष

विमानक्षेत्र में उड़ान भरता एक विमान

एक कॉमिक पुस्तिका शृंखला 'द एड्वेन्चर्स ऑफ टिनटिन में 'टिनटिन इन टिबेट' कड़ी में कप्तान हैड्डोक, स्नोई तथा टिनटिन भारत में रुकते हैं, एवं विलिंग्डन एयरफ़ील्ड (वर्तमान सफ़दरजंग विमानक्षेत्र) से विदा लेते हैं।

सन्दर्भ

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  2. साँचा:cite news
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  6. साँचा:cite news
  7. साँचा:cite news
  8. साँचा:cite news
  9. साँचा:cite news
  10. "Contact Information Search स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।." भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण. अभिगमन: ९ सितंबर २०१०। "एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इण्डिया, राजीव गांधी भवन, सफ़दरजंग एयरपोर्ट, न्यू देल्ही - 110003"
  11. Home page स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। नागर विमानन महानिदेशालय (भारत)। अभिगमन तिथि: ९ जून २०९। "औरोबिन्दो मार्ग, ऑपोज़िट सफ़दरजंग एयरपोर्ट, न्यू देल्ही - 110 003, इण्डिया"
  12. साँचा:cite web
  13. साँचा:cite web
  14. साँचा:cite news

बाहरी कङियाँ

https://web.archive.org/web/20190924051915/https://www.mapsofindia.com/maps/delhi/