शैल चतुर्वेदी
शैल चतुर्वेदी | |
---|---|
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
व्यवसाय | कवि, व्यंग्यकार, गीतकार, अभिनेता |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | हास्य |
सन्तान | विशाल, विहान, विवेक |
सम्बन्धी | आकाश चतुर्वेदी (भतीजा) कृष्णा चतुर्वेदी (नाती) |
साँचा:template otherसाँचा:main other
शैल चतुर्वेदी (29 जून 1936 - 29 अक्टूबर 2007) जो की भारत के एक हिंदी भाषा के कवि, व्यंग्यकार, हास्यकार, गीतकार और अभिनेता के रूप में जाने जाते थे, जिन्हें 70 और 80 के दशक में अपने राजनीतिक व्यंग्य के लिए जाने जाते थे। [१][२]
उन्होंने कई हिंदी फिल्मों और टीवी श्रृंखला में एक चरित्र अभिनेता के रूप में काम किया।
व्यवसाय
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक अध्यापक के रूप में अपना जीवन शुरू किया और जल्द ही विभिन्न कवि सम्मेलन (कविता सभा) में भाग लेना शुरू कर दिया, और अपनी द्विअर्थक राजनीतिक टिप्पणी के साथ, 1970 और 1980 के प्रमुख हास्यवादियों के बीच खुद के लिए अपनी पहचान बनाई, जिनमे काका हाथरसी, प्रदीप चौबे और अशोक चक्रधर शामिल थे । [२]
वह होली के त्यौहार के समय, वार्षिक कवि सम्मलेन जो की दूरदर्शन, द्वारा प्रसारित किया जाता था में नियमित रूप में सम्मिलित होते थे। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया, जैसे कि उपहार (1971), चितचोर (1976), चमेली की शादी (1986) और करीब (1998)। 1994 में श्रीमान श्रीमति में उन्होंने केशव और गोखले के बॉस "शर्मा जी" की भूमिका निभाई थी, जो की एक मशहूर टी वी श्रृंखला थी।
कुछ समय से गुर्दे की जटिल बीमारी से पीड़ित होने के बाद, 29 अक्टूबर 2007 को उनकी मृत्यु हो गई। वह अपने पीछे उनकी पत्नी दया और तीन बेटे छोड़ गए। [१]
चयनित फिल्मोग्राफी
1 उपहार (1971) शंकरलाल के रूप में
2 मेरे भैया (1972)प्रकाशक के रूप में
3 चितचोर (1976) चौबे के रूप में
4 पायल की झंकार (1980)
5 जज़्बात (1980) हवलदार पांडे के रूप में
6 हम दो हमारे दो (1985)
7 चमेली की शादी (1986) लच्छूराम कपाची के रूप में (मखान के पिता)
8 नरसिम्हा (1991) सीमा के पिता के रूप में
9 धनवान (1993) हमीद भाई के रूप में
10 करीब (1998)
11 तिरछी टोपीवाले (1998)
टीवी श्रृंखला
धर्मेंद्र शर्मा के रूप में श्रीमन श्रीमती (1995)। के.ए. बबलू प्रसाद शर्मा (केशव के बॉस)
जाबां संभाल के (1993) स्कूल इंस्पेक्टर के रूप में
कुछ भी हो सकता है (1996) भोंडी बाबा के रूप में
ब्योमकेश बख्शी (1997) रामेश्वर रॉय के रूप में
काकाजी कहिन में नेताजी के रूप में
काव्य रचना
हास्य व्यंग्य संग्रह
- बाजार का ये हाल है ,प्रकाशक श्री हिंदी साहित्य संसार, 1988
- चल गई, प्रकाशक फ्यूजन बुक्स। आईएसबीएन 9788128810145
- लेन देन
- तुम वाकई गधे हो
- सौदागर ईमान के
- कब मर रहें हैं
- भीख माँगते शर्म नहीं आती
- आँख और लड़की
- पेट का सवाल है
- हे वोटर महाराज
- मूल अधिकार
- दफ़्तरीय कविताएं
- देश के लिये नेता
- पुराना पेटीकोट
- औरत पालने को कलेजा चाहिये
- उल्लू बनाती हो?
- तू-तू, मैं-मैं
- एक से एक बढ़ के
- अप्रेल फूल
- यहाँ कौन सुखी है
- गांधी की गीता
- मजनूं का बाप
- शायरी का इंक़लाब
- दागो, भागो
- कवि सम्मेलन, टुकड़े-टुकड़े हूटिंग
- फ़िल्मी निर्माताओं से[३]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite book
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।