करीब

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करीब
चित्र:करीब.jpg
करीब का पोस्टर
निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा
निर्माता विधु विनोद चोपड़ा
लेखक कामना चन्द्रा
अभिजात जोशी
अभिनेता बॉबी देओल,
नेहा,
शम्मी कपूर,
मौसमी चटर्जी,
सुषमा सेठ,
जॉनी लीवर
संगीतकार अनु मलिक
प्रदर्शन साँचा:nowrap 17 जुलाई, 1998
देश भारत
भाषा हिन्दी

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करीब 1998 में बनी हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण विधु विनोद चोपड़ा ने किया और इसमें बॉबी देओल और नेहा मुख्य भूमिकाओं में हैं।[१]

संक्षेप

बिरजू (बॉबी देओल) हिमाचल प्रदेश के एक उच्च-मध्यम वर्गीय परिवार का युवक है। उसके पिता उसे जिम्मेदार होने पर जोर देते हैं, जबकि बिरजू मक्कारी, झूठ फैलाने में, और नेहा नाम की एक खूबसूरत युवती से इश्कबाजी करने में रुचि रखता है। नेहा एक गरीब परिवार की एक साधारण, सुंदर और जिम्मेदार लड़की है। बिरजू जब पहली बार नेहा को देखता है, उसी क्षण उसके प्यार में पड़ जाता है। नेहा भी बिरजू को पसंद करने लगती है लेकिन अपनी भावनाओं को छुपा लेती है। बिरजू नेहा को प्रभावित करने की हरसंभव कोशिश करता है और आखिरकार वो भी उससे इजहार कर देती है।

बिरजू के पिता नहीं चाहते कि बिरजू एक गरीब परिवार में शादी करे। लेकिन बिरजू झूठ बोलता है कि नेहा के चाचा अमीर हैं और उसकी शादी की तैयारी होती हैं। बिरजू अपने घर से पैसे चुराता है और बहाना करता है कि यह पैसा नेहा के चाचा ने भेजा है। हालाँकि, शादी की रात को बिरजू के पिता को सच्चाई का पता चल जाता है और वह शादी को रद्द करा देते हैं। नेहा की माँ, इस सदमे को नहीं झेल पाती और उन्हें दिल का दौरा पड़ता है। जब बिरजू नेहा से मिलता है तो वह अपनी माँ के लिए बहुत व्याकुल होती है, और बिरजू के झूठ बोलने के लिए गुस्सा करती है। नेहा बिरजू से वादा करता है कि वह फिर कभी अपना चेहरा नहीं दिखाएगा। इसके बाद नेहा अपनी माँ को एंबुलेंस से शिमला के अस्पताल ले जाती है। बिरजू बाद में भीगेलाल (जॉनी लीवर) की दुकान पर सो जाता है। वह बिरजू को काम पर रख लेता है। यह बिरजू के जीवन की पहली नौकरी होती है जिसे वह नेहा के पास रहने और उसकी माँ के इलाज के लिए पैसे कमाने के लिए स्वीकार करता है। काम के एक दिन बाद बिरजू अंकल और आंटी (शम्मी कपूर और सुषमा सेठ) से मिलता है। वे बिरजू को अपना बेटा मान लेते हैं और उसकी कभी भी मदद करने की पेशकश करते हैं।

अस्पताल में, बिरजू, नेहा की माँ के बारे में पूछताछ करता है, जहाँ उसे रिसेप्शनिस्ट बताती है कि उन्हें तत्काल ऑपरेशन की ज़रूरत है और यह बहुत महँगा होगा। नेहा मदद के लिए बिरजू से संपर्क करने की कोशिश करती है, लेकिन वह उस तक पहुँचने में असमर्थ होती है। फिर एक डॉक्टर, अभय नेहा से उसकी माँ के ऑपरेशन के बदले में उससे शादी करने का प्रस्ताव रखता है क्योंकि डॉक्टर लोग अपने रिश्तेदारों को मुफ़्त सेवा दे सकते हैं। बिरजू अंकल और आंटी के पास जाता है, जो कहते हैं कि वह एक लॉटरी टिकट खरीद ले। वो लोग भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत देकर उसकी जीत सुनिश्चित करेंगे। वे बिरजू को रिश्वत के कुछ पैसे लाने के लिए कहते हैं। बिरजू उनके कहे अनुसार लॉटरी टिकट खरीदता है और रिश्वत के पैसे इकट्ठा करने के लिए दिनभर मेहनत करता है। फिर वह इसे अंकल और आंटी को दे देता है। फिर उसे पता लगता है कि वो दंपति वो नहीं थे, जिसका उन्होंने दावा किया था और उसके जैसे कई अन्य लोगों से ऐसे ही पैसे लेकर वो भाग चुके हैं। लाचार बिरजू सर्जरी का भुगतान करने के लिए भीगेलाल के पैसे चुरा लेता है। वह पैसे लेकर अस्पताल लौटता है और डॉक्टर को दे देता है। वो डॉक्टर से नेहा को ये बात न बताने की कहता है।

आखिरकार बिरजू के परिवार को नेहा के लिए बिरजू के प्यार का एहसास होता है और वह शिमला में अपने बेटे का साथ देने का फैसला करते हैं। वे शिमला पहुँच कर भीगेलाल को संभालते हैं, जो अपने लुटे हुए दराज को देखकर पागल हो जाता है। नेहा को पता चलता है कि बिरजू ने उसकी मदद की और वो उससे मिलना चाहता है। वे दोनों अस्पताल की एक सीढ़ी पर मिलते हैं और फिल्म यहीं समाप्त हो जाती है।

मुख्य कलाकार

संगीत

सभी गीत राहत इन्दौरी द्वारा लिखित; सारा संगीत अनु मलिक द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."चोरी चोरी जब नजरें मिली"कुमार सानु, संजीवनी5:53
2."चोरी चोरी जब नजरें मिली" (II)कुमार सानु, संजीवनी2:59
3."चुरा लो ना दिल मेरा"कुमार सानु, संजीवनी6:10
4."हाँ जुदाई से डरता है दिल" (पुरुष संस्करण)कुमार सानु6:21
5."हाँ जुदाई से डरता है दिल" (महिला संस्करण)संजीवनी6:50
6."रीत यही जग की"जसपिंदर नरूला, संजीवनी6:06
7."तेरा गुस्सा आए हाय"अभिजीत4:48
8."तुम जुदा होकर हमें"रूप कुमर राठौड़, संजीवनी6:07
कुल अवधि:45:14

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ