शहीद मीनार, कोलकाता
शहीद मीनार | |
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![]() ब्रिगेड ग्राउंड से देखने पर शहीद मीनार | |
पूर्व नाम | ऑक्टरलोनी स्मारक |
सामान्य विवरण | |
अवस्था | एक स्मारक के रूप में उपयोग किया जाता है और पश्चिम बंगाल सरकार के स्वामित्व में है। |
प्रकार | स्मारक |
वास्तुकला शैली |
आधारशिला: मिस्री, स्तंभ: सीरियाई, और गुंबद: तुर्की वास्तुकला पर आधारित हैं। |
स्थान | कोलकाता मैदान |
पता | 11, रानी राष्मणि एवेन्यू |
शहर | साँचा:ifempty |
राष्ट्र | भारत |
निर्देशांक | स्क्रिप्ट त्रुटि: "geobox coor" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
निर्माणकार्य शुरू | 1825 |
निर्माण सम्पन्न | 1828 |
शुरुआत | साँचा:ifempty |
पुनर्निर्माण | 2011–वर्तमान |
ध्वस्त किया गया | साँचा:ifempty |
स्वामित्व | पश्चिम बंगाल सरकार |
ऊँचाई | 48 मीटर (157 फुट) |
योजना एवं निर्माण | |
अन्य अभिकल्पक | जे. पी. पार्कर |
शहीद मीनार (अंग्रेजी: शहीदों का स्मारक), जिसे पहले ऑक्टरलोनी स्मारक (अंग्रेजी: Ochterlony Monument) के नाम से जाना जाता था, भारत के शहर कोलकाता में एक स्थित स्मारक है जिसे 1828 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कमांडर मेजर-जनरल सर डेविड ऑक्टरलोनी की याद में बनाया गया था, जिन्होने 1804 में दिल्ली की मराठों के आक्रमण से सफलतापूर्वक रक्षा की थी और फिर उनके नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के सशस्त्र बलों ने एंग्लो-नेपाली युद्ध जिसे गोरखा युद्ध भी कहा जाता है में भी गोरखाओं पर अपनी जीत दर्ज की थी। ऑक्टरलोनी की स्मृति में स्मारक में निर्मित इस स्मारक को जे. पी. पार्कर द्वारा डिजाइन किया गया था और इसके निर्माण की आई लागत का भुगतान सार्वजनिक धन से किया गया था।[१]
9 अगस्त 1969 को इसका नाम बदल कर "शहीद मीनार" कर दिया गया और इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों की स्मृति में पुनर्समर्पित किया गया।
स्थित
शहीद मीनार, मैदान के उत्तर-पूर्व सेन्ट्रल कोलकाता के एस्प्लेनेड में स्थित है। इसकी ऊँचाई 48 मीटर या (157 फीट) है। इस मीनार का आधार मिस्त्र की शैली , खम्भे सीरियन शैली तथा गुम्बज तुर्की शैली में बनाया गया है।[२]
महत्व
शहीद निर्माण 1828 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कमांडर सर डेविड ऑक्टरलोनी के याद में बनवाया गया था जिन्होंने एंग्लों-नेपाली युद्ध 1804 ई. में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व किया। तथा ईस्ट इंडिया कंपनी को जीत हाशिल करवाया था। और इसी उपलक्ष्य में संयुक्त मोर्चा सरकार ने 9 अगस्त 1969 को पुुनः नामकांण किया तथा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शहिदों की नमण में पुनः रुप से समर्पित किया।[३]
चित्र दीर्घा
स्मारक की दीवारों पर, लिखा 9 अगस्त, 1969 को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों की याद में समर्पित।