बाँका

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प्रांत और देशबाँका ज़िला
बिहार
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जनसंख्या
 • कुल३५,४१६
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलित भाषाएँअंगिका, हिन्दी

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बाँका (Banka) भारत के बिहार राज्य के बाँका ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है।[१][२]

इतिहास

यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है। पुराणों में और महाभारत में इस क्षेत्र को अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। इस अंग प्रदेश के निकट स्थित चम्पानगर महान पराक्रमी शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती रही है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा और झारखंड और बिहार के सीमा का मिलन स्थल है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा गया और पटना है। रेल और सड़क मार्ग से भी यह शहर अच्छी तरह जुड़ा है। पुराणों में वर्णित समुद्र मंथन में प्रयुक्‍त मथान अर्थात मंदराचल तथा मथानी में लपेटने के लिए जो रस्‍सा प्रयोग किया गया था वह दोनों ही उपकरण यहाँ विद्यमान हैं और आज इनका नाम तीर्थस्‍थ‍लों के रूप में है ये हैं वासुकिनाथ और मंदारहिल. इस शहर मे बहुत ही अच्छे-अच्छे विद्यालय भी है। शहर में एक महाविद्यालय भी है - पी० बी० एस० महाविद्यालय।

भागलपुर का कुख्यात अखफोड़वा कांड रजौन थाने से ही शुरू हुआ था, और सबसे ज्यादा कांड यहीं हुआ था। इस पर गंगाजल पिक्चर भी बनी है. रजौन प्रखन्ड में कुछ गांव है:-तेलोन्ध खिड्डी, बनगांव, नरीपा, नीमा, नवादा, धर्मचक, सोहानि, खैरा आदि, खैरा में एक प्रसिद्ध मन्दिर भी है।

यदि स्वतंत्रता सेनानी की बात करे तो पटना सचिवालय कांड में शहिद सतीश चन्द्र झा को याद किया जाता है उनकी प्रतिमाएं ढाकामोड़ के चौराहे पर खड़ा किया गया है।

उपविभाग

बाँका जिले में ११ तहसिलें हैं- बाँका, रजौन, अमरपुर, धोरैया, कटोरिया, बौसी, शंभुगंज, बाराहाट, बेलहर, चांदन,तेलोन्ध फूल्लीडूमर।

मुख्य आकर्षण

मंदार पहाड़ी- वैसे तो यहाँ अनेक पहाड़ी है लेकिन कुछ देखने लायक है, इसमें से एक है मंदार पहाड़ी। यह पहाड़ी भागलपुर से 48 किलोमीटर की दूरी पर है, जो अब बांका जिले में स्थित है। इसकी ऊंचाई 800 फीट है। इसके संबंध में कहा जाता है कि इसका प्रयोग सागर मंथन में किया गया था। किंवदंतियों के अनुसार इस पहाड़ी के चारों ओर अभी भी शेषनाग के चिन्‍ह को देखा जा सकता है, जिसको इसके चारों ओर बांधकर समुद्र मंथन किया गया था। कालिदास के कुमारसंभवम में पहाड़ी पर भगवान विष्‍णु के पदचिन्‍हों के बारे में बताया गया है। इस पहाड़ी पर हिन्‍दू देवी देवताओं का मंदिर भी स्थित है। यह भी माना जाता है कि जैन के 12वें तिर्थंकर ने इसी पहाड़ी पर निर्वाण को प्राप्‍त किया था। लेकिन मंदार हिल की सबसे बड़ी विशेषता इसकी चोटी पर स्थित झील है। इसको देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। पहाड़ी के ठीक नीचे एक पापहरनी तलाब है, इस तलाब के बीच में एक विष्णु मन्दिर इस दृश्य को रोमान्चक बनाता है। यहाँ जाने के लिये भागलपुर से बस और रेल दोनों की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यहाँ चंदन डैम और कोज़ी डैम भी देखने लायक है। यहाँ से देवघर और बाबा बासुकीनाथ नजदीक है। जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित एक पहाड़ियों के बीच एक झरना भी है जहां हर मकर सक्रांति पर एक मेले का भी आयोजन होता है जो अपने आप में एक रोचक भी है इस झरने की कुंड की जलधारा गर्म होती है इसका कारण है पहाड़ों की प्रकृति में उपस्थित औषधीय पौधों के औषधीय गुण को समैटती हुई उसकी जलधारा आती है जो अपने आप में बहुत गुणकारी और मनमोहक है इसमें हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हजारों हजार की संख्या में लोग आकर स्नान करते हैं और मेले का लुफ्त उठाते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
  2. "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810