सी॰ के॰ नायडू
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व्यक्तिगत जानकारी | |
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पूरा नाम | कोट्टरी कनकैया नायडू |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
बल्लेबाजी की शैली | दाहिने हाथ से बल्लेबाजी |
गेंदबाजी की शैली | दाहिने हाथ से धीमी गति से |
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी साँचा:infobox | |
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स्रोत : क्रिकेट आर्काइव |
कोट्टेरी कनकैया नायडू (साँचा:audio (३१ अक्टूबर १८९५- १४ नवम्बर १९६७) भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट क्रिकेट मैचों के कप्तान थे।[२] इन्होंने लंबे समय तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला था। इन्होंने लगभग १९५८ तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और अंतिम बार ६८ साल की उम्र में १९६३ में क्रिकेट खेला था। सन १९२३ में इंदौर के होल्कर के शासक ने होल्कर के कैप्टन बनने के लिए भी आमंत्रित किया था।
आर्थर गल्लीगां के नेतृत्व में मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने भारत का दौरा किया था और मैच मुम्बई के बॉम्बे जिमखाना पर खेला गया था। जिसमें हिंदुओ की ओर से सी के नायडू ने ११६ मिनट में १५३ रनों की पारी भी खेली थी। उस मैच में इन्होंने ११ छक्के भी लगाए थे जिसमें एक छक्का बॉम्बे जिमखाना की छत पर जाकर गिरा था। इसके बाद एमसीसी ने इन्हें चांदी का एक बैट पुरस्कार में दिया था। नायडू को भारत सरकार ने १९५६ में भारत के द्वितीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया था।[३]
जीवन परिचय
कनकैया नायडू का जन्म ३१ अक्टूबर[४] १८९६ को बारा बड़ा नागपुर, महाराष्ट्र में कोठारी सूर्य प्रकाश राव नायडू के घर पर हुआ था, जो कि आंध्र प्रदेश के राय बहादुर कोट्टरी नारायण स्वामी नायडू के पुत्र थे। इनके पिता एक वकील और मकान मालिक थे। इनके पिता एक समृद्ध वकील बनने के अलावा, अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक अग्रणी सदस्य भी थे। [५][६] नायडू का देहांत १४ नवम्बर १९६७ को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ।
परिवार
सी॰ के॰ नायडू के दादाजी नारायण स्वामी पर्याप्त समृद्ध थे [७] ताकि उनके दोनों बेटों को आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा जा सके। उनके बड़े बेटे, कोट्टरी वेंकटरमन नायडू, का एलुरू के राजा प्रभाकर मूर्ति की बेटी से विवाह हुआ था। छोटा बेटा (सी॰ के॰ नायडू), कोट्टरी सूर्य प्रकाश राव नायडू, उनके चार बेटे और दो बेटियां थीं, उन्होंने बी.ए. किया और डाउनिंग कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एम.ए. किया था।
इनके पिता अपने शारीरिक कौशल के लिए प्रशंसित थे और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर में हरक्यूलिस के रूप में जाने जाते थे। वे होलकर राज्य के उच्च न्यायालय में कुछ वर्षों तक कार्य किया था और कुछ समय के लिए मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्यरत थे। उन दिनों महाराजा शिवाजी राव होलकर शासक थे। महाराजा का कहना था कि उन्हें केवल दो व्यक्तियों पर विश्वास था - एक सूर्य प्रकाश राव और एक के.एस. नवानगर के रंजीतसिंहजी, जो ससेक्स और इंग्लैंड के लिए खेलते थे।
क्रिकेट कैरियर
सी॰ के॰ नायडू भारतीय क्रिकेट टीम के टेस्ट के पहले कप्तान थे इन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत सिर्फ ७ साल की उम्र में कर दी थी। तब ये अपने विद्यालय में क्रिकेट खेला करते थे। इन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत १९१६ में बॉम्बे ट्रेंगुलर ट्रॉफी में की थी। [८]
इन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत २५ जून १९३२ को इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट मैच से की थी। जबकि इन्होंने अंतिम टेस्ट मैच १५ अगस्त १९३६ को इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इन्होंने अपने टेस्ट कैरियर में कुल ७ टेस्ट मैच खेले थे जिसमें २५.०० की औसत से ३५० रन बनाए थे जिसमें २ अर्धशतक लगाए थे। साथ ही इन्होंने गेंदबाजी करते हुए ९ विकेट भी लिए थे। [९]