कपिलदेव
भारत | |||
पूरा नाम | कपिल देव रामलाल निखंज | ||
जन्म | 7 जनवरी, 1959 | ||
बल्लेबाज़ी का तरीक़ा | दायें हाथ का बल्लेबाज | ||
गेंदबाज़ी का तरीक़ा | दायें हाथ का गेंदबाज | ||
टेस्ट क्रिकेट | एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट | ||
मुक़ाबले | 131 | 225 | |
बनाये गये रन | 5248 | 3783 | |
बल्लेबाज़ी औसत | 31.05 | 23.79 | |
100/50 | 8/27 | 1/14 | |
सर्वोच्च स्कोर | 163 | 175* | |
फेंकी गई गेंदें | 27740 | 11202 | |
विकेट | 434 | 253 | |
गेंदबाज़ी औसत | 29.64 | 27.45 | |
पारी में 5 विकेट | 23 | 1 | |
मुक़ाबले में 10 विकेट | 2 | नहीं है | |
सर्वोच्च गेंदबाज़ी | 9/83 | 5/43 | |
कैच/स्टम्पिंग | 64/0 | 71/0 | |
कपिल देव रामलाल निखंज (जन्म ६ जनवरी १९५९) भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी हैं। भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में उनकी गणना होती है। वे भारतीय क्रिकेट के कप्तान के पद पर रह चुके हैं। १९८३ के क्रिकेट विश्वकप में वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे। और उनके नेतृत्व में टीम ने विश्वकप जीतने का गौरव प्राप्त किया। वे विस्डेन द्वारा वर्ष २००२ में "सदी के भारतीय क्रिकेटर" चुने गये। वे १० माह के लिये भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशिक्षक भी रहे थे।
कपिल देव का जन्म चंडीगढ़ में हुआ। उनका विवाह रोमी भाटिया से सन् १९८० में हुआ। उनकी बेटी अमिया देव का जन्म १६ जनवरी १९९६ को हुआ।
क्रिकेट
उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन की आरंभ १९७५ में हरियाणा की ओर से पंजाब के विरुद्ध घरेलू क्रिकेट से करी। वह एक आल-राॅउन्डर थे। जोकि दायें हाथ से बल्लेबाजी एवं तेज गेंदबाजी भी करते थे। उनका अन्तर्राष्ट्रीय पदार्पण पोकिस्तान के विरुद्ध फैसलाबाद में १६ अक्टूबर १९७८ को हुआ। यह श्रृंखला उनके लिए कुछ अच्छी नहीं रही। परन्तु आने वाले समय में उन्होंने अपने प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट टीम में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया। श्रीलंका के विरुद्ध १९८२-८३ में उन्होंने अपनी कप्तानी में प्रवेश किया। जब उन्हें विश्वकप की कप्तानी का अवसर मिला। तो वह एक औसत खिलाडी ही थे। परन्तु अपने आश्चर्यजनक प्रदर्शन, नेतृव क्षमता तथा अपनी टीम के सहयोग से भारत को प्रथम विश्वकप जिताया। और रातों-रात ही भारतीय इतिहास का चमकता सितारा बन गये। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में उन्होंने १९९२ के विश्वकप में अपना अंतिम अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेला। उन्होंने अपने क्रिकेट जीवन में एक दिवसीय क्रिकेट में २२५ और टेस्ट क्रिकेट में १३१ मैच खेले। उन्होंने एक दिवसीय क्रिकेट में २३.७९ की औसत से ३७८३ रन तथा टेस्ट क्रिकेट में ३१.०५ की औसत से ५२४८ रन बनाये। उन्होंने गेंदबाजी करते हुए एक दिवसीय तथा टेस्ट क्रिकेट में क्रमशः २५३ तथा ४३४ विकेट लिये।
१९८३ के विश्वकप में जिमबाब्वे के विरुद्ध उनकी १७५ रन की अविस्मरणीय पारी खेली। जिसके कारण भारत वह मैच जीता। उन्होंने एक दिवसीय क्रिकेट में १ और टेस्ट क्रिकेट में ८ शतक लगाए हैं।
सेवानिवृत्ति के पश्चात्
कपिल देव ने १९९४ में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। १९९९ में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का प्रशिक्षक चुना गया। इस अवधि में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। जिसमें वे मात्र एक टेस्ट मैच जीते और आस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के विरुद्ध दो बड़ी श्रृंखला हारे। मनोज प्रभाकर द्वारा सट्टेबाजी में फंसाये जाने के बाद उन्होंने अपने प्रशिक्षक के पद को त्याग दिया। २००५ में उन्होंने खुशी नामक एक राष्ट्रीय सरकारी संगठन की स्थापना करी। अभी वे उसके अध्यक्ष हैं। खुशी दिल्ली में कम विशेषाधिकृत बच्चों के लिये तीन विद्यालय चलाती है। २४ सितम्बर २००८ को उन्होंने भारतीय प्रादेशिक सेना में भाग लिया। और उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में चुना गया।
पुरस्कार
१९७९ - ८० - अर्जुन पुरस्कार
१९८२ - पद्मश्री
१९८३ - विस्डेन क्रिकेटर आफ द ईयर
१९९१ - पद्मभूषण
२००२ - विस्डेन इन्डियन क्रिकेटर आफ द सेन्चुरी
व्यापार में रुचि
२००५ में कपिल देव ने जिकौम इलेक्ट्रॉनिक्स में ५% दाव लिया। चंडीगढ़ के कपिल्स इलेवेन रेस्टोरेंट के वे मालिक हैं। उन्होंने इकबाल, चैन कुली की मैन कुली तथा मुझसे शादी करोगी जैसी फिल्मों में छोटे पात्र भी निभाए हैं।
सन्दर्भ
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- १९९१ पद्म भूषण
- 1959 में जन्मे लोग
- जीवित लोग
- भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
- चंडीगढ़ के खिलाड़ी
- दाहिने हाथ के बल्लेबाज़
- हरफनमौला खिलाड़ी
- भारतीय बल्लेबाज़
- दाहिने हाथ के गेंदबाज
- भारतीय क्रिकेट कप्तान
- भारतीय टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी
- भारतीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी
- भारतीय क्रिकेट कोच
- अर्जुन पुरस्कार के प्राप्तकर्ता