कोच्चि

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കൊച്ചി
कोचीन
महानगर
उपनाम: अरब सागर की रानी[१][२]
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निर्देशांक: साँचा:coord
देशसाँचा:flag/core
राज्यकेरल
ज़िलाएर्नाकुलम ज़िला
शासन
 • सभाकोच्चि नगर निगम
 • महापौर(भा.रा.काँग्रेस)
 • पुलिस आयुक्तएम आर अजीत कुमार, आईपीएस
क्षेत्र[३]साँचा:infobox settlement/areadisp
 • महानगरसाँचा:infobox settlement/areadisp
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2012)[४]
 • महानगर६१२,३४३
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
 • महानगर[५]२१,१७,९९०
 • महानगरीय घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएं
 • आधिकारिकमलयालम, अंग्रेज़ी
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
पिन682 XXX
दूरभाष कूट91-(0)484-XXX XXXX
वाहन पंजीकरणKL-7,KL-39,KL-41,KL-42,KL-43,KL-63
तटरेखासाँचा:convert
लिंग अनुपात1.028 /
साक्षरता98.5%
नई दिल्ली से दूरीसाँचा:convert NE (भूमि)
मुंबई से दूरीसाँचा:convert NW (भूमि)
बंगलुरु से दूरीसाँचा:convert N (भूमि)
जलवायुAmw (कोप्पन)
वर्षासाँचा:convert
वेबसाइटwww.corporationofcochin.net

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कोच्चि (Kochi), जिसे कोचीन भी कहा जाता था, भारत के केरल राज्य के एर्नाकुलम ज़िले में लक्षद्वीप सागर से तटस्थ स्थित एक बड़ा बंदरगाह नगर है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम (जनसंख्या ६,७७,३८१) राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। यह कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है।[७] नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम करता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है।

कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहाँ पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना। १५३० में गोवा के चुने जाने तक यह पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा। कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के साथ ही यह डच एवं ब्रिटिश के नियंत्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। [८][९] नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है।[१०] मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था।

भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है,[११][१२] जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है।[१३] नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम),[१४][१५] एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) [१६] कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के[१७] एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है।

व्युत्पत्ति

प्राचीन विदेशी घुमन्तु७ओं तथा व्यापारीगणों द्वारा कोच्चि को विभिन्न नामों से इंगित किया गया है जैसे Cocym, Cochym, कोचीन, एवं Kochi आदि।[१८] कोचीन यहूदी समुदाय द्वारा इसे कोचिन (Kogin/קוגין) भी बोला जाता था, जैसा कि सायनागोग की मुहर में भी दिखाई देता है[१९] और ये मुहर अभी भी उस समुदाय के पास रखी है। "कोच्चि" नां का उद्गम एक मलयालम शब्द कोचु आझी से प्रतीत होता है, जिसका अर्थ है एक छोटी खादई या झील या लैगून। एक अन्य धारणा के अनुसार कोच्चि का उद्गम कॅची से है जिसका अर्थ है बंदरगाह।[२०] इतालवी अन्वेषकों निकोलो कॉण्टी (१५वीं शताब्दी) तथा फ़्रा पाओलीन (१७वीं शताब्दी) के अनुसार कोच्ची शब्द का उद्गम इसी नाम की एक छोटी नदी से है जो बैकवाटर्स को सागर से जोड़ती थी।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] पहले पुर्तगालियों के आगमन और फ़िर ब्रिटिश आगमन से कोचीन नाम को लगभग आधिकारिक पदवी मिल गई थी। १९९६ में नगर को अपने मूल मलयालम नाम के एक निकटवर्त्ती आंग्लीकृत रूप कोच्चि मिला। इस नाम को कोचीन नगर निगम ने अमान्य कर अस्वीकार कर दिया और निगम अभी तक "कोचीन" नाम ही चला रहा है।

इतिहास

पैरादेसी सायनागोग शिलालेख
इन्हें भी देखें: कोचीन का राज्य

कोची भारतीय मसाला व्यापार का केन्द्र कई शताब्दियों से रहा है, जिसकी जानकारी यवनों (प्राचीन यूनानियों एवं रोमवासियों) के साथ साथ यहूदियों, सीरियाइयों, अरबों तथा चीनियों को प्राचीन काल से ही थी। [२१] कोची का महत्त्व १३४१ में पेरियार नदी में आयी बाढ़ के कारण कोदुंगलूर (क्रैंगनोर) के निकटस्थ मुज़िरिस बंदरगाह के नष्ट होने के बाद से बहुत बढ़ गया था। [२२] कोची के सबसे पुराने ज्ञात उल्लेख चीनी यात्री मा हुआन की एडमिरल ज़ेंग हे के अधीन की गई उनकी १५वीं शताब्दी की यात्राओं के वर्णन में मिलता है।[२३] १४४० में यहां आये इतालवी यात्री निक्कोलो दा कॉण्टी ने भी कोची शहर का उल्लेख अपने वृत्तान्तों में किया है। [२४]

इतिहासविदों के अनुसार कोची राज्य का मूल राज्य १२वीं शताब्दी में चेर वंश के पतन उपरांत ही यहां अस्तित्त्व में आगया था। [२०] इस राज्य का अधिकार वंशानुगत था और इन्हें स्थानीय लोगों द्वारा पेरम्पदप्पु शासक कहा गया था। कोची की मुख्यभूमि १८वीं शताब्दी तक इस राज्य या रजवाड़ेकी राजधानी बनी रही तथा कोची का राजा ही वर्तमान कोच्चि नगर क्षेत्र तथा निकटवर्त्ती क्षेत्रों पर अधिकार रखता था। हालांकि बाद के काफ़ी समय से राज्य में विदेशी आधिपत्य रहा एवं राजा को केवल नाममात्र का अधिकार प्राप्त रहा था। पुर्तगाली अन्वेषक पैड्रो अल्वरेज़ कैब्राल ने भारत में प्रथम यूरोपीय उपनिवेश १५०० में कोची में बसाया।[२५][२६] १५०३ से १६६३ तक, फ़ोर्ट कोच्चि (फ़ोर्ट ईमैन्युअल) पुर्तगाली साम्राज्य के अधीन रहा। ये पुर्तगाली आधिक्पत्य-काल सेंट थोमस ईसाइयों एवं कोचीन यहूदियों के लिये बेहद विपत्ति काल रहा, क्योंकि तत्कालीन पुर्तगाल-अधीन भारत में साम्राज्य आधिपत्य विवाद आदि बढ़ रहे थे। कोची में प्रथम पुर्तगाली अन्वेषक वास्को डा गामा की कब्र भी बनी हुई है, जिसने भारत की खोज हेतुप्रथम सफ़ल अभियान किया था। उसे सेंट फ़्रांसिस गिरजाघर में दफ़नाया गया था। बाद में उसके अवशेष १५३९ में पुर्तगाल लौटा दिये गए।[२७] पुर्तगाली शासन के बाद यहा डच शासन आया, जिन्हों ने यहां के स्थानी कालीकट के ज़मोरिन के साथ संधि कर कोची पर आक्रमण किया व अधिकार कर लिया था। १७७३ में मैसूर राज्य के शासक हैदर अली द्वारा अपने राज्य के मालाबार क्षेत्र में विस्तार के अन्तर्गत्त कोची पर अधिकार कर उसे मैसूर के अधीन कर लिया गया था। इस समय तक कोची की वंशानुगत प्रधानमंत्री पालियथ अचान भी पदच्युत हो गए।

इसी बीच डच लोगों ने यूनाइटेड डच प्रोविन्स पर युद्ध की आशंका के चलते, १८१४ की आंग्र-डच संधि कर ली, जिसके अन्तर्गत्त कोची को बांग्का द्वीप के बदले संयुक्त राजशाही के अधीन दे दिया गया। वैसे इस संधि के पूर्व में भी यहां ब्रिटिश उपस्थिति के साक्ष्य मिलते हैं।[२८]

१८६६ में फ़ोर्ट कोच्चि नगर पालिका बन गया, और इसका प्रथम म्युनिसिपल काउन्सिल ईटिंग कान्टेस्ट १८८३ में आयोजित हुआ। १८९६ में कोचीन के महाराजा ने एर्णाकुलम एवं मट्टनशेरी में दो अन्य परिषदों के गठन कर स्थानीय प्रशासन का आरम्भ किया। १९०७ में मद्रास प्रेसिडेन्सी के तत्कालीन राज्यपाल (गवर्नर) सर अर्थर लॉली, उनके भ्राता बेल्बी लॉली, मद्रास गवर्नर (१८९१-९६) कोचीन एवं त्रावणकौर के आधिकारिक भ्रमण पर निकले और २५ जनवरी से १४ फ़रवरी तक यहां का भ्रमण किया। २६ जनवरी को कोचीन के राजा ने इनसे भेंट की व इनके सम्मान में एर्णाकुलम में रात्रिभोज का आयोजन किया।[२९][३०][३१][३२]

१९२५ में आम जनता के दबाव के कारण कोची विधान सभा का गठन किया गया।

सेंट फ़्रांसिस गिरजा घर, कोची १५०३ में बना, भारत का प्राचीनतम यूरोपीय गिरजाघर है।[३३]

२०वीं शताब्दी के आरंभ तक बंदरगाह पर व्यापार व आवागमन काफ़ी हद तक बढ़ गया, जिसके चलते इसके विकास की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। १९२० में एक हार्बर इंजीनियर रॉबर्ट ब्रिस्टो को तत्कालीन मद्रास प्रेसिडेन्सी के गवर्नर लॉर्ड विलिंग्डन के आदेश पर बुलाया गया। २१ वर्ष के बाद कोचीन बंदरगाह प्रायद्वीप का सुरक्षिततम बंदरगाह बन गया, जहां जहाज नवनिर्मित हार्बर बना था और भाप की क्रेन स्थापित थीं।[३४]

१९४७ में ब्रिटिश राज से भारत के स्वतंत्र होने पर, कोचीन प्रथम रजवाडआ था जिसने स्वेच्छा से भारतीय संघ में बने रहने का चुनाव किया। [२०] १९४९ में कोचीन एवं त्रावणकौर के विलय उपरांत त्रावणकोर-कोचीन राज्य अस्तित्त्व में आया। तब त्रावणकोर का राजा त्रावणकोर-कोचीन संघ का राजप्रमुख बना और १९५६ तक रहा। त्रावणकोर-कोचीन को तब मद्रास राज्य के मालाबार जिले में विलय कर दिया गया। और अन्ततः भारत सरकार के राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ में एक नये राज्य क जन्म हुआ  — केरल — जिसमें त्रावणकोर-कोचीन (सिवाय चार दक्षिणी तालुल के, जो तमिल नाडु में विलय किये गए), मालाबार जिला के साथ साथ कसरगोड एवं दक्षिण कन्नड़ जिले सम्मिलित थे। [३५] ९ जुलाई, १९६० को मट्टनशेरी ने एक प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा— जिसमें तत्कालीन फ़ोर्ट कोची, मट्टनशेरी एवं एर्णाकुलम की नगरपालिका क्षेत्रों को विलय कर एक नगर निगम की स्थापना की जाने का निवेदन था। सरकार ने प्रस्तावित विलय की संभावनाएं तलाशने हेतु एक आयोग का गठन किया। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर केरल विधान सभा ने नगर निगम की स्थापना की स्वीकृति दे दी। केरल राज्य की स्थापना के ठीक एक वर्ष बाद, १ नवंबर, १९६७ को, कोचीन नगर निगम की स्थापना की गई। यह विलय एर्णाकुलम, मट्टनशेरी, एवं फ़ोर्ट कोची की नगर पालिकाओं के बीच हुआ था। इनके अलावा इस नगर निगम में विलिंग्डन द्वीप, चार पंचायतें (पाल्लुरुती, वेन्नल, वयत्तिल एवं एडपल्ली) तथा दो छोटे द्वीप गुण्डु एवं रमणतुरुत भी शामिल थे। कोची एवं एर्णाकुलम जिलों को १ अप्रैल, १९५८ को तत्कालीन त्रावणकोर-कोची-म्लाबार रजवाड़ों से काट कर निकाला गया था। जिले का अधिकांश भाग कोची राज्य से ही लिया गया था। [६]

शहर के आर्थिक विकास ने भारत सरकार द्वारा १९९० के दशक के आरम्भ में लाये गए आर्थिक सुधारों के बाद से तेज गति पकड़ी। वर्ष २००० आने तक सेवा क्षेत्र ने भी इस आर्थिक प्रगति को भरपूर बल दिया। सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित विभिन्न पार्कों की स्थापना के साथ साथ अन्य जहाजपत्तन एवं बंदरगाह आधारित अवसंरचना विकास के चलते नगर में अचल-सम्पत्ति व्यापार को बड़ी हवा दी। बाद के वर्षों में कोच्चि ने त्वरित व्यावसायीकरण अनुभव किया और परिणामस्वरूप ये नगर आज केरल राज्य के बड़े वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में विकसित हो चुका है। [३६]

भूगोल एवं जलवायु

भूगोल

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कुडन्नूर सेतु से तेवर का एक दृश्य

कोच्चि की भौगोलिक स्थिति भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट लुआ त्रुटि: callParserFunction: function "#coordinates" was not found। निर्देशांक पर है, और इसका क्षेत्रफ़ल साँचा:convert है। नगर में यहां के प्रसिद्ध बैकवॉटर्स हैं, और प्रायदीप के उत्तरी छोर तक जाते हैं। इसके पश्चिम में लक्षद्वीप सागर है तथा पूर्वी ओर शेष मुख्यभूमि का शहरी विस्तार है। यहां का अधिकांश क्षेत्र समुद्र सतह (की ऊंचाई) पर ही बना है और इसकी तटरेखा ४८ किमी है।[२०]

कोच्चि शहर की वर्तमान नगरपालिका सीमाओं में उत्तर-पूर्वी ओर मुख्यभूमि एर्णाकुलम, फ़ोर्ट कोची तथा एडापल्ली, कलामशेरी एवं कक्कनाड के उपनगरीय क्षेत्र; दक्षिण-पूर्व में तिरुपुनितरा हैं एवं वेम्बनाड झील में निकटस्थ द्वीपसमूह भी है। इसके अधिकांश द्वीप अति लघु आकार के हैं और इनका क्षेत्रफ़ल ६ किमी2 से लेकर 1 किमी2 से भी कम (1,500 से लेकर २५० एकड़ से कम तक)।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] राज्य सरकार एवं जीसीडीए की योजना है कि कोच्चि महानगरीय क्षेत्र की सीमा में स्थित माला एवं कोडंगलूर को त्रिशूर जिले में, अंगमाली, पेरंबवूर, पिरावुम एवं कोलनशेरी को एर्णाकुलम जिले में, तालयोलपेरंबु एवं वाइकोम को कोट्टयम एवं चेरतला को अलापुझा जिले में जोड़ दिये जाएं। इस तरह नवनिर्मित महानगरीय क्षेत्र को नवगठित कोच्चि मेट्रोपॉलिटन रीजनल डवलपमेण्ट अथॉरिटी (कोच्चि महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण) के अधीन दे दिया जायेगा।[३७][३८] हालांकि द हिन्दु की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को इस विषय में अभी कोई पक्का निर्णय लेना बाकी है।[३९]

यहां की मृदा में एल्यूवियम, टेरी की भूरी बालू, आदि के कण मिलते हैं। हाइड्रोमॉर्फ़िक क्षारीय मृदाएं भी बैकवाटर्स की निकटस्थ भूमि में मिलती हैं।[२०]

यहां मिलने वाले प्रधान पाषाण आर्केइयन-बेसिक डाइक, चार्नोकाइट्स एवं ग्निसेज़ प्रकार के हैं। एक पारिस्थितिकी संवेदन क्षेत्र मंगलवनम पक्षी अभयारण्य नगर के केन्द्रीय भाग में स्थित है। इसमें मैन्ग्रोव की ढेरों प्रजातियां मिलती हैं तथा बड़ी संख्य़ा में प्रवासी पक्षियों की आवास-भूमि है।

कोच्चि की जल आपूर्ति अधिकांशतः भूमिगत जल एवं जिले में बहने वाली दो नदियों, पेरियार एवं मुवत्तपुझा पर ही निर्भर हैं। पेरियार नदी नगर के उत्तरी भाग की आपूर्ति करती है तथा मुवत्तपुझा नदी जेएननुर्म परियोजना के अन्तर्गत्त पश्चिमी कोच्ची, पूर्वी कोच्चि एवं चेरतल ताल्लुक के भागों की आपूर्ति जापान वॉटर प्रोजेक्ट स्कीम के अन्तर्गत्त करती है।

जलवायु

कोप्पन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार, कोच्चि में उष्णकटिबन्धीय मॉनसून जलवायु (Am) है। कोच्चि का भूमध्यरेखा से सामीप्य तथा इसकी तटीय स्थिति के परिणामस्वरूप यहां मौसमी तापमान में थोड़ा ही परिवर्तन होता है, एवं उच्च स्तर की आर्द्रता भी रहती है। यहां वार्षिक तापमान साँचा:convert के बीच रहता है एवं अंकित अधिकतम तापमान साँचा:convert, एवं न्यूनतम तापमान साँचा:convert है।[४०] पश्चिमी घाट के हवाई ओर स्थित होने के कारण जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून कोच्चि में तेज वर्षा लाता है। अक्तूबर से दिसम्बर पर्यन्त, कोच्चि में उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण हल्की वर्षा होती यहां की सालाना वर्षा साँचा:convert है तथा सालाना औसत वर्षा के १२५ दिन होते हैं।[४१]

कोच्चि (१९७१-२०००) के जलवायु आँकड़ें
माह जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितम्बर अक्टूबर नवम्बर दिसम्बर वर्ष
उच्चतम अंकित तापमान °C (°F) 36.4
(97.5)
35.7
(96.3)
36.0
(96.8)
36.5
(97.7)
35.2
(95.4)
34.2
(93.6)
33.1
(91.6)
32.5
(90.5)
34.2
(93.6)
34.6
(94.3)
35.6
(96.1)
34.8
(94.6)
36.5
(97.7)
औसत उच्च तापमान °C (°F) 31.7
(89.1)
31.9
(89.4)
32.5
(90.5)
32.9
(91.2)
32.3
(90.1)
30.1
(86.2)
29.3
(84.7)
29.3
(84.7)
30.0
(86)
30.6
(87.1)
31.2
(88.2)
31.8
(89.2)
31.1
(88)
औसत निम्न तापमान °C (°F) 22.6
(72.7)
24.0
(75.2)
25.3
(77.5)
25.9
(78.6)
25.7
(78.3)
24.1
(75.4)
23.7
(74.7)
23.9
(75)
24.2
(75.6)
24.1
(75.4)
24.0
(75.2)
23.1
(73.6)
24.2
(75.6)
निम्नतम अंकित तापमान °C (°F) 16.5
(61.7)
16.3
(61.3)
21.6
(70.9)
21.3
(70.3)
21.1
(70)
20.4
(68.7)
17.6
(63.7)
20.6
(69.1)
21.1
(70)
19.2
(66.6)
19.2
(66.6)
17.7
(63.9)
16.3
(61.3)
औसत वर्षा मिमी (inches) 23.3
(0.917)
25.9
(1.02)
30.8
(1.213)
94.8
(3.732)
282.8
(11.134)
705.8
(27.787)
593.6
(23.37)
403.1
(15.87)
279.6
(11.008)
320.3
(12.61)
174.9
(6.886)
43.2
(1.701)
२,९७८
(११७.२४४)
स्रोत: भारतीय मौसम विभाग (२०१० तक के अंकित अधिकतम एवं न्यूनतम)[४०][४१]

नागर प्रशासन

कोच्चि नगर अधिकारी
महापौर टोनी चाम्मिनी
उप-महापौर भद्र सतीश
पुलिस आयुक्त एम आर अजीत कुमार
केरल उच्च-न्यायालय का एक कार्यशील दिवस
एर्णाकुलम टाउन हॉल

नगर प्रशसन कोच्चि नगर निगम के अधीन है, जिसकी ब्गडोर मह्पौर के हाथ में रहती है। प्रशासनिक उद्देश्य से नगर क्षेत्र को ७४ वार्ड्स में बांटा हुआ है,[४२] जहां प्रत्येक वार्ड से निगम परिषद के सदस्य चुन कर पांछ वर्ष के लिये आते हैं। पहले कोचीन क्षेत्र में फ़ोर्ट कोची, मट्टनशेरी, एवं एर्णाकुलम इस क्षेत्र की तीन नगरपालिकाएं हुआ करती थीं, जिन्हें बाद में विलय कर कोचीन नगर निगम की स्थापना की गई। निगम का मुख्यालय एर्णाकुलम में है तथा मण्डलीय कार्यालय पाल्लरुति, इडपल्ली, वडुथल एवं वयतिल्ला में स्थित हैं। नगर का सामान्य प्रशासन क्र्मिक विभाग परिषद स्टैंडिंग समिति अनुभाग द्वारा देखा जाता है। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] अन्य विभागों में नगर योजना, स्वास्थ्य, अभियांत्रिकी, कर एवं लेखा विभाग आते हैं। [२०] नगर में अपशिष्ट निपटान और सीवेज प्रबंधन के लिये भी निगम ही उत्तरदायी है। नगर में दैनिक अपशिष्ट लगभग ६०० टन होता है साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] जिसक एक बड़ा भाग ब्रह्मपुरम सॉएल्ड वेस्ट प्लांट द्वारा कार्बनिक खाद में बदल दिया जाता है।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] पेय जल की आपूर्ति पेरियार नदी से केरल जल प्राधिकरण (केरल वॉटर अथॉरिटी) द्वारा कोची वॉटर वर्क्स विभाग के सहयोग से की जाती है। [४३] नगर की विद्युत आपूर्ति केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड द्वारा की जाती है}। ग्रेटर कोचीन क्षेत्र के विकास के उत्थान एवं उस पर नियंत्रण रखने का कार्य ग्रेटर कोचीन डवलपमेण्ट अथॉरिटी (जीसीडीए तथा गोश्री आईलैण्ड डवलपमेण्ट अथॉरिटी (जीआईडीए) द्वारा किया जाता है। दोनों ही सरकारी संस्थाएं हैं तथा नगर के अवसंरचना विकास में कार्यशील हैं।

विधि एवं व्यवस्था

कोच्चि में ही राज्य का केरल उच्च न्यायालय भी स्थित है। राज्य की विधि व्यवस्था केरल सिटी पोलीस की देखरेख में रहती है। इस संस्था के सर्वोत्तम अधिकारी पुलिस आयुक्त हैं, जो एक भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) अधिकारी होते हैं। नगर को व्यवस्था हेतु पांच भागों में बांटा गया है, जिनमें से प्रत्येक का एक सर्किल अधिकारी होता है। सामान्य व्याय व्यवस्था के अतिरिक्त पोलीस सेवा यातायात पोलीस, नार्कोटिक्स प्रकोष्ठ, रॉएट हॉर्स, सशस्त्र रिज़र्व कैम्प्स, जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो तथा महिला पोलीस स्टेशन भी चलाती है। [४४] यहां केरल सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत १९ पुलिस स्टेशन हैं। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]। इनके अलावा केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक भ्रष्टाचार विरोधी शाखा भी नगर में स्थित है। केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तीन स्क्वैड्रन्स नगर की विभिन्न राज्य व केन्द्र सरकारी भारी उद्योगों, विमानक्षेत्र एवं बंदरगाह क्षेत्रों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं। अन्य प्रमुख केन्द्र सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेन्सी, डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यु इन्टेलिजेन्स, भारतीय कस्टम्स विभाग नगर में एक प्रमुख बंदरगाः होने के कारण स्थित हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), कोच्ची के आंकड़ों के अनुसार भारतीय पैनल कोड के अन्तर्गत्त अपराधों में २००९ के मुकाबले २०१० में 193.7 % बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पूरे राज्य में अपराध दर 424.1 के मुकाबले 1,897.8 दर्ज की गई है।[४५] हालांकि कोच्चि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हत्या व अपहरण जैसे बड़े अपराधों में नगर में राज्य के अन्य शहरों की अपेक्षा कमी अंकित की गई है। [४६][४७]वर्षाकाल में तमिल नाडु राज्य के तिरुनेलवेली के निकटवर्ती तिरुट्टु ग्राम (चोरों का गांव) से बड़ी संख्या में योजनाबद्ध तरीके बड़ी संख्या में चोरों के समूह नगर में आते हैं व चोरियां करते हैं।[४८] हाल के समय में केरल पुलिस ने कोच्चि के विभिन्न आवासी संघों (रेज़िडेन्ट एसोसियेशन्स) की सहायता से इन चोरियों की रोकथाम हेतु प्रयास तेज किये हैं।[४९] इस गांव के चोरों के उत्पातों से प्रभावित होकर फ़िल्म निर्देशक जॉन एन्टोनी ने एक मलयालम फ़िल्म 'तिरुट्टु ग्रामम ' का निर्माण अभिनेता मम्मूटी के साथ किया है। इस फ़िल्म में मम्मूटी ने एक अभ्यस्त लुटेरे चोर की भूमिका की है। [५०]

अर्थ व्यवस्था

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कोचीन शिपयार्ड

कोच्ची को केरल राज्य की वाणिज्यिक राजधानी माना जाता रहा है।[५१] कोच्ची में ही कोचीन स्टॉक एक्स्चेंज भी स्थापित है, जो कि केरल का एकमात्र स्टॉक एक्स्चेंज है। भारत का चौथा सबसे बड़ा निजी-सेक्टर का बैंक यहीं अल्युवा में स्थित है। एक बड़ा ऑनलाइन ट्रेडिंग केन्द्र होने के कारण ही यहां सेबी ने अपना स्थानीय कार्यालय भी खोला है। [५२]

विद्युत, ताजा जल, लम्बी तटरेखा, बैकवाटर्स, अच्छी बैंकिंग सुविधाओं, एक बड़े बंदरगाह की उपस्थिति, कण्टेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल एवं एक अन्तर्राष्ट्रीय हवाई हब ऐसे कुछ कारक हैं जिन्होंने नगर की एवं निकटवर्ती इलाकों की औद्योगिक प्रगति में त्वरण का कार्य किया है। [३६] हाल के वर्षों में नगर ने भारी निवेश अनुभव किया है; जिसके चलते कोच्चि भारत के तेजी से प्रगति करते द्वितीय वर्ग महानगरों में गिना जाने लगा है।[५३][५४] कोच्चि महानगरीय क्षेत्र से उपजा राजस्व राज्य की आय में भारी योगदान देता है।[५५][५६] यह जिला राज्य के सकल घरेलु उत्पाद का सर्वाधिक, १४.४७% योगदान देता है। [५७] निर्माण एवं विनिर्माण से ३७%, व्यापार, पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी मिलाकर और २०% योगदान देते हैं। यहां के प्रधान व्यापारों में निर्माण, विनिर्माण, जहाज-निर्माण, सीफ़ूड एवं मसालों का निर्यात, परिवहन एवं जहाजरानी, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन, चिकित्सा सेवाएं एवं बैंकिंग हैं। कोच्ची को विश्व बैंक द्वारा संसार के प्रधान औद्योगिक नगरों में वरीयता क्रम से १८वां स्थान दिया गया है। हालांकि २००९ के एक रैंकिंग ऑफ़ ईज़ टू स्टार्ट अ विज़नेस (व्यापार आरम्भ करने में सहायक) नगरों की भारत में १७ वरीय शहरों में कोच्चि को अंतिम द्वितीय कठिनतम नगर अर्थात १७ में से १६वां का स्थान प्राप्त हुआ था। यह स्थान कोलकाता से ऊपर था, जो १७वें स्थान पर था। [५८]

केरल के अधिकांश क्षेत्रों की भांति जी, कोच्चि में भी अप्रवासी भारतीय परिवारगणों द्वारा भेजे गए पैसे ही परिवार की आय-स्रोत हैं।[५९] नगर केन्द्र से 17 कि.मी (11 मील) की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित एलूर केरल राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां 250 से अधिक उद्योग एवं निर्माणियां स्थापित हैं। इन इकाइयों में विभिन्न प्रकार के मदों, जैसे रसायन, पेट्रोरसायन उत्पाद, कीटनाशक, रेयर अर्थ धातु-उत्पाद, उर्वरक, जस्ता एवं क्रोमियम यौगिक एवं चर्म उत्पादों का निर्माण/ उत्पादन होता है। [६०] केरल की सबसे पुरानी उर्वरक एवं रसायन उत्पादन निर्माणी फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कॅमिकल्स त्रावणकोर लि. (FACT) भी कोच्चि में ही स्थित है। [६१] दक्षिण भारत की सबसे बड़ी तेल-शोधन सुविधा अम्बलामुगळ में बी.पी.सी.एल की कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ में उपलब्ध है। पेट्रोनेट इण्डिया ने अब तक ऊर्जा एवं ईंधन की आवश्यकता के लिये प्राकृतिक गैस के आयात एवं भण्डारण हेतु कोच्चि एल.एन.जी टर्मिनल का निर्माण कार्य लगभग पूरा ही कर लिया है।[६२] इनके सिवाय नगर में विभिन्न केन्द्र सरकारी कार्यालय जैसे कोकोनट डवलपमेण्ट बोर्ड, क्वायर बोर्ड ऑफ़ इण्डिया तथा मैरीन प्रोडक्ट्स एक्स्पोर्ट डवलपमेण्ट अथॉरिटी (MPEDA) के मुख्यालय भी स्थित हैं।

कोच्चि रिफ़ायनरीज़ की ऑफ़शोर कोच्चि स्थित एस.पी.एम सुविधा।

नगर केन्द्र से 19.9 किमी दूर स्थित कलामश्शेरी केरल का औद्योगिक केन्द्र कहा जा सकता है। यहां बड़ी औद्योगिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाईज़र एण्ड कैमिकल्स त्रावणकोर (फ़ैक्ट), एच.एम.टी, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग जैसे इन्फ़ोपार्क, किन्फ़्रा हाईटेक पार्क आदि भी शहर के उपशहरी क्षेत्र में स्थित हैं। नीरा डवलपमेण्ट सेण्टर का मुख्यालय भी कलामश्शेरी में ही स्थित है। इसके अलावा यहां कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी स्थित है।

केरल के अन्य स्थानों की ही भांति यहां की स्थानीय अर्थ-व्यवस्था में पर्यटन का भी विशेष योगदान है। कोच्चि जहाम स्थित है, वह एर्णाकुलम जिला केरल में भ्रमण करने वाले कुल स्थानीय पर्यटकों की संख्या के अनुसार प्रथम स्थान पर है,[९] और इस प्रकार से नगर की अर्थ-व्यवस्था में इसका योगदान गहरा है। फ़ोर्ट कोच्चि स्थित पर्यटक एन्क्लेव परिसर एवं अन्य पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक स्मारकों तथा इमारतों, संग्रहालयों, आदि के साथ–साथ वेम्बनाड झील तथा बैकवाटर्स जैसे प्राकृतिक आकर्षणों के कारण नगर ढेरों पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। स्थानीय निवासियों के लिये नगर में बड़ी संख्या में स्थित अस्पतालों एवं चिकित्सा सुविधाओं के माध्यम से रोज़गार का प्रधान स्रोत उपलब्ध होता है। कोच्चि बंदरगाह अन्तर्राष्ट्रीय जलयात्रियों के लिये नियमित रूप से उपयोग होने वाला बड़ा केन्द्र है।[६३] नगर में देश की प्रथम मैरीना सुविधा उपलब्ध होने से[६४] कोच्चि मरीना बड़ी संख्या में यॉट-चालकों का आकर्षण बना रहता है। कोच्चि की अर्थ-व्यवस्था में एक बड़ा योगदान यहां की तेजी से फ़लती-फ़ूलती रियल-एस्टेट उद्योग का भी है। यहां बहुत से छोटे-बड़े रिअल-एस्टेट व्यापारियों ने खूब कमाया है और ऊंचे लक्ष्य प्राप्त किये हैं।

भारती नौसेना की दक्षिण नवल कमान का मुख्यालय कोच्चि नगर में स्थित है। यह भारतीय नौसेना का प्राथमिक प्रशिक्षण केन्द्र है।[६५] कोचीन शिपयार्ड का नगर में बड़ा आर्थिक योगदान है।[६६][६७] तोप्पुमपाडी स्थित मछली-पकड़ने के तट पर छोटे तौर पर ये व्यवसाय चालू है तथा स्थानीय एवं आयात बाजार हेतु मत्स्य आपूर्ति करता है। कोच्चि के वर्ष पर्यन्त चलने वाले हार्बर की क्षमताओं का अधिक उपयोग करने हेतु एक अन्तर्राष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल तथा कई मैरीनाज़ का निर्माण कार्य प्रगति पर है। [६८][६९]

कोच्चि मरीना भारत का प्रथम और अभी तक एकमात्र मरीना है।

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निर्यात एवं इससे सम्बद्ध अन्य कार्यकलापों का भी नगर की अर्थ-व्यवस्था में आर्थिक योगदान रहा है। वर्तमान में अपने विलिंगडन द्वीप स्थित टर्मिनल से कण्टेनर कार्गो के आयात एवं निर्यात आवागमन संभाल रहा है। वल्लारपड़म स्थित अन्तर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल भारत का सबसे बड़ा कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल है।[७०][७१][७२][७३] कोचीन पोर्ट ट्रस्ट की पुट्टुवाइप के निकट एक बाहरी बंदरगाह निर्माण की भी योजना है।[७४] कोच्चि की व्यापार पर एतिहासिक निर्भरता रही है जो आधुनिक काल में भी जारी है। आज भी कोच्चि अन्तर्राष्ट्रीय पेप्पर एक्स्चेंज के गृहस्थान की पदवी बनाए हुए है, जहां से काली मिर्च (पेप्पर) का वैश्विक स्तर पर व्यापार होता रहा है एवं अभी भी जारी है। भारतीय मसाला बोर्ड (स्पाइस बोर्ड ऑफ़ इण्डिया) एवं विश्व मसाला संघ (इण्टरनेशनल स्पाइस ऑर्गनाइज़ेशन) के मुख्यालय भी यहीं स्थित हैं।

राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा दिये गए सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं से संबद्ध उद्योगों का प्रसार भी यहां अपने उत्कर्ष पर है। सागर-निहित केबल्स के कारण सस्ती नेटवर्क बैण्डविड्थ एवं अन्य भारतीय शहरों की अपेक्षा सस्ती प्रचालन लागत इस नगर के इन उद्योग प्रसार हेतु एक बड़ी सहायक उपलब्धि रही है। नगर के बाहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रौद्योगिकी एवं औद्योगिक पार्क हैं। इनमें सरकार द्वारा बढ़ावा दिये गए इन्फ़ोपार्क, कोचीन विशेष आर्थिक क्षेत्र (कोचीन स्पेशल एकोनॉमिक ज़ोन) एवं किन्फ़्रा एक्स्पोर्ट प्रमोशन इण्डस्ट्रियल पार्क आदि कुछ प्रमुख हैं। इनके अलावा विभिन्न औद्योगिक परिसरों के निर्माण कार्य प्रगति पर है। कक्कनाड में स्मार्ट सिटी प्रस्ताव के तहत चल रही एक प्रमुख परियोजना है। कलामश्शेरी में चल रही साइबर सिटी परियोजना भी एक एकीकृत टाउनशिप एस.ई.ज़ेड है, जिसकी प्रसार योजना निजी क्षेत्र के अन्तर्गत्त चल रही है।

कोच्चि में इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर उद्योग समूह है, जिसमें कुछ प्रमुख कंपनियाँ वी-गार्ड इण्डस्ट्रीज़, ओ.ई.एन इण्डिया लिमिटेड, एफ़सीआई-ओईएन कनेक्टर्स एवं एसएफ़ओ टेक्नोलॉजीज़ हैं। केरल सरकार द्वारा ३४० एकड़ के विस्तार में विस्तृत एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी नाम के औद्योगिक पार्क की भी योजना बतायी गई है। यह परियोजना अन्य इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर उद्योगों में सहायक होगी। [७५] एक निजी संचालक एनईएसटी (NeST)[७६] 30 एकड़ (12 हेक्टे.) के क्षेत्र में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन) का निर्माण कर रहा है, जो विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर हेतु बनायी जा रही है।

कोचीन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (सी.आई.ए) नेदुम्बश्शेरी के निकट ही एक ऍरोट्रोपॉलिस निर्माण की योजना बना रहा है।[७७][७८]

आवागमन

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वायत्तिला मोबाइल हब का विहंगम दृश्य
साँचा:magnify iconवायत्तिला मोबाइल हब का विहंगम दृश्य, ७ नवंबर, २०१३

वायु

कोच्चि का वायु द्वार है कोच्चि अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जो नगर से लगभग साँचा:convert उत्तर में नेदुम्बश्शेरी में स्थित है व अन्तर्राज्यीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों का यहीं से आवागमन होता है।[७९] यह भारत में सरकारी निधि के बिना बनाये जाने वाला प्रथम विमानक्षेत्र है [८०] एवं विश्व का प्रथम पूर्ण सौर-ऊर्जा संचालित विमानक्षेत्र है।

कोचीन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र से मध्य-पूर्व एशिया, मलेशिया एवं सिंगापुर के प्रमुख गंतव्यों सहित भारत के प्रमुख शहरों तथा लक्षद्वीप जैसे पर्यटक-प्रिय गंतव्यों के लिये उड़ाल उपलब्ध हैं। कोच्चि में ही एयर इण्डिया एक्स्प्रेस सेवा का मुख्यालय भी स्थित है। साँचा:convert के टर्मिनल क्षेत्र एवं २२०० (अन्तर्राष्त्रीय तथा देशीय) यात्री क्षमता के साथ, ये राज्य का सबसे बड़ा तथा व्यस्ततम विमानक्षेत्र है।[८१] अन्तर्राष्ट्रीय यात्री ट्रैफ़िक की गणना से यह भारत का चौथा व्यस्ततम व्यावयायी तथा अन्य दृष्टि से सातवां व्यस्ततम विमानक्षेत्र है। [८२][८३][८४][८५] साँचा:multiple image

सड़क

कोच्चि निकटवर्ती नगरों एवं पड़ोसी राज्यों से अनेक राजमार्गों द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। यह राष्त्रीय राजमार्गों के उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम गलियारे की एक कड़ी है।

राष्ट्रीय राजमार्ग

कोच्चि में राष्ट्रीय राजमार्ग ५४४, राष्ट्रीय राजमार्ग ९६६ए), राष्ट्रीय राजमार्ग ९६६बी एवं राष्ट्रीय राजमार्ग ६६ निकलते हैं।[८६][८७][८८]

राज्य राजमार्ग

केरल राज्य के विभिन्न राज्य राजमार्ग कोच्चि को राज्य के अन्य भागों से जोड़ते हैं।[८९] रा.रा १५, एत्तुमन्नूर-एर्णाकुलम मार्ग, नगर को कोट्टायम से जोड़ता है। रा.रा ४१, पलारिवत्तम-थेक्कड़ी मार्ग, जिले के पूर्वी भागों को मार्ग सुलभ कराता है। राज्य रा ६३, वाइपीन पालिपुरम मार्ग एवं राज्य रा ६६, अलपुझा – थोप्पुमपाड़ी मार्ग तटीय मार्ग हैं, जो बैकवाटर्स एवं सागर के बीच जाती संकरी भीमि पट्टी पर आवागमन सुलभ कराते हैं।

नगर की सड़कें

नगर का प्रमुख मार्ग तट के समानांतर चलने वाला महात्मा गांधी मार्ग एर्णाकुलम में १९२५ में निर्मित हुआ था। अन्य प्रमुख मार्गों में चित्तूर मार्ग, बानेर्जी मार्ग, शण्मुघम मार्ग (मैरीन ड्राइव में), कोच्चि बाइपास, कल्लूर कदावन्तरा मार्ग, पार्क एवेन्यु, सीपोर्ट-एयरपोर्ट मार्ग एवं एस.ए.मार्ग हैं।

राज्य सरकार द्वारा कोच्चि नगर हेतु एक नवीन रिंग-मार्ग प्रस्तावित है, जिसके लिये नैटपैक (NATPAC) द्वारा एक परियोजना अध्ययन प्रगति पर है।[९०]

सार्वजनिक परिवहन

सड़क

नगर के भीतर के लिये परिवहन का प्राथमिक रूप से बड़े स्तर पर निजी बस सेवाओं पर आधारित है। राज्य द्वारा संचालित बस सेवा भी तिरु-कोच्चि सर्विस नाम से नगर बस सेवा प्रदान करती है। नगर के बस टर्मिनलों में एर्णाकुलम टाउन, एर्णाकुलम जेट्टी प्रधान हैं तथा कलूर में निजी बस टर्मिनल भि है। वायतिला में एक एकीकृत ट्रांज़िट टर्मिनल मोबिलिटी हब नाम से निर्माणाधीन है। यह टर्मिनल नगर केन्द्र से सुदूर गंतव्यों हेतु बस सेवा के लिये केन्द्र का कार्य करता है। इसके अलावा यहां अन्य सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं। [९१]

कोच्चि भारत के चुने हुए उन नगरों में से है, जहां JNNURM नगर परिवहन विकास परियोजना के तहत न्यू जनरेशन वातानुकूलित निम्न-तल (लो-फ़्लोर) तथा गैर-वातानुकूलित अर्ध निम्न-तल (नॉन ए.सी सेमी लो-फ़्लोर) बस सेवाएं उपलब्ध हैं। केरलअर्बन रोड ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन (KURTC) तथा कई निजी संचालक भी पड़ोसी नगरों जैसे काकनाड, पोर्ट कोच्चि, नेदुम्बश्शेरी, पेरम्बवूर, अलुवा, मुवट्टुपुझा, कोटमंगलम एवं चेर्थला आदि को नियमित सेवाएं प्रदान करते हैं। कार टैसी तथातिपहिया रिक्शा (ऑटो) सेवा दिन भर किराये पर उपलब्ध रहते हैं।

सड़क अवसंरचना के विकास का यातायात मात्रा में वृद्धि के साथ कदम मिलाकर न चल पाना ही कोच्चि शहर की राज्य के अन्य शहरों की ही भांति प्रमुख समस्याओं में से एक है। [९२]

रेल

नगर में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं – एर्णाकुलम जंक्शन एवं एर्णाकुलम टाउन (जिन्हें स्थानीय लोग क्रमशः साउथ तथा नॉर्थ रेलवे स्टेशन कहा करते हैं)। कोच्चि का मुख्य रेलवे नियंत्रण भारतीय रेल के दक्षिणी रेलवे ज़ोन द्वारा संचालित होता है व तिरुवनंतपुरम रेलवे मण्डल के अधीण आता है। साउथ स्टेशन दक्षिण भारत के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक है, जहां से प्रतिदिन १२८ अनुसूचित रेलगाड़ियां चलती हैं (अक्तू २०१० के अनुसार)।[९३] नॉर्थ स्टेशन नगर के उत्तरी छोर पर स्थित है, जहां अधिकतर वह गाड़ियां रुकती हैं, जो साउथ स्टेशन पर नहीं रुकती हैं। इनके अलावा कई अन्य गाड़ियों के ल्लिये एक अतिरिक्त स्टेशन का कार्य भी सुलभ करता है।

एक अन्य ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन: एर्णाकुलम टर्मिनस (स्टेशन कोड: ERG) केरल उच्च न्यायालय के पीछे स्थित है। भारत की महान हस्तियों जैसे महात्मा गांधी तथा ब्रिटिश वाइसरॉय आदि कोचीन शहर इसी स्टेशन से पहुंचे थे। ये टर्मिनल नगर को रेल सेवा प्रदान करने वाला प्रथम स्टेशन था, किन्तु १९६० के दशक के आरम्भ से ही इसका प्रयोग समाप्त कर दिया गया। वर्तमान में ये स्टेशन दक्षिणी रेलवे के लिये माल डिपो का कार्य सुलभ कराता है।[९४]

कोच्चि मेट्रो

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। कोच्चि मेट्रो मेट्रो त्वरित यातायात प्रणाली (एम.आर.टी.एस) के अन्तर्गत कोच्चि नगर के लिये मेट्रो रेल सेवा है। इसके आरम्भ से नगर व निकटवर्ती इलाकों में की परिवहन की यातायात संकुलन समस्या का समाधान संभव हुआ है। [९५] इस परियोजना की आरम्भिक लागत ५,१४६ करोड़ (US$६७५.३३ मिलियन) है। २०१७ में इसका निर्माण पूरा हुआ कोच्चि मेट्रो सेवा में २२ स्टेशन है एवं ये सेवा कोच्चि के डाउनटाउन क्षेत्रों से निकलते हुए अलुवा एवं पेट्टाह के निचले इलाकों से हो कर गुजरती है। [९६]

जल

कोच्चि भारत के प्रधान बंदरगाहों में से एक गिना जाता है, जिसका आंशिक कारण हिन्द महासागर में बने बंदरगाहों में से सुरक्षिततम बंदरगाह होना भी है।[९७] इस बंदरगाह का प्रशासन कोचीन पोर्ट ट्रस्ट नामक एक सांविधिक स्वायत्त निकाय के अधीन है। यह बंकरिंग, माल यातायात एवं यात्री जहाज के संभाल एवं निपटान तथा भण्डारण स्थान सुविधा उपलब्ध कराता है। यह बंदरगाह तीन द्वीपों का समूह है, जिनमें से एक विलिंग्डन द्वीप कृत्रिम है।[९८]

यहाम से कोलंबो एवं लक्षद्वीप के लिये भी जहाजों का संचालन किया जाता है। नगर में स्थित विभिन्न बोट जेट्टियों से केरल शिपिंग एण्ड इनलैण्ड नैविगेशन कार्पोरेशन, केरल स्टेट वाटर ट्रांस्पोर्ट डिपार्टमेंट एवं कई निजी संस्थाओं द्वारा नाव सेवाएं भी संचालित की जाती हैं। एर्णाकुलम-वाइपिन, वाइपिन-फ़ोर्ट कोच्चि के बीच यातियों तथा वाहनों की जलमार्ग आवाजाही हेतु जंकर फ़ेरी सेवा उपलब्ध है। फिर भी गोश्री ब्रिजेज़ के निर्माण से (जिनके द्वारा कोच्चि के द्वीपों को जोड़ा गया है) फेरी परिवहन के प्रयोग में भारी कमी आयी है। नगर की बोट जेट्टियों में पार्क एवेन्यु के निकट एर्णाकुलम मेन बोट जेट्टी, बैनर्जी मार्ग के निकट हाई कोर्ट जेट्टी, विलिंग्डन द्वीप के निकट एम्बार्केशन जेट्टी तथा फ़ोर्ट कोच्चि जेट्टी प्रमुख हैं।

जनसांख्यिकी

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कोच्चि की 601,574 साँचा:as of की जनसंख्या में, कोच्चि शहर में केरल राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व, ६३४० व्यक्ति प्रति कि.मी2 है।

फ़ोर्ट कोच्चि में सान्ता क्रूज़ बैसिलिका भारत में स्थित आठ बैसिलिकाओं में से एक है।

As of 2011, कोच्चि की महानगरीय जनसंख्या 2,117,990 है। यहां का लिंगानुपात (महिला से पुरुष अनुपात) 1,028:1,000 है, जो भारत के राष्ट्रीय औसत 933:1,000 से कहीं अधिक है। कोच्चिकी साक्षरता दर 97.5% है। यहां की महिला साक्षरता दर पुरुषों से 1.1% पीछे है, जो भारत में अन्यत्र सर्वेक्षण हुए ऐसे अंतरों में सबसे कम है।

मट्टनश्शेरी का जैन मन्दिर

कोच्चि के लोगों के प्रमुख धर्मों में हिन्दू, ईसाई एवं इस्लाम धर्म हैं। इनके अलावा बहुत कम संख्या में जैन, सिख, पारसी तथा बौद्ध धर्म के कोग भी मिलते हैं। हालांकि कुल संख्या का ४७% लोग हिन्दू ही हैं, फिर भी कोच्चि के ३५% ईसाई लोग इसे भारत के सर्वाधिक ईसाई धर्म के लोगों वाला शहर निश्चित करते हैं। [९९][१००][१०१] नगर के अधिकांश निवासी मलयाली हैं, फिर भी अन्य जाति के लोग जैसे तमिल, गुजराती, यहूदी, आंग्ल-भारतीय, सिख एवं कोंकणी[१०२][१०३][१०४] लोग भी अच्छी संख्या में यहां रहते हैं। यहां संचार का तथा विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा का माध्यम मलयाली भाषा है। वैसे बहुत से विद्यालय अंग्रेज़ी माध्यम का विकल्प भी देते हैं। उच्च शिक्षा का माध्यम निर्विरोध रूप से अंग्रेज़ी ही है, तथा व्यावसायिक समूहों की भाषा भी अंग्रेज़ी ही है। इनके अलावा तमिल तथा हिन्दी भी अच्छी समझि जाती है, किन्तु उतनी बोली नहीं जाती है।

विकासशील विश्व के अन्य तेजी से बढ़ते नगरों की भांति ही कोच्चि भी बड़े तौर पर शहरीकरण की समस्या से जूझ रहा है। नगर को घर की कीमत एवं उपलब्धता, घर की आय एवं शहरी गृह सघनता के आधार पर भारत के नगरों में दसवां स्थान मिला है।[१०५]

सरकार की नगर को २०१६ तक झुग्गी-झोंपड़ी मुक्त बनाने की योजना थी।[१०६] राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो के आंकड़ों के अनुसार, कोच्चि आपराधिक दर्ज आकड़ों में भारत में चौथा स्थान मिलता है।[१०७][१०८][१०९] वर्ष २००९ में नगर में अपराध दर ६४६.३ दर्ज हुई, जो राष्त्रीय दर १८१.४ के मुकाबले कहीं अधिक है।[१०८] किन्तु बाद में कोच्चि पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट किया कि ऐसे आंकड़े भारत के अन्य शहरों के मुकाबले कोच्चि में अवस्क आपराधिक मामले अधिक दर्ज किये जाते हैं।[११०] राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) की रिपोर्ट से इस तथ्य को अधिक समर्थन मिलता है। उनके अनुसार केरल राज्य में महिला अपराध मामले कोच्चि नगर में न्यूनतम हैं।[१११] वर्ष २०११ की इन्स्टिट्यूट ऑफ़ कंपिटीटिवनेस (CII) की लिवेबिअलिटी रिपोर्ट के अनुसार, [११२] कोच्चि रहने योग्य शहरों में राज्य में प्रथम एवं भारत में छठे स्थान पर आता है। नीलसन कंपनी के २००९ के अध्ययन के अनुसार कोच्चि भारत में दस सर्वोच्च समृद्ध नगरों में सातवें स्थान पर आता है।[११३] भारत के नगरों की स्वच्छ भारत रैंकिंग में चौथा सबसे स्वच्छ नगर का स्थान मिला है। नगर को भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के स्मार्ट सिटि मिशन के अन्तर्गत्त, चुने हुए १०० स्मार्ट शहर बनने वाले नगरों में चुना गया है।[११४]

स्वास्थ्य सेवाएं

ऍस्टर मेडसिटी राज्य के बड़े हस्पतालों में से एक है।

बड़ी संख्या में तृतीयक/चतुष्क स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ, कोच्चि में भारत की सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाओं में से अधिकांश उपलब्ध हैं। यह केरल राज्य पर्यन्त अच्छी चिकित्सा सुविधाएं चाहने वाले लोगों के लिये प्रधान स्थान है।[११५][११६]

हाल के समय में इन सुविधाओं ने भारत के साथ साथ मध्य पूर्व, अफ़्रीकी देशों एवं यहां तक कि यूरोप तथा संयुक्त राज्य के रोगियों को आकर्षित किया है, क्योंकि यहां की चिकित्सा सेवाएं उन्नत एवं अपेक्षाकृत सस्ती हैं। कोच्चि केरल राज्य का अकेला शहर है जहां सफ़ल हृदय प्रत्यारोपण सम्पन्न हुआ है।[११७] अमृता इन्स्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ एण्ड रिसर्च सेण्टर, सनराइज़ अस्पताल, स्पेश्लिस्ट अस्पताल, मेडिकल ट्रस्ट अस्पताल, पीवीएस मेमोरियल अस्पताल, लेकशोर अस्पताल, लीज़ी अस्पताल, ऍस्टर मेडसिटी,[११८] राजगिरि इन्स्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ कोच्चि में उपलब्ध कुछ अत्योत्तम, उन्नत तृतूयक/चतुष्क सुविधाएं हैं। [११९] नगर में उपलब्ध अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में एर्णाकुलम मेडिकल सेण्टर, किम्स अस्पताल, गौतम अस्पताल, रेनई मेडसिटी, लॉर्ड्स अस्पताल, कोच्चि मेडिकल कॉलेज, एवं सराफ़ अस्पताल हैं। भारत में स्थित कुछ प्रतिष्ठित उर्वरता केन्द्रों में से कुछ जैसे– विजया अस्पताल, बाउर्न हॉल क्लीनिक [१२०] एवं CIMAR – कोच्चि में स्थित हैं। जनरल अस्पताल ,एर्णाकुलम कोच्चि का एकमात्र अच्छा सरकारी अस्पताल है।

संस्कृति

पिछली कुछ शताब्दियों के निरन्तर प्रवास के कारण कोच्चि नगर की जनसंख्या में केरल के सभी भागों का तथा भारत के भाग्पों का भी मिश्रण होता गया है। इसमें भारत-पर्यन्त संस्कृति इस नगर में विभिन्न जाति, राज्य, धर्मों के लोगों में दिखाई देती है।[१२१]

कोच्चि में विभिन्नता वाले, बहुसंस्कृतीय तथा धर्म-निर्पेक्ष समुदाय हैं, जैसे मलयाली, कोंकणी,[१२२][१२३] गुजराती,[१०२][१०३] बंगाली,[१२४] मराठी,[१२५] पंजाबी,[१०४][१२६] तमिल, बिहारी, आंग्ल-भारतीय तथा कुछ यहूदी परिवार भी हैं, जो शांतिपूर्वक एवं धार्मिक सहिष्णुता के साथ रहते हैं। नगर में कभी यहूदी वर्ग बड़ी संख्या में रहा करता था, जिसे मालाबार यहूदेन कहा जाता था, और अब कोचिन ज्यूज़ कहलते हैं— जिनका कोच्चि के व्यापार एवं आर्थिक ढांचे में महत्त्वपूर्ण स्थान था।[१२७]

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केरल के प्रथम आर्कडायोसीज़ आर्कडायोसीज़ ऑफ़ वॅरापॉली एवं डायोसीज़ ऑ कोचीन के रोमन कैथोलिक कैथेड्रल कोच्चि में ही बने हैं। सायरो-मालाबार गिरजाघर, २२ सुइ इयुरिस में से एक के ईस्टर्न कैथोलिक चर्च एवं सेंट थोमस क्रिस्चियन समुदाय के लोगों का एक प्रमुख स्थान एर्णाकुलम में है। ईसाई समुदाय के प्रमुख प्रार्थनास्थलों में से कुछ सेण्ट मैरीज़ सायरो-मालाबार कैथोलिक कॅथेड्रल, एर्नाकुलम, से.फ़्रांसिस असिसी रोमन कैथोलिक कैथेड्रल, बैसेलिका ऑफ़ अवर लेडी ऑफ़ रैन्सम, वल्लारपाडम-एर्नाकुलम, सांता क्रूज़ बैसेलिका रोमन कैथोलिक कैथेड्रल, फोर्ट कोच्चि, से.ऍन्थोनी’ज़ श्राइन, कल्लूर, से.जॉर्ज फ़ोरेन चर्च, इडपल्ली, आदि।

मुख्य आकर्षण

डच महल

यह महल मूल रूप से पुर्तगालियों द्वारा बनवाया गया और कोचीन के राजा वीर केरला वर्मा को भेंट किया गया था। बाद में डच का इस पर अधिकार हो गया। उन्होंने 1663 में किले की मरम्मत कराई और किले को नया रूप दिया। इस किले में कोचीन के कई राजाओं का राज्याभिषेक हुआ था। इस किले में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों से संबंधित पेंटिंग्‍स बनी हुई है। महाल

बोलघाट्टी महल

इस महल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। डच लोगों द्वारा बनवाया गया यह महल बोलघट्टी द्वीप पर स्थित है। इस महल को अब एक लक्जरी होटल में तब्दील कर दिया गया है। बोलघट्टी में एक गोल्फ कोर्स भी है। यहां पर लोग पिकनिक मनाने भी आते है।

हिल महल

19वीं शताब्दी में कोच्चि के राजा द्वारा यह महल बनवाया गया था। अब इसे केरला पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। संग्रहालय में चित्रकारी, नक्काशी और राजकीय वंश से संबंधित वस्तुओं को रखा गया हैं।

बेशन बंगला

इन्डो-युरोपियन शैली में बना यह बंगला 1667 ई. में बनवाया गया था। डच किले के स्ट्रोमबर्ग बेशन में स्थित होने के कारण इसका नाम बेशन बंगला पड़ा। इसकी छत में टाइलें लगी हुईं हैं और बरांमदा लकड़ी का बना हुआ है।

मरीन ड्राइव

कोच्चि के समुद्र तट के किनारे बना यह सड़क पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी बहुत भाता है। यहां से समुद्र का नजारा बेहद आकर्षक लगता है। 140 मीटर लंबे इस सड़क को बेहद खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। रेड कारपेट अल्ट्रा टाइल से बनी इस सड़क को शानमुगम रोड के नाम से भी जाना जाता है। मरीन ड्राइव के आसपास का इलाका बेहद खूबसूरत है। यहां हमेशा फिल्‍म की शुटिंग भी होती रहती है।

चेराई बीच

कोच्चि से 25 किमी दूर चेराई बीच की सुंदरता देखते ही बनती है। नारियल और खजूर के पेड़ों के अलावा पारंपरिक केरला के मकान इस बीच की खूबसूरती में चार चांद लगाते है। यहां डोल्फिन मछलियों को देखा जा सकता है।

सेन्ट फ्रान्सिस चर्च (संत फ्रान्सिस गिरिजाघर)

1503 ई. में बना यह चर्च भारत का सबसे पुराना यूरोपियन चर्च है। प्रोटेस्टेंट डच द्वारा इसे 1779 में पुन:स्थापित किया गया। 1795 में अंग्रेजों ने इसे एंजलिकन चर्च में तब्दील कर दिया। कहा जाता है कि वास्को डि गामा को इस चर्च में दफनाया गया था। बाद में उसके अवशेष को पुर्तगाल ले जाया गया था।

ऐतिहासिक संग्रहालय

इडापल्ली में स्थित इस संग्रहालय में केरल के इतिहास को मूर्ति के माध्यम से दर्शाया गया है। संग्रहालय के बाहर परशुराम की प्रतिमा है। उसे देखकर लगता है जैसे वह आगंतुकों का अभिनंदन कर रही हो। कहा जाता है कि परशुराम ने ही केरल की स्थापना की थी।

पल्लिपुरम किला

यह किला यूरोपियन की प्राचीनतम स्मारकों में एक है। इसे 1503 में पुर्तगालियों ने बनवाया था। डच ने 1661 में इस किले पर अधिकार कर लिया और त्रावनकोर के राज्य को 1789 में बेच दिया था।

परीक्षित थंपुरान संग्रहालय

इस संग्रहालय में 19वीं शताब्दी की पेंटिंग, प्राचीन मुद्राएं, पत्थरों की मूर्तियां, पेंटिंग की प्रतिलिपियां, प्लास्टर ऑफ पेरिस आदि को रखा गया है। कोचीन के शाही परिवारों से जुड़ी अनेक वस्तुएं भी आपको यहां देखने को मिल जाएगीं।

कांजिरामट्टम मस्जिद

कोच्चि से 30 किमी की दूरी पर यह पवित्र मस्जिद स्थित है। कहा जाता है कि मुस्लिम संत शेख फरीद की कब्रगाह पर इसका निर्माण हुआ है। जनवरी में यहां चंदनाकूदम पर्व आयोजित किया जाता है।

कालाडी

यह स्थान आठवीं शताब्दी के महान भारतीय दार्शनिक आदि‍ शंकराचार्य की जन्मभूमि है। शंकराचार्य की याद में यहां दो मंदिर बनाए गए हैं। एक मंदिर दक्षिणामूर्ति और दूसरा देवी शारदा को समर्पित है।

गम्यता

वायुमार्ग-

कोचीन का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है। इंडियन एयरवेज और जेट एयरवेज आदि की फ्लाइट से कोच्चि पहुंचा जा सकता है।

रेलमार्ग-

एरनाकुलम में दो रेलवे स्टेशन हैं। एक उत्तर और दूसरा दक्षिण में। यहां से कोच्चि जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं। एरनाकुलम भारत के अनेक शहरों से रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग-

कोच्चि सड़क मार्ग से अनेक पर्यटन केन्द्रों और शहरों से जुड़ा हुआ है। बैंगलोर से कोच्चि की दूरी 565 किमी, कोयंबटूर से 223 किमी, गोवा से 848 किमी, मद्रास से 694 किमी और मैसूर से 470 किमी है। राज्य परिवहन निगम की बसें कोच्चि के लिए नियमित रूप से चलती हैं।

प्रसिद्ध वस्तुएं

कोच्चि और उसके आसपास के क्षेत्रों से अनेक यादगार और लोकप्रिय वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। मट्टनचेरी, जिव स्ट्रीट और एम जी रोड़ खरीददारी के लिए प्रसिद्ध हैं। मट्टनचेरी से मसाले, चाय, काफी और स्मारिकाएं खरीदी जा सकती हैं। इसके साथ ही मुखोटे, पीतल की आकृतियां और लकड़ियों से बने श्रृंगार के बक्से खरीदे जा सकते हैं। यहां से प्राचीन काल के बर्तन भी खरीदे जा सकते हैं। मालाबार में मसालों की दुकानों से ताजे मसालों की खरीददारी की जा सकती है।

भ्रमण समय

सितंबर से मई की अवधि कोच्चि के पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियां

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