काल कोठरी की घटना

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कोलकाता के ब्लैक होल स्मारक

काल कोठरी (या अन्धकूप हत्या) नामक घटना स्वतंत्रता पूर्व काल की बंगाल की एक घटना है। ऐसा माना जाता है कि, बंगाल के नवाब (सिराजुद्दौला) ने 146 अंग्रेज़ बंदियों, जिनमें स्त्रियाँ और बच्चे भी सम्मिलित थे, को एक 18 फुट लंबे, 14 फुट 10 इंच चौड़े कमरे में बन्द कर दिया था। 20 जून, 1756 ई. की रात को बंद करने के बाद, जब 23 जून को प्रातः कोठरी को खोला गया तो, उसमें 23 लोग ही जीवित पाये गये। जीवित रहने वालों में 'हालवैल' भी थे, जिन्हें ही इस घटना का रचयिता माना जाता है। इस घटना की विश्वसनीयता को इतिहासकारों ने संदिग्ध माना है, और इतिहास में इस घटना का महत्व केवल इतना ही है, कि अंग्रेज़ों ने इस घटना को आगे के आक्रामक युद्ध का कारण बनाये रखा।

जे.एच.लिटिल (आधुनिक इतिहासकार) के अनुसार- "हालवैल तथा उसके उन सहयोगियों ने इस झूठी घटना का अनुमोदन किया था और इस मनगढ़न्त कथा को रचने का षड्यन्त्र किया था।" हालवैल कलकत्ता का एक सैनिक अधिकारी था जिसको कलकत्ता का तत्कालीन गवर्नर 'डेक' सिराजुद्दौला से भयभीत होकर कलकत्ता का उत्तरदायित्व सौपकर भाग गया था।

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