कल्याण सिंह
कल्याण सिंह | |
---|---|
पद बहाल 4 सितम्बर 2014 – 8 सितम्बर 2019 | |
पूर्वा धिकारी | मार्गरेट अल्वा |
उत्तरा धिकारी | कलराज मिश्र |
पद बहाल जनवरी 2015 – 12 अगस्त 2015 | |
पूर्वा धिकारी | उर्मिला सिंह |
उत्तरा धिकारी | आचार्य देवव्रत |
कार्यकाल 24 जून 1991-6 दिसम्बर 1992 | |
पूर्वा धिकारी | मुलायम सिंह यादव |
उत्तरा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
कार्यकाल 21 सितम्बर 1997-12 नवम्बर 1999 | |
पूर्वा धिकारी | मायावती |
उत्तरा धिकारी | राम प्रकाश गुप्ता |
पद बहाल 2009–2014 | |
पूर्वा धिकारी | देवेन्द्र सिंह यादव |
उत्तरा धिकारी | राजवीर सिंह |
चुनाव-क्षेत्र | एटा |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
जीवन संगी | रामवती |
बच्चे | 1 पुत्र व 1 पुत्री |
निवास | अलीगढ़ |
धर्म | हिन्दू |
साँचा:center |
कल्याण सिंह (5 जनवरी 1932 – 21 अगस्त 2021) भारतीय राजनीतिज्ञ थे वो राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। हाल ही में इन्हे भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मरणोपरांत पदम विभूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया हैं। इससे पहले वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। वो दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस होने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी थे उत्तर प्रदेश के लोग कल्याण सिंह जी को प्यार से बाबूजी पुकारते थे और उन्हें 26 अगस्त 2014 को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया।[१] उन्हें प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता के रूप में जाना जाता था।
जीवन परिचय
कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री तेजपाल लोधी और माता का नाम श्रीमती सीता देवी था। कल्याण सिंह के 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कई बार अतरौली के विधानसभा सदश्य के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, और साथ ही रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। ये प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्यूंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी।मृत्यु 21 अगस्त 2021 [२]
राजनीतिक जीवन
पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
वो जून १९९१ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये ६ दिसम्बर १९९२ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद
वो १९९३ के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अत्रौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी।[३] विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने थे।
वो सितम्बर १९९७ से नवम्बर १९९९ तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।[४]
२१ अक्टूबर १९९७ को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और २१ विधायकों का समर्थन दिलाया।[५] इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा।
दिसम्बर १९९९ में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी २००४ में पुनः भाजपा से जुड़े।[६] २००४ के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। २००९ में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
राज्यपाल
सिंह ने ४ सितम्बर २०१४ को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली।[७] उन्हें जनवरी २०१५ में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।[८]
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Kalyan Singh, Ayodhya and Hindu resurgence स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Niti Central - 25 November 2012
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web