अरविंद केजरीवाल
अरविन्द केजरीवाल | |
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पद बहाल 14 फरवरी 2015 – पदस्थ | |
पूर्वा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
पद बहाल 28 दिसम्बर 2013 – 14 फरवरी 2014 | |
पूर्वा धिकारी | शीला दीक्षित |
उत्तरा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
पद बहाल फरवरी 2015 – पदस्थ | |
पूर्वा धिकारी | स्वयं |
चुनाव-क्षेत्र | नई दिल्ली |
पद बहाल 28 दिसम्बर 2013 – 14 फरवरी 2014 | |
पूर्वा धिकारी | शीला दीक्षित |
चुनाव-क्षेत्र | नई दिल्ली |
राष्ट्रीय संयोजक, आम आदमी पार्टी
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 26 नवम्बर 2012 | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
राजनीतिक दल | आम आदमी पार्टी |
जीवन संगी | सुनीता केजरीवाल |
बच्चे | 2 |
शैक्षिक सम्बद्धता | आईआईटी खड़गपुर |
जालस्थल | आधिकारिक वेबसाइट |
साँचा:center |
अरविंद केजरीवाल (जन्म: १६ अगस्त १९६८) एक भारतीय राजनीतिज्ञ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान वह २८ दिसम्बर २०१३ से १४ फ़रवरी २०१४ तक इस पद पर रहे।[१][२]
इससे पहले वो एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं और सरकारी कामकाज़ में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये संघर्ष किया। भारत में सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाने, सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने और सबसे गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये सशक्त बनाने हेतु उन्हें वर्ष २००६ में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[३] उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की।[४]
जीवनी
अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा[५] के हिसार शहर में हुआ[६] और उन्होंने १९८९ में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में, १९९२ में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। शीघ्र ही, उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी।[७] प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जनवरी २००० में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। इसके बाद, फरवरी २००६ में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे।[८] अरुणा रॉय, गोरे लाल मनीषी [९] और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया[५] और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।
इसके बाद, जुलाई २००६ में, उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया।[१०] दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविन्द ने अब अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की है।[११] सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। आज भी कई भारतीय सरकार के निर्वाचन की प्रक्रिया में निष्क्रिय दर्शक ही बने हुए हैं। अरविंद सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की शक्ति देते हैं। अपने संगठन परिवर्तन के माध्यम से वे लोगों को प्रशासन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हैं। आरटीआई को आम नागरिक के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनने में लम्बा समय लगेगा। हालांकि अरविन्द ने हमें दिखा दिया है कि वास्तव में इसके लिए एक सम्भव रास्ता है।[१२]
६ फ़रवरी २००७ को, अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इस वर्ष का भारतीय' के लिए नामित किया गया। अरविंद ने सूचना अधिकार अधिनियम को स्पष्ट करते हुए गूगल पर भाषण दिया "।साँचा:cn
राजनीति में पदार्पण
२ अक्टूबर २०१२ को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब "अण्णा टोपी" भी कहलाने लगी है, पहनी थी। उन्होंने टोपी पर लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं।" उन्होंने २ अक्टूबर २०१२ को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया।
राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और भूमि-भवन विकासकर्ता कम्पनी डीएलएफ के बीच हुए तथाकथित भ्रष्टाचार का खुलासा किया और बाद में केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद के ट्रस्ट के खिलाफ आन्दोलन भी छेड़ा।
आम आदमी पार्टी का गठन
आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई।[१३] [१४]
2013 के दिल्ली विधान सभा चुनाव
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। 2013 के दिल्ली विधान सभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा जहां उनकी सीधी टक्कर लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही श्रीमती शीला दीक्षित से थी। उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया। अरविंद केजरीवाल को कुल 44269 मत प्राप्त हुये जबकि उनके मुक़ाबले शीला दीक्षित को केवल 18405 मत प्राप्त हुये।[१५][१६][१७][१८]
नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया। आम आदमी पार्टी ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सत्तारूढ़ काँग्रेस पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गयी।[१९]
2015 के दिल्ली विधान सभा चुनाव
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अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में फरवरी 2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने ७० में से रिकॉर्ड ६७ सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया। 14 फरवरी 2015 को वे दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए।
दिल्ली के मुख्यमन्त्री
२८ दिसम्बर २०१३ से १४ फ़रवरी २०१४[२०] तक ४९ दिन दिल्ली के मुख्यमन्त्री के रूप में कार्य करते हुए अरविन्द लगातार सुर्खियों में बने रहे। नवभारत टाइम्स ने लिखा - "केजरी सरकार: ऐक्शन, ड्रामा, इमोशन, सस्पेंस का कंप्लीट पैकेज।"[२१]
मुख्यमन्त्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी।[२२] फिर बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी।[२३] दिल्ली पुलिस व केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के खिलाफ उन्होंने धरना भी दिया।[२४] इसके बाद रिटेल सैक्टर में एफडीआई को खारिज किया और सबसे बाद जाते-जाते फरवरी २०१४ में उन्होंने भूतपूर्व व वर्तमान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा व वीरप्पा मोईली तथा भारत के सबे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी व उनकी कम्पनी रिलायंस के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिये।[२५]
लोकपाल बिल भी एक प्रमुख मुद्दा रहा जिस पर उनका दिल्ली के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर, विपक्षी दल भाजपा और यहाँ तक कि समर्थक दल काँग्रेस से भी गतिरोध बना रहा।[२६] लोकपाल मुद्दे पर हुए आंदोलन से ही अरविन्द पहली बार देश में जाने गये थे। वे इसे कानूनी रूप देने के लिये प्रतिबद्ध थे। परन्तु विपक्षी दल कोंग्रेस एवं भाजपा बिल ने बिल को असंवैधानिक बताकर विधानसभा में बिल पेश करने का लगातार विरोध किया। विरोध के चलते १४ फ़रवरी को दिल्ली विधान सभा में यह बिल रखा ही न जा सका।[२७] विधान सभा में कांग्रेस और बीजेपी के लोकपाल बिल के विरोध में एक हो जाने पर और भ्रष्ट नेताओ पर लगाम कसने वाले इस लोकपाल बिल के गिर जाने के बाद उन्होंने नैतिक आधार पर मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया।[२०]
पुरस्कार
- 2004: अशोक फैलो, सिविक अंगेजमेंट
- 2005: 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार पारदर्शिता में लाने के लिए उनके अभियान हेतु[५]।
- 2006: उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड
- 2006: लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन, 'इन्डियन ऑफ़ द इयर'[२८]
- 2009: विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी खड़गपुर।
- 2013 : अमेरिकी पत्रिका 'फॉरेन पॉलिसी' द्वारा 2013 के 100 'सर्वोच्च वैश्विक चिन्तक' में शामिल।[२९]
2014 : प्रतिष्ठित "टाइम" मैगज़ीन द्वारा "विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति" के रूप में शामिल]
व्यक्तिगत जीवन
1 99 5 में, अरविंद ने 1993 के बैच के आईआरएस अधिकारी सुनीता से शादी की।उन्होंने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल में आयकर आयुक्त के रूप में 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली।इस युगल के दो बच्चे हैं,केजरीवाल शाकाहारी हैं और कई वर्षों से विपश्यना ध्यान तकनीक का अभ्यास कर रहे हैं।[३]
पुस्तकें
- सूचना का अधिकार: व्यवहारिक मार्गदर्शिका - सह लेखक - विष्णु राजगडिया, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2007 में प्रकाशित।
- स्वराज - स्वराज अभियान प्रकाशन
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ सिटेशन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड- प्रशस्ति पत्र
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अ आ इ प्रोफाइल स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। आई आई टी कानपुर छात्र संघ, सत्येन्द्र के॰ दुबे मेमोरियल पुरस्कार प्रशस्ति पत्र।
- ↑ इन इलेक्टिंग केजरीवाल, 38, ..... स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया, 31 जुलाई 2006.
- ↑ अशोक फेलो वेबसाईट पर प्रोफाइल स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। प्रशस्ति पत्र।
- ↑ हमारे बारे में स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। परिवर्तन आधिकारिक वेबसाइट।
- ↑ [१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। आरटीआई वेबसाइट।
- ↑ डोंट थ्रोटल आरटीआई स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। अरविंद केजरीवाल, लाइवमिंट, 6 जुलाई 2007
- ↑ [२] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। आरटीआई पुरस्कार वेबसाइट।
- ↑ अरविन्द केजरीवाल का प्रोफाइल 6bridges.com - वैश्विक भारतीय पेशेवरों के लिए एक समुदाय साइट।
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ अ आ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web
बाहरी कड़ियाँ
- जानिए केजरीवाल के बारे मे 10 अनजानी बातें
- अरविन्द केजरीवाल ट्विटर पर।
- लोकहित अनुसंधान फाउंडेशन का जालघर
- 'सरकार सूचना अधिकार को कमज़ोर कर रही है' - एक साक्षात्कार बीबीसी हिन्दी के साथ।
- 'भ्रष्ट लोगों को मिले कड़ी सजा' (श्री अरविन्द का साक्षात्कार)
- कैसे करूं ऐसे सांसदों का सम्मान: केजरीवाल
- झूठ के सहारे भ्रष्टाचार से लड़ाई - 18 फरबरी 2014 दैनिक जागरण (राजीव सचान, एसोसिएट एडीटर का आलेख)
- 10 बातें जो हमें अरविंद केजरीवाल ने सिखाई
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