होमर

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होमर
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हस्ताक्षर
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होमर यूनान के ऐसे प्राचीनतम कवियों में से हैं जिनकी रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं और जो बहुमत से यूरोप के सबसे महान कवि स्वीकार किए जाते हैं। वे अपने समय की सभ्यता तथा संस्कृति की अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम माने जाते हैं। अन्धे होने के बावजूद उन्होंने दो महाकाव्यों की रचना की - इलियड और ओडिसी। इनका कार्यकाल ईसा से लगभग १००० वर्ष पूर्व था। हालाँकि इसके विषय में प्राचीन काल में जितना विवाद था आज भी उतना ही है। कुछ लोग उनके समय को ट्रोजन युद्ध के समय से जोड़ते है पर इतना तो तय है कि यूनानी इतिहास का एक पूरा काल होमर युग के नाम से विख्यात है, जो ८५० ईसा पूर्व से ट्रोजन युद्ध की तारीख ११९४-११८४ ईसा पूर्व तक फैला हुआ है।[१] इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोगों के युद्ध का वर्णन है। इस महाकाव्य में ट्राय की विजय और ध्वंस की कहानी तथा यूनानी वीर एकलिस की वीरता की गाथाएँ हैं। होमर के महाकाव्यों की भाषा प्राचीन यूनानी या हेल्लिकी है।
जिस प्रकार हिंदू रामायण में लंका विजय की कहानी पढ़कर आनंदित होते हैं। उसी प्रकार ओडिसी में यूनान वीर यूलीसिस की कथा का वर्णन है। ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन का अपहरण कर ट्राय नगर ले गया। इस अपमान का बदला लेने के लिए ही ग्रीस के सभी राजाओं और वीरों ने मिलकर ट्राय पर आक्रमण किया। ट्राय से लौटते समय उनका जहाज तूफान में फँस गया। वह बहुत दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। इसके बाद अपने देश लौटा।
यूनान (ग्रीस) के तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक तथ्यों की जानकारी का एकमात्र भरोसेमंद साधन के रूप में इनके ये दो महाकाव्य ही उपलब्ध हैं- इलियड और ओडेसी। इसके अतिरिक्त बहुत सी धार्मिक काव्य रचनाएँ भी जिन्हें बाद में परवर्ती कवियों की रचनाएँ माना गया। यह भी कहा जाता है कि इलियड और ओडेसी का प्रारंभिक स्वरूप मौखिक था और इन्हें प्राचीन ग्रीस के गायक गाया करते थे। गाते हुए वे बहुत से स्वरचित पद इसमें मिला देते। इस कारण इन्हें पूर्ण रूप से होमर की रचनाएँ मानना ठीक नहीं है। इस आधार पर वे होमर किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि समष्टि रूप से इलियड और ओडेसी के रचनाकारों को मानते हैं।[२][३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. 'इलियड' एवं 'ओडिसी' के हिन्दी अनुवाद, अनुवादक- रमेश चंद्र सिन्हा, राजकमल प्रकाशन प्रा० लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-2012, (दोनों पुस्तकों) के आरम्भ में दिये गये लेखक परिचय में उल्लिखित।
  2. जी. एस. किर्क, द इलियड: अ कमेंट्री, वॉल्यूम १, १९८५, कैंब्रिज। ISBN 0-521-28171-7
  3. साँचा:cite journal

https://web.archive.org/web/20150810102115/http://classics.mit.edu/Homer/iliad.1.i.html

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