हेपेटाइटिस ए

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यकृतशोथ क/हैपेटाइटिस ए
Hepatitis A virus 02.jpg
यकृतशोथ (हैपेटाइटिस) विषाणु का इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
Virus classification
Hepatitis A
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
आईसीडी-१० Bb 15.htm+ b 15 15. -
आईसीडी- 070.1 070.1
डिज़ीज़-डीबी 5757
मेडलाइन प्लस 000278
ईमेडिसिन med/991  साँचा:eMedicine2
एम.ईएसएच D006506

यकृतशोथ क (हैपेटाइटिस ए) एक विषाणु जनित रोग है। यकृतशोथ क यकृत की सूजन होती है जो यकृतशोथ क विषाणु के कारण होती है। इसमें रोगी को काफ़ी चिड़चिड़ापन होता है। इसे विषाणुजनित (वाइरल) यकृतशोथ भी कहते हैं। यह बीमारी दूषित भोजन ग्रहण करने, दूषित जल और इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। इसके लक्षण प्रकट होने से पहले और बीमारी के प्रथम सप्ताह में अंडाणु तैयार होने के पंद्रह से पैंतालीस दिन के बीच रोगी व्यक्ति के मल से यकृतशोथ क विषाणु फैलता है। रक्त एवं शरीर के अन्य द्रव्य भी संक्रामक हो सकते हैं। संक्रमण समाप्त होने के बाद शरीर में न तो वाइरस ही शेष रहता है और न ही वाहक रहता है। यकृतशोथ क के लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं, किंतु त्वचा तथा आंखे पीली हो जाती हैं, जैसे कि पीलिया में होती हैं। इसका कारण है कि यकृत रक्त से बिलीरूबिन को छान नहीं पाता है। अन्य सामान्य यकृतशोथ विषाणु, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी है, किंतु यकृतशोथ क सबसे कम गंभीर है और इन बीमारियों में सबसे मामूली है। अन्य दोनों बीमारियां लंबी बीमारियों में परिवर्तित हो सकती है। किंतु यकृतशोथ क नहीं होती।

लक्षण

इसके खास लक्षण पीलिया रोग जैसे ही होते हैं। इसके अलावा थकावट, भूख न लगना, मितली, हल्का ज्वर, पीला या स्लेटी रंग का मल, पीले रंग का पेशाब एवं सारे शरीर में खुजली हो सकती है।

रोकथाम

अशुद्ध भोजन व पानी से दूर रहें, शौच आदि से निवृत्त होकर हाथ अच्छी तरह से धोएं, तथा प्रभावित व्यक्ति के रक्त, फेसिस या शरीर के द्रव्यों के संपर्क में आने पर अच्छी तरह से अपने आपको साफ करके वायरस को बढ़ने या फैलने से रोका जा सकता है। दैनिक देखभाल सुविधाएं और लोगो के घनिष्ट संपर्क में आने वाले अन्य संस्थानों के कारण यकृतशोथ क के फैलने की संभावना अधिक हो जाती है। कपड़े बदलने से पहले और बाद में हाथ अच्छी तरह से धोने, भोजन परोसने से पहले और शौचालय के बाद हाथ साफ करने से इसके फैलने को रोका जा सकता है। यकृतशोथ क से ग्रस्त लोगों के संपर्क में रहने वाले लोगों को इम्यून ग्लोब्युलिन देना चाहिए। यकृतशोथ क संक्रमण के रोकने के लिए टीके उपलब्ध है। टीके की प्रथम खुराक लेने के चार सप्ताह बाद टीका असर करना शुरू कर देता है। लंबे समय तक सुरक्षा के लिए ६ से १२ माह का बूस्टर आवश्यक है।

यकृतशोथ क का विस्तार- २००५

यकृतशोथ क से बहुत अधिक प्रभावित क्षेत्रों या देशों की यात्रा करते हों (पहला टीका लगाने के बाद 4 सप्ताह में अधिक प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने वालों को एक और टीका (इम्यून सिरमग्लोब्यूलिन) उसी समय दे दिया जाना चाहिए जब टीका दिया जा रहा हो लेकिन यह टीका उस स्थान पर नहीं दिया जाना चाहिए जहां पहला टीका दिया गया हो)। इसके अलावा गुदा संभोग करने वाले, आई वी (नसों में) दवा के उपयोगकर्ता और जो गंभीर रूप से हेपेटाइटिस बी या सी से संक्रमित हों उन्हें टीका लगाना आवश्यक है।

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सन्दर्भ ==

बाहरी कड़ियाँ