सीवान
सीवान/𑂮𑂱𑂫𑂰𑂢 | |
— शहर — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | बिहार |
जिलाधिकारी | Shri Amit Kumar Pandey (IAS) |
s- | |
जनसंख्या • घनत्व |
2,714,349 (साँचा:as of) • साँचा:convert |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
साँचा:km2 to mi2 • साँचा:m to ft |
साँचा:collapsible list | |
आधिकारिक जालस्थल: [http://[३] [४]] |
सीवान(𑂮𑂲𑂫𑂰𑂢) या सिवान(𑂮𑂱𑂫𑂰𑂢) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में सारन प्रमंडल के अंतर्गत एक शहर है। यह सीवान ज़िले का मुख्यालय है, जो बिहार के पश्चिमोत्तरी छोर पर उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है। सिवान दाहा नदी के किनारे बसा है। इसके उत्तर तथा पूर्व में क्रमश: बिहार का गोपालगंज तथा सारण जिला तथा दक्षिण एवं पश्चिम में क्रमश: उत्तर प्रदेश का देवरिया और बलिया जिला है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा॰ राजेन्द्र प्रसाद तथा कई अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि एवं कर्मस्थली के लिए सिवान को जाना जाता है।
नामकरण
सिवान का नामकरण मध्यकाल में यहाँ के राजा 'शिव मान' के नाम पर हुआ है। उनके पूर्वज बाबर के यहाँ आने तक शासन कर रहे थे। इसका एक अनुमंडल महाराजगंज है जिसका नाम इस क्षेत्र पर राज कर रहे महाराजा का घर या किला स्थित होने के चलते पड़ा है। इसी जिला के एक सामंत अली बक्श के नाम पर इसे अलीगंज भी पुकारा जाता था।
इतिहास
पाँचवी सदी ईसापूर्व में सिवान की भूमि कोसल महाजनपद का अंग था। कोसल राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सर्पिका (साईं) नदी, पुरब में गंडक नदी तथा पश्चिम में पांचाल प्रदेश था। इसके अंतर्गत आज के उत्तर प्रदेश का फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर तथा देवरिया जिला के अतिरिक्त बिहार का सारन क्षेत्र (सारन, सिवान एवं गोपालगंज) आता है। आठवीं सदी में यहाँ बनारस के शासकों का आधिपत्य था। १५ वीं सदी में सिकन्दर लोदी ने यहाँ अपना आधिपत्य स्थापित किया। बाबर ने अपने बिहार अभियान के समय सिसवन के नजदीक घाघरा नदी पार की थी। बाद में यह मुगल शासन का हिस्सा हो गया। अकबर के शासनकाल पर लिखे गए आईना-ए-अकबरी के विवरण अनुसार कर संग्रह के लिए बनाए गए ६ सरकारों में सारन वित्तीय क्षेत्र एक था और इसके अंतर्गत वर्तमान बिहार के हिस्से आते थे। १७वीं सदी में व्यापार के उद्देश्य से यहाँ डच आए लेकिन बक्सर युद्ध में विजय के बाद सन १७६५ में अंग्रेजों को यहाँ का दिवानी अधिकार मिल गया। १८२९ में जब पटना को प्रमंडल बनाया गया तब सारन और चंपारण को एक जिला बनाकर साथ रखा गया। १९०८ में तिरहुत प्रमंडल बनने पर सारन को इसके साथ कर इसके अंतर्गत गोपालगंज, सिवान तथा सारन अनुमंडल बनाए गए। १८५७ की क्रांति से लेकर आजादी मिलने तक सिवान के निर्भीक और जुझारु लोगों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी। १९२० में असहयोग आन्दोलन के समय सिवान के ब्रज किशोर प्रसाद ने पर्दा प्रथा के विरोध में आन्दोलन चलाया था। १९३७ से १९३८ के बीच हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने किसान आन्दोलन की नींव सिवान में रखी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहाँ के मजहरुल हक़, राजेन्द्र प्रसाद, महेन्द्र प्रसाद,रामदास पाण्डेय फूलेना प्रसाद जैसे महान सेनानियों नें समूचे देश में बिहार का नाम ऊँचा किया है। स्वतंत्रता पश्चात १९८१ में सारन को प्रमंडल का दर्जा मिला। जून १९७० में बिहार में त्रिवेदी एवार्ड लागू होने पर सिवान के क्षेत्रों में परिवर्तन किए गए। सन 1885 में घाघरा नदी के बहाव स्थिति के अनुसार लगभग 13000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश को स्थानान्तरित कर दिया गया जबकि 6600 एकड़ जमीन सिवान को मिला। १९७२ में सिवान को जिला (मंडल) बना दिया गया। सिवान ज़िले के कुछ सबसे प्रसिद्ध गाँवों में से एक धनौती मठ गाँव है,जो कबीरपंथ के प्रमुख एवम ऐतिहासिक मठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यह मठ ४०० वर्ष पुराना है।
भूगोल
सिवान जिला उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित एक समतल भू-भाग है। जिले का विस्तार 25053' से 260 23' उत्तरी अक्षांस तथा 840 1' से 840 47' पूर्वी देशांतर के बीच है। नदियों के द्वारा जमा की गयी मिट्टियों की गहराई ५००० फीट तक है। मैदानी भाग का ढाल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है। निचले मैदान में जलजमाव का कई क्षेत्र है जो चौर कहलाता है। यहाँ से कई छोटी नदी या 'सोता' भी निकलते हैं। मुख्य नदी घाघरा है जिसके किनारे दरारा निर्मित हुआ है। इस खास भौगोलिक बनावट में बालू की मोटी परत पर मृत्रिका और सिल्ट की पतली परत पायी जाती है। सिवान की मिट्टी खादर (नयी जलोढ) एवं बांगर (पुरानी जलोढ) के बीच की है। खादर मिट्टी को यहाँ दोमट तथा बांगर को बलसुंदरी कहा जाता है। बलसुंदरी मिट्टी में कंकर की मात्रा पायी जाती है। कई जगहों पर गंधकयुक्त मिट्टी मिलती है जहाँ से कभी साल्टपीटर निकाल जाता था। अंग्रेजी शासन में यह एक उद्योग हुआ करता था लेकिन अब यह गायब हो चुका है।[१]
- नदियाँ: गंडकी एवं घाघरा यहाँ की प्रमुख नदी है। घाघरा नदी जिले की दक्षिणी सीमा पर बहने वाली सदावाही नदी है। इसके अलावे झरही, दाहा, धमती, सिआही, निकारी और सोना जैसी छोटी नदियाँ भी है। झरही और दाहा घाघरा की सहायक है जबकि गंडकी और धमती गंडक में जा मिलती है।
- जलवायु
सिवान में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बीच की जलवायु पायी जाती है। मार्च से मई के बीच यहाँ चलनेवालि पछुआ पवनों के चलते मौसम शुष्क होता है लेकिन कई बार शाम में चलनेवाली पुरवाई हवा आर्द्रता ले आती है जिससे उत्तर प्रदेश से चलने वाली धूलभरी आँधी को विराम लग जाता है। गर्मियों में तापमान ४० डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और लू का चलना इन दिनों आम है। जाड़ों का मौसम सुहावना होता है किंतु कई बार शीत लहर का प्रकोप कष्टदायी हो जाता है। जुलाई-अगस्त में होनेवाली मॉनसूनी वर्षा के अलावे पश्चिमी अवदाब से जाड़े में भी बारिस का होना सामान्य बात है। औसत वार्षिक वर्षा १२० सेंटीमीटर होती है।
- प्रशासनिक विभाजनः
- अनुमंडल- सिवान एवं महाराजगंज
- प्रखंड- मैरवा, पचरुखी, रघुनाथपुर, आन्दर, गुथनी, महारजगंज, दरौली, सिसवां, दरौंदा, हुसैनागंज, भगवानपुर, हाट, गोरियाकोठी, बरहरिया, हबीबपुर, बसंतपुर, लकरी, नबीगंज, जिरादेई, नौतन, हसनपुर, जमालपुर
कृषि एवं उद्योग
यहाँ की फसलों में धान, गेहूँ, ईख (गन्ना), मक्का, अरहर सरसों मटर आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा इस जिले में कुछ जगहों पर फूलों और सब्जियों की भी खेती रोजगारपरक कृषि के तौर पर की जाती है। कृषि आधारित इस जिले में कुटीर उद्योगों के अलावा गन्ना मिल्स, प्लास्टिक फैक्ट्री, सूत फैक्ट्रियाँ आदि काफी संख्या में थी, जिनमें से अब अधिकांश बंद है। गन्ना मिल बंद है। इन सभी सभी उद्योगों के बंद होने का कारण जन प्रतिनिधियों, नेताओं, मंत्रियों की अनदेखी है।
जनजीवन एवं संस्कृति
सिवान जिले का अधिकांश जनजीवन कृषि केंद्रित/आधारित है। इसके अलावा यह पूरे पूर्वांचल में अरब देशों की रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या में अव्वल स्थान पर है। अरब देशों से परिजनों द्वारा भेजे गए पैसों से यहाँ के जन-जीवन अपने आर्थिक स्थितियों में जीता है। एक अनुमान के मुताबिक़ केरल के अलावा पूरे बिहार में अगर किसी ज़िले में विदेश से सबसे ज़्यादा पैसा आता है तो वह सिवान है। 90 के दशक के उत्तरार्द्ध से जब यहाँ रोज़गार के अवसर नहीं के बराबर थे उस समय लोग मजबूर होकर खाड़ी देशों में मज़दूरी करने जाते थे। यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। इसी कमाई से सीवान आज एक सम्पन्न जिला बना है। एक अनुमान के मुताबिक़ सीवान के बैंकों में पूरे बिहार के NRI खातों के मुक़ाबले सीवान के NRI खातों में सबसे ज़्यादा पैसे जमा है। सिवान में 20वी सदी के मध्य तक भोजपुरी भाषा की लिपी "कैथी(𑂍𑂶𑂟𑂲)" आधिकारिक कार्यो में भी प्रचलन में थी। परन्तु सरकार द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार व तुष्टिकरण के चलते यह लिपि मृत हो गई।
- महत्वपूर्ण व्यक्ति
- डा॰ राजेन्द्र प्रसाद- महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति
- मौलाना मजहरूल हक़- महात्मा गाँधी के सहयोगी, स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक, सदाकत आश्रम तथा बिहार विद्यापीठ के संस्थापक
- खुदा बक्श खान- पांडुलिपि संग्रहकर्ता एवं खुदा बक्श लाईब्रेरी के संस्थापक
- फुलेना प्रसाद- स्वतंत्रता सेनानी
- ब्रज किशोर प्रसाद- स्वतंत्रता सेनानी एवं पर्दा-प्रथा विरोध आन्दोलन के जन्मदाता
- उमाकान्त सिंह- ९ अगस्त १९४२ को बिहार सचिवालय के सामने शहीद हुए क्रांतिकारियों में एक
- दारोगा प्रसाद राय- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री
- प्रभावती देवी: 1971-1972 में छात्र आंदोलन के अगुवा रह चुके डा॰ जय प्रकाश नारायण की पत्नी
- रामदास पांडेय - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी एवम जमींदार । राजेन्द्र प्रसाद के मित्र थे । इन्होंने अंग्रेज अफसर (दरोगा) को अपने गांव बेलवार में सरेआम थप्पड़ जड़ दिया। इसी वजह से कुछ समय के लिए यह गांव अंग्रेजी व्यवस्था से मुक्त हो गया था । आजादी के बाद इन्होने कोई लाभ का पद नहीं लिया । नाम रघुनाथपुर प्रखंड के सामने पत्थर पे लिखा गया है ।
- पैगाम अफाकी- मशहूर उर्दू साहित्यकार, मकान, माफिया, दरिंदा जैसी किताबों के रचयिता
- नटवर लाल- सिवान के दरौली प्रखंड में बरई बंगरा गाँव में जन्मे मशहूर ठग जिसे उस समय दुनिया की मुख्य हस्तियों यहाँ तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति के भी सिग्नेचर करने की महारत हासिल थी।
शैक्षणिक संस्थान
- सीवान के लगभग हर गाँव में सरकारी प्राथमिक या मध्य विद्यालय हैं। सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई प्राइवेट स्कूलों के मुक़ाबले बहुत ही ख़राब है।
जिसके चलते लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही भेजना पसंद करते हैं। इसके अलावा सीवान शहर तथा मैरवा महाराजगंज दरौली गुठनी बड़हरिया लकड़ी नबीगंज आंदर सिसवन दरौंदा रघुनाथपुर में कई प्राइवेट स्कूल है।
- उच्च विद्यालय मैरवा
- उच्च विद्यालय गुठनी
- "उच्च विद्यालय निखती कलां
- "उच्च विद्यालय राजपुर
अन्य कई उच्च विद्यालय भी हैं।
- उच्च विद्यालय- उच्च विद्यालय अान्दर सिवान
- डिग्री महाविद्यालय:- डी ए वी कॉलेज, जेड ए इस्लामिया कॉलेज, दारोगा प्रसाद राय कॉलेज, राजेन्द्र कॉलेज, वी एम इंटर कॉलेज, प्रभावती देवी बालिका महाविद्यालय
बाबा हरिराम महाविद्यालय मैंरवा
- व्यवसायिक शिक्षा:- इंजिनियरिंग कॉलेज, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेजअ,आई टी आई कालेज
पर्यटन स्थल
- दोन स्तूप (दरौली): दरौली प्रखंड के दोन गाँव में यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल है। दरौली नाम मुगल शासक शाहजहाँ के बेटे दारा शिकोह के नाम पर पड़ा है। ऐसी मान्यता है कि दोन में भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था। हिंदू लोग यह मानते हैं कि यहाँ किले का अवशेष महाभारत काल का है, जिसे गुरु द्रोणाचार्य ने बनवाया था। उपलब्ध साक्ष्यों को देखने से इस मान्यता को बल नहीं मिलता। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वर्णन में इस स्थान पर एक पुराना स्तूप होने का जिक्र किया है। स्तूप के अवशेष स्थल पर तारा मंदिर बना है, जिसमें नवीं सदी में बनी एक मूर्ति स्थापित है।
- धनौती मठ : सिवान शहर से ८ किलोमीटर पश्चिम में धनौती स्थित बड़ी मठ कबीरपंथ के शुरुआती प्रमुख मठों में से एक है। ऐसी मान्यता है की कबिरपंथ के प्रमुख ग्रंथो में एक "बीजक" की रचना इसी मठ में हुई थी।
- अमरपुर: दरौली से ३ किलोमीटर पश्चिम में घाघरा नदी के तट पर स्थित इस गाँव में मुगल शाहजहाँ के शासनकाल (1626-1658) में यहाँ के नायब अमरसिंह द्वारा एक मस्जिद का निर्माण शुरू कराया गया, जो अधूरा रहा। लाल पत्थरों से बनी अधूरी मस्जिद को यहाँ देखा जा सकता है।
- मैरवा धाम: मैरवा प्रखंड में हरि बाबा के धाम के नाम से प्रचलित झरही नदी के किनारे इस स्थान पर कार्तिक और चैत्र महीने में मेला लगता है। यहाँ आस-पास के ज़िले जैसे गोपालगंज,छपरा,पूर्वी चंपारण,पश्चिमी चंपारण तथा उत्तर प्रदेश के बलिया,देवरिया,गोरखपुर,बस्ती,गोण्डा ग़ाज़ीपुर मऊ इत्यादि ज़िलों से काफ़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह ब्रह्म स्थान एक संत की समाधि पर स्थित है। इस स्थान स्थान से 2 किमी दुर अंग्रेजों के समय के बने डाक बंग्ला के सामने बने चननिया डीह (ऊँची भूमि) पर चननिया देवी का मंदिर है जहाँ पुजन और दर्शन के साथ साथ विवाह आदि मांगलिक कार्य करने लोग आते हैं।
- महेन्द्रनाथ मंदिर ,मेंहदार: सिसवन प्रखंड में स्थित मेंहदार गाँव के बावन बीघे में बने पोखर के किनारे शिव एवं विश्वकर्मा भगवान का मंदिर बना है। स्थानीय लोगों में इस पोखर को पवित्र माना जाता है। यहाँ शिवरात्रि एवं विश्वकर्मा पूजा (१७ सितंबर) को भाड़ी भीड़ जुटती है।
- लकड़ी दरगाह: पटना के मुस्लिम संत शाह अर्जन के दरगाह पर रब्बी-उस-सानी के ११ वें दिन होनेवाले उर्स पर भाड़ी मेला लगता है। इस दरगाह पर लकड़ी का बहुत अच्छी कासीदगरी की गयी है। कहा जाता है कि इस स्थान की शांति के चलते शाह अर्जन बस गए थे और उन्होंने ४० दिनों तक यहाँ चिल्ला किया था।
- हसनपुरा: हुसैनीगंज प्रखंड के इस गाँव में अरब से आए चिश्ती सिलसिले के एक मुस्लिम संत मख्दूम सैय्यद हसन चिश्ती आकर बस गए थे। यहाँ उन्होंने खानकाह भी स्थापित किया था।
- भिखाबांध: महाराजगंज प्रखंड में इस जगह पर एक विशाल पेड़ के नीचे भैया-बहिनी का मंदिर बना है। कहा जाता है कि १४ वीं सदी में मुगल सेना से लड़ाई में दोनों भाई बहन मारे गए थे।
- जिरादेई: सिवान शहर से 13 किमी पश्चिम में देशरत्न डा राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थान
- फरीदपुर: बिहार रत्न मौलाना मजहरूल हक़ का जन्म स्थान
- सोहगरा: शिव भगवान का मंदिर है। जहा जाने के लिए गुठनी चौराहा से तेनुआ मोड़ और गाँव नैनिजोर होते हुए सोहगरा मंदिर जाया जाता है। यहाँ शिवरात्रि और सावन में भारी भीड़ जुटती है।
- हड़सरः यह दुरौधा रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर अन्दर है। यहां काली मां का मंदीर है। ऐसी मान्यता है कि जो देवी थावे मंदिर में है वह अपने भक्त रहसू भगत की पुकार पर कलकत्ते से चली और कलकत्ता से थावे जाते समय इनका यही अंतिम पडाव था। अब यहां कोई मंदिर नहीं है, पर आस्था गहरी है।
- पतार:- राम जी बाबा का मन्दिर है जहाँ पर किसी भी आदमी को सर्प काटता है, तो यहाँ पर आने से सही हो जाता है। ऐसी मान्यता भी है और सच्चाई भी। इसी गाँव में श्री विश्वनाथ पाण्डेय जी के सुपुत्र प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य मुरारी पाण्डेय जी का जान्मस्थली हे।
- नरहन:- यह सिवान जिला मुख्यालय से ३० किमी० दक्षिण में अवस्थित है। यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कार्तिक पूर्णिमा एवं मकर सक्रान्ति के दिन यहाँ मेले का आयोजन होता है, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु आते है और सरयु नदी के पवित्र जल में स्नान करते है। यहाँ आश्विन पूर्णिमा के दिन दुर्गा पूजा के बाद एक भव्य जुलुस का आयोजन होता है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते है। कुछ प्रसिद्ध स्थलों में श्री नाथ जी का महाराज मंदिर, माँ भगवती मंदिर, राम जानकी मंदिर, मां काली मंदिर एवं ठाकुर जी मंदिर है, जो इस गाँव को चारो ओर से घेरे हुए हैं।
- ""डोभियाँ "":- " यह सीवान जीला के मैरवा दरौली के मुख्य सड़क पर स्थित है।बाबा धर्मागत बरमभ जी का भव्य मंदिर है।यहाँ बहुत दुर-दुर से भक्त आते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। सोमवार अौर शुक्रवार को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती हैं। मान्यता है कि बाबा आज भी जीवित है जिन्हें गाँव के लोगों ने बहुत बार देखा भी है। डोभियाँ गाँव बहुत संपन्न है और यह सब बाबा की कृपा से है। मिथिलेश सिहं।
यातायात व्यवस्था
- सड़क मार्गः
सिवान जिले से वर्तमान में दो राष्ट्रीय राजमार्ग तथा दो राजकीय राजमार्ग गुजरती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 85 छपरा से सिवान होते हुए गोपालगंज जाती है। छपरा से शुरू होनेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग 101 जिले को मुहम्मदपुर को जोड़ती है। सिवान जिले में राजकीय राजमार्ग संख्या 47, 73 एवं 89 की कुल लंबाई 125 किलोमीटर है।[२] सार्वजनिक यातायात मुख्यतः निजी बसों, ऑटोरिक्शा और निजी वाहनों पर आश्रित है। गोपालगंज, छपरा तथा पटना से यहाँ आने के लिए सड़क मार्ग सबसे उपयुक्त है। सिवान जिले की महत्वपूर्ण सड़कों में सिवान-मैरवा-गुठनी (३१·५ किलोमीटर), सिवान-छपरा (६५ किलोमीटर), सिवान-सरफरा (३५ किलोमीटर), सिवान-रघुनाथपुर (२७ किलोमीटर), सिवान-सिसवां (३७ किलोमीटर), सिवान-महाराजगंज (१९ किलोमीटर), सिवान-बादली (१७ किलोमीटर), सिवान-मीरगंज (१६ किलोमीटर), भंटापोखर-जिरादेई (५ किलोमीटर), मैरवा- दरौली (१८ किलोमीटर), मैरवा-पुनक (८ किलोमीटर) तथा दरौली, रघुनाथपुर होते हुए गुठनी- छपरा (४५ किलोमीटर) शामिल है। सीवान से दिल्ली लखनऊ कानपुर बनारस गोरखपुर इत्यादि के लिए प्राइवेट बस सेवाएँ भी उपलब्ध है।[५] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। सिवान में यातायात की सुविधा</ref>
- रेल मार्गः
दिल्ली-हाजीपुर-गुवाहाटी रेलमार्ग पर सिवान एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर मंडल में पड़ता है। जिले में ४५ किलोमीटर लंबी रेलमार्ग मैरवां, जिरादेई, पचरूखी, दरौंधा होकर गुजरती है। दरौंधा से महाराजगंज के बीच एक लूप-लाईन भी मौजूद है, जिसका विस्तार मसरख तक प्रस्तावित है। सिवान से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमृतसर, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध है।
- वायुमार्गः
नजदीकी हवाई अड्डा राज्य की राजधानी पटना में है। जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र से दिल्ली, कोलकाता, राँची आदि शहरों के लिए इंडियन, स्पाइस जेट, किंगफिशर, जेटलाइट, इंडिगो आदि विमानसेवाएँ उपलब्ध हैं। सिवान से छपरा पहुँचकर राष्ट्रीय राजमार्ग 19 द्वारा १४० किलोमीटर दूर पटना हवाई अड्डा जाया जाता है।