सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय | |
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सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ | |
पुणे विश्वविद्यालय | |
आदर्श वाक्य: | यःक्रियावान् स पण्डितः. (ज्ञानी वह है जो निरंतर परिश्रम करता रहे) |
स्थापित | १० फरवरी, १९४९ |
प्रकार: | सार्वजनिक |
कुलाधिपति: | एस.सी. जमीर |
कुलपति: | डॉ॰ डी.एन. जाधव |
अवस्थिति: | पुणे, महाराष्ट्र, भारत |
परिसर: | नगरीय |
सम्बन्धन: | यू॰जू॰सी |
जालपृष्ठ: | www.unipune.ernet.in |
सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ (पूराना नाम: पुणे विद्यापीठ) पुणे मे स्थित एक विश्वविद्यालय है, जो पुणे के उत्तरपश्चिम में स्थित है। यह भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना १० फरवरी, १९४९ को की गई थी। ४०० एकड़ (१.६ किमी²) में फैले इस विश्वविद्यालय मॅम ४६ शैक्षणिक विभाग हैं।
इतिहास
पुणे विश्वविद्यालयकी स्थापना पुणे विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन की गई थी, जिसे १० फ़रवरी १९४८ को बम्बई विधान-मंडल ने पारित किया था। उसी वर्ष, डा एम॰ आर॰ जयकर ने विश्वविद्यालय के प्रथम उपकुलपति का पदभार ग्रहण किया। श्री बी॰ जी॰ खैर, जो बम्बई सरकार (विधान-मंडल) के मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री थे, ने अपने प्रयासों से विश्वविद्यालय को बड़ा भूखण्ड दिलाने में सहायता की। प्रारंभिक १९५० में, विश्वविद्यालय को ४११ एकड़ (१.७ किमी²) भूमि आवंटित कि गई।
क्षेत्राधिकार
प्रारंभ में विश्वविद्यालय क्षेत्राधिकार पश्चिमी महाराष्ट्र के १२ जिलों में था। लेकिन, १९६४ में कोल्हापुर में शिवाजी विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, पुणे विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार ५ जिलों तक ही सीमित रह गया, जो इस प्रकार हैं: पुणे, अहमदनगर, नासिक, धुले और जलगाँव। इनमें से दो जिले - धुले और जलगाँव- उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय से जुड़े हैं, जो अहस्त १९९० में स्थापित कि गई थी।
संबंद्धता
शोध
विभाग
तथ्य