साल्वातोर काज़ीमोदो

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साल्वातोर काज़ीमोदो
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साल्वातोर काज़ीमोदो (Salvatore Quasimodo) [1901-1968] इटली के कवि थे। 1959 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।

जीवन-परिचय

साल्वातोर काज़ीमोदो का जन्म 20 अगस्त, 1901 को सिसली द्वीप के मोदिका नामक स्थान में हुआ था।[१] काज़ीमोदो की विधिवत शिक्षा हुई थी और वे अपने समय की तकनीकी प्रगति से भलीभांति अवगत प्रतीत होते हैं। रोम के एक शिल्प महाविद्यालय में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी और उसके बाद इटली सरकार की सेवा में इंजीनियर की हैसियत से काम करते हुए उन्होंने सारे इटली की यात्रा 10 वर्षों तक की थी।[१] 1935 में वे मिलान में बस गये थे और कुछ दिनों के बाद इटालियन भाषा के प्राचार्य नियुक्त हो गए थे। इटली में मुसोलिनी की तानाशाही के दिनों में वहाँ के साहित्यकार दबे-से थे। तानाशाही के पतन के बाद ही उनकी बातों को महत्व मिला और उनकी रचनाओं की भी कद्र हुई, जिसका अधिकांश श्रेय काज़ीमोदो को है।[२]

रचनात्मक परिचय

काज़ीमोदो कवि होने के साथ-साथ आलोचक और अनुवादक भी थे। वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आधुनिक सामाजिक समस्याओं का वर्णन करने और उन पर प्रकाश डालने के कारण प्रसिद्ध हुए।[३] उनके विचार वामपक्षीय थे।[१] आरंभ में उन्होंने नाटकों की समीक्षाएँ ही विशेष रूप से लिखी थीं जो अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने गेय कविताओं की परंपरागत गायन पद्धति में नये सुधार सुझाए और अभिव्यक्ति की नई शृंखलाओं की ओर संकेत किये हैं। उन्होंने बताया कि संगीत के प्रभाव में शब्द की अपेक्षा ध्वनि और लय विशेष काम करते हैं। काज़ीमोदो ने ग्रीक, लैटिन और अंग्रेजी से अनुवाद किये थे। शेक्सपियर के टेम्पेस्ट का भी उन्होंने अनुवाद किया था।

प्रकाशित पुस्तकें

काज़ीमोदो की कविताओं का संग्रह पाँच जिल्दों में प्रकाशित हुआ है, जिनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. और शाम हो गयी (एण्ड सडनली इट इज इवनिंग)
  2. दिन पर दिन ( डे बाई डे)
  3. अब जीवन स्वप्न है (लाइफ इज नाउ ड्रीम)
  4. नकली हरियाली और असली ( द फाल्स ग्रीन एंड द रियल)
  5. निराली धरती ( द मैचलेस अर्थ)

सन्दर्भ

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  1. नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-196.
  2. नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, पूर्ववत्, पृ०-197.
  3. नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-243.