सांग
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सांग हिंदी शब्द 'स्वाँग' का अपभ्रंश है। उत्तरी भारत में हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान राज्यों में प्रचलित सांग एक प्रकार की संगीतमय नाटिका होती है, जिसमें लोककथाओं को लोकगीत, संगीत व नृत्य आदि से नाट्यबद्ध किया जाता है।[१]
इस विधा में पंडित लखमी चंद का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने ६५ के लगभग सांग लिखे हैं, जिसके कारण उन्हें सांग-सम्राट तथा हरियाणा का सूर्यकवि कहा जाता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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