लखमी चंद
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पंडित लखमी चंद (जन्म: 1903, मृत्यु: 1945) हरियाणवी भाषा के एक प्रसिद्ध कवि व लोक कलाकार थे। हरियाणवी रागनी व सांग में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें "सूर्य-कवि" कहा जाता है। उन्हें "हरियाणा का कालिदास" भी कहा जाता है।[१][२] उनका जन्म सोनीपत जिले के जाट्टी कलां गाँव में एक साधारण किसान गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था तथा मात्र ४२ वर्ष की आयु में ही वे चल बसे। उनके नाम पर साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार दिए जाते हैं।
उनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख सांग हैं : नल-दमयंती, मीराबाई, सत्यवान सावित्री, सेठ तारा चंद, पूरन भगत व शाही लकड़हारा आदि। उनके सुपुत्र पंडित तुलेराम ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया। आजकल उनके पौत्र विष्णु उनकी इस परंपरा का हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के गाँवों तक प्रसार करने हेत प्रयासरत हैं।