ष
ष देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। उच्चारण की दृष्टि से यह पश्च-वर्त्स्य उलटित, अघोष संघर्षी है। संस्कृत से उत्पन्न कई शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे की षष्ठ, धनुष, सुषमा, कृषि, षड्यंत्र, संघर्ष और कष्ट। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध॰व॰) में इसके संस्कृत उच्चारण को [ʂ]के चिन्ह से लिखा जाता है। संस्कृत में 'ष' और 'श' के उच्चारण में काफ़ी अंतर है, लेकिन यदि यह ‘क्, ट्, ठ्, ण्’ ध्वनियों से पहले नहीं आए तो इसका उच्चारण आजकल हिंदी में तालव्य श् [ʃ] होता है। [१]
अघोष मूर्धन्य संघर्षी
ष के संस्कृत उच्चारण को भाषाविज्ञान के नज़रिए से "अघोष मूर्धन्य संघर्षी" वर्ण कहा जाता है। अंग्रेजी में voiceless retroflex fricative या voiceless retroflex sibilant कहते हैं।
संस्कृत में
संस्कृत में 'ष' को 'श' और 'ख़' के बीच की एक ध्वनि समझा जा सकता है (यह तीनों ही संघर्षी वर्ण हैं)। ध्यान दीजिये कि 'ख़' और 'ख' दोनों कण्ठ्य ध्वनियाँ हैं और 'ख' हिंदी में 'ख़' से अधिक प्रचलित है। इस वजह से जब 'ष' का संस्कृत उच्चारण हिंदी से लुप्त हुआ तो कुछ प्राकृत उपभाषाओँ में 'ष' और 'क्ष' (यानि 'क'+'ष') के स्थान पर 'ख' कहा जाने लगा। हिंदी में ऐसे बहुत से तद्भव शब्द हैं जिनमें संस्कृत से दो चीज़ें हुई हैं:
- श → स
- ष/क्ष/ष्क → ख/क
इसके कई उदाहरण हैं:
- शुष्क → सूख या सूखा
- भिक्षा → भीख
- शिक्षा → सीख
- रक्षा → रख (रख-रखाव), राखी
- धनुष → धनक (कुछ हिंदी उपभाषाओं में)
पश्तो में
पश्तो की बहुत सी उपभाषाओं में कई शब्द हैं जिनमें संस्कृत-जैसी 'ष' की ध्वनि मिलती है। इसे पश्तो के ښ अक्षर से लिखा जाता है: ध्यान रहे की उर्दू, फ़ारसी और अरबी में ना यह ध्वनि मिलती है और ना यह अक्षर। यह भी ध्यान रहे कि कुछ पश्तो उपभाषाओँ में 'ष' की जगह 'ख़' उच्चारित किया जाता है। 'ष' के पश्तो प्रयोग के कुछ उदाहरण हैं:
- पष्तो (پښتو), अर्थ: पश्तो भाषा
- षोदल (ښودل), अर्थ: दिखाना
- च्षल (چښل), अर्थ: पीना
- प्षो (پښو), अर्थ: पाऊँ (एक पाऊँ)