श्रेणी:कविता संग्रह
गम के सारे बादलों को चीर के ,
मन से जीत की प्रयास करोगे ।
अगर कठिन परिश्रम करना चाहो ,
एक दिन तुम इतिहास लिखोगे ।
भीड़ जाओ तुम अपने लक्ष्य में
रखो मत किसी को पक्ष में ।
आएंगे तुम्हें भी कहने वाले ,
अगल बगल तुम्हारे रहने वाले ।
कोशिश करेंगे की टूट जाए तुम्हारा हौसला ,
कहेंगे वो जो खुद से नहीं बना पाया है , अपना घोंसला ।
अगर लोगों की तुम सुनते जाओगे ,
फिर कभी नही आगे बढ़ पाओगे ।
करके सबका बात अनसुना ,
पूरा करो जो लक्ष्य है चुना ।
जिनका कभी उड़ता है परिहास ,
लिखेंगे केवल वे ही इतिहास ।
जबतक चलेगी तुम्हारी साँस,
नहीं टूटने देना है आस ।
फिर हाँसिल होगा वो मुकाम,
जिन पे सदा था , तेरा नाम ।
फिर ,
वे लोग ही आएंगे तुम्हारे पास ,
बन जाएंगे तुम्हारे खास ।
फिर ऊपरी प्रेम दिखाएंगे ,
बातों में अपनी फ़साएंगे ।
और कहेंगे ,
हमें पता था ये एक दिन ऐसा काम करेगा ,
जग में अपना नाम करेगा ।
मनीष शांडिल्य[१]
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