श्रीप्रकाश शुक्ल
प्रकाश शुक्ल, अपराधी और माफ़िया था। उसे राजनेता अपने विरोधियों को सुपारी देकर समाप्त करने के लिए काम में लेते थे।[१] 22 सितम्बर 1998 को लगभग २५ वर्ष की आयु में ग़ाज़ियाबाद में उसको पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।[२][१][३]
जीवन
प्रकाश शुक्ल का जन्म मामखोर गाँव में हुआ था जो गोरखपुर के निकट हाटा बाज़ार में है। बयान किया गया है कि वह अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में पहलवान रहा करता था।
जुर्म की दुनिया में प्रवेश
१९९३ में शुक्ल ने राकेश तिवारी नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी यह शुक्ल के द्वारा की गई पहली हत्या थी जिससे भयभीत होकर वह बैंकॉक भाग गया।
वापसी और पेशेवर जुर्म की दुनिया में प्रवेश
शुक्ल लौटकर मोकामा, बिहार के गुंडे सूरज भान की गैंग का सदस्य बन गया और बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गया [१][३]
दहशत का माहौल
एक समय शुक्ल उत्तर प्रदेश और उत्तर बिहार का खतरनाक और बेरहम गैंगस्टर बन गया। वह राजनेताओं और व्यापारियों के लिए सरदर्द बन गया और पुलिस पर उसके खिलाफ़ कार्यवाही करने के लिए ज़ोर पड़ने लगा।
प्रमुख राजनेता की हत्या
१९९७ में लखनऊ में शुक्ल ने वीरेन्द्र साही की हत्या कर दी जो एक राजनेता और राज्य अंडरवर्ल्ड के सदस्य थे। इसके बाद आशंका जताई गई थी कि हरि शंकर तिवारी की भी हत्या कर देगा जो साही के विरोधी थे क्योंकि स्वयं चिल्लुपार विधान सभा पर क़ब्ज़ा जमाना चाहता था।[१][३][४]
प्रमुख व्यापारी की हत्या
२६ मई १९९८ को शुक्ल ने कुनाल रस्तोगी का अपहरण कर दिया जो एक व्यापारी का बेटा था। यह घटना उसने लखनऊ के वनस्पति उद्यान से अंजाम दी। बच्चे के पिता ने जब बचाव की कोशिश की तो उसने उसकी हत्या कर दी। आरोप है कि गैंग ने ५० मिलियन रुपिये लेकर बच्चे को छोड़ा। [१][५][६]
बिहार के मंत्री की हत्या
जून १९९८ में शुक्ल ने बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी जो बिहार के एक मंत्री थे। वे पटना के एक अस्पताल में इलाज के लिए थे। बृज बिहारी प्रसाद पर विधायक देवेंद्र नाथ दुबे की हत्या करने का आरोप था। विधायक देवेंद्र नाथ दुबे और श्रीप्रकाश शुक्ल बहुत अच्छे मित्र थे। ।[१]
मुख्य मंत्री की हत्या का प्रयास
साक्षी महाराज, जो फर्रुखाबाद के सांसद थे, यह दावा किए कि शुक्ल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री कल्याण सिंह की हत्या के लिए ६० मिलियन रुपिये की सुपारी ली है। परन्तु महाराज ने जानकारी के स्रोत या देने वाले का नाम नहीं बताया।[७]
बिहार के विधायक की हत्या
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के थोड़े ही समय के बाद शुक्ल ने अजीत सरकार की कथित रूप से हत्या कर दी जो पूर्णियां के विधायक थे।[१]
पुलिस टीम का गठन
अप्रेल १९९८ में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक विशेष कार्य बल (Special Task Force - STF) का गठन किया ताकि राज्य ४३ कुख्यात अपराधियों को या तो पकड़ा जाए या मार दिया जाए। सूची में शुक्ल भी था।[३]
मृत्यु
८ और १५ सितम्बर १९९८ को प्रकाश शुक्ल के बारे में दो एपिसोड अपराध पर आधारित शो इंडियाज़ मोस्ट वॉन्टेड पर प्रस्तुत किए गए थे। शो के मेज़बान सुहैब इल्यासी ने दावा किया है कि उसे शुक्ल के माध्य से धमकी भरे कॉल आए। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक अनामक कॉलकर्ता ने उन्हें १० सितम्बर १९९८ को सूचना दी कि शुक्ल के गैंग के लोग एम्स दिल्ली के निकट डाइवू सिएलो में देखे जा सकते हैं। २१ सितम्बर १९९८ को सूचना दी गई कि शुक्ल गाज़ियाबाद में डाइवू सिएलो में देखा जा सकता है। यह सूचनाएँ दिल्ली और उत्तरप्रदेश पुलिस को दी गई।[२]
२२ सितम्बर १९९८ को शुक्ल को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य दल द्वारा गाज़ियाबाद की एक बहु-मंज़िलीय परिसर के बाहर गोली मार दिया। दिल्ली के वसंतकुंज में शुक्ल छिप रहा था। वह गाज़ियाबाद में अपनी महिलामित्र से मिलने आया था। वह पालम हवाई अड्डे के रास्ते बचकर रांची जाना चाहता था, जहाँ उसके हथियारों का विक्रेयता सूरज भान रहता था। [१][२][३] विशेष कार्य बल के गठन तक जाँच पर १० मिलियन रुपिये खर्च हुए थे और उसे पकड़ने के लिए पटना, लखनऊ और दिल्ली के बीच १,००,००० किलोमीटर की हवाई यात्रा शुक्ल को पकड़ने के लिए यो चुकी थी। [१] उसे मुख्य रूप से उसके फ़ोन नम्बर से पकड़ लिया गया था। शुक्ल हर सप्ताह अपना सिम कार्ड बदलता था। परन्तु अंतिम सिम का उसने एक सप्ताह से अधिक समय के लिए प्रयोग किया था। [३] गोली-बारी के स्थल से प्राप्त मोबाईल फ़ोन और डायरी से उसके राजनेताओं से सम्पर्क के प्रमाण मिले।[८]
अनुलवन
उसकी मृत्यु के पश्चात् विशेष कार्य बल ने पाया कि शुक्ल विभिन्न राजनेताओं से जुड़े हुये थे जिनमें कल्याण सिंह सरकार और भारतीय पुलिस सेवा एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य भी शामिल थे। उसे बचाने के लिए इन्होंने काफी सहायता भी की। कुछ ने शुक्ल से इसके लिए धन भी लिया।[१] 5 नवम्बर 1998 को विशेष कार्य बल के एक सदस्य प्रीतम सिंह को शुक्ल के गिरोह के एक सदस्य ने मार दिया।[९][१०]
लोकप्रिय संस्कृति में
- २००५ में जारी फ़िल्म सेहर विशेष कार्य बल के काम पर आधारित है जिसने शुक्ल को मार गिराया था। उसका किरदार Arshad Warsi ने निभाया था। [८][११][१२]
- २०१० में टी वी शृंखला गुनाहों का देवता प्रसारित किया गया। इसमें एक चरित्र शुक्ल पर आधारित था। [१३]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ साँचा:cite news
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