ग़ाज़ियाबाद
साँचा:if empty Ghaziabad | |
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ग़ाज़ियाबाद में इंदिरापुरम | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
ज़िला | ग़ाज़ियाबाद ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | साँचा:flag/core |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | २३,५८,५२५ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
ग़ाज़ियाबाद (Ghaziabad) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ियाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है।[१][२]
ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है और दिल्ली के पूर्व और मेरठ के दक्षिणपश्चिम में स्थित है। ग़ाज़ियाबाद में ग़ाज़ियाबाद जिले का मुख्यालय स्थित है। स्वतंत्रता से पहले ग़ाज़ियाबाद जिला, मेरठ जिले का भाग था पर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् राजनैतिक कारणों से इसे एक पृथक जिला बनाया गया। ग़ाज़ियाबाद का नाम इसके संस्थापक ग़ाज़ीउद्दीन के नाम पर पड़ा है, जिसने इसका नाम अपने नाम पर ग़ाज़ीउद्दीननगर रखा था, लेकिन बाद में, इसका नाम छोटा करके ग़ाज़ियाबाद कर दिया गया। २०२० के ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स के अनुसार गाजियाबाद भारत में रहने योग्य सर्वोत्तम नगरों में ३०वें स्थान पर है।[३]
इतिहास
गाजियाबाद नगर की स्थापना १७४० में मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के वजीर गाजी-उद-दीन ने कोलकाता से पेशावर तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड पर की थी, और उनके नाम पर इसे तब गाजी-उद-दीन नगर कहा जाता था।[४] मुगल काल में गाजियाबाद और इसके आसपास के क्षेत्र (विशेषकर हिंडन के तट) मुगल शाही परिवार के लिए पिकनिक स्थल थे।[५] १७६३ में भरतपुर के राजा सूरज मल की मृत्यु रुहेलों के हाथों इसी स्थान के पास हुई थी।[६] गाजियाबाद की १८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी भूमिका रही थी। मई १८५७ में यहाँ दिल्ली तक जाने वाले हिंडन मार्ग की रखवाली कर रहे सेनानियों का सामना ब्रिटिश सेना की एक छोटी सी टुकड़ी से हुआ था, जिसमें उन सेनानियों की हार हुई थी।[६]
१८६४ में नगर में रेलवे के आगमन के साथ ही नगर के नाम को "गाजीउद्दीननगर" से छोटा कर "गाजियाबाद" कर दिया गया।[७][८][९] दिल्ली और लाहौर को जोड़ने वाली सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे की रेल लाइन को अम्बाला से गाजियाबाद तक उसी वर्ष खोला गया था।[१०] १८७० में सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे की अमृतसर-सहारनपुर-गाजियाबाद लाइन के पूरा होने के साथ, नगर मुल्तान से भी सीधी रेल सेवा से जुड़ गया, और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन ईस्ट इंडियन रेलवे और सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे का जंक्शन बन गया।[११] इन्हीं वर्षों में यहां वैज्ञानिक समाज की स्थापना हुई, जिसे सर सैयद अहमद खान के शैक्षिक आंदोलन में एक मील का पत्थर माना जाता है।[१२] ब्रिटिश राज की अधिकांश अवधि के दौरान मेरठ और बुलंदशहर के साथ-साथ गाजियाबाद भी मेरठ सिविल जजशिप के तहत जिले के तीन मुंसिफों में से एक था।[१३] नगर के मध्य में तब दो चौड़े बाजार थे, जहाँ ईंट से निर्मित दुकानें थी। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक नगर में दो अन्य बाजारों का भी निर्माण हुआ, जिनको उन्हें स्थापित करने वाले कलेक्टरों के नाम पर राइट-गंज और वायरगंज कहा गया। १८६८ से ही गाजियाबाद में नगरपालिका है।[१४] १९४७ में भारत की स्वतंत्रता के बाद नगर में नवगठित पाकिस्तान से लोगों के आगमन और वहां के पंजाब प्रान्त से व्यवसायों के स्थानांतरण के फलस्वरूप कई कल-कारखानों की स्थापना हुई। १९६७ में गाजियाबाद नगरपालिका की सीमाओं का विस्तार दिल्ली-यूपी सीमा तक हो गया था।
भूगोल तथा जलवायु
गाजियाबाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पश्चिमी हिस्से में २८° ३९' उत्तर के अक्षांशों और ७७° २६' पूर्व के देशांतर पर स्थित है।[१५] यह गाजियाबाद जिले का मुख्यालय है। समुद्र तल से नगर की ऊंचाई २५२ मीटर (८३० फीट) है।[१५] गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से ४० किमी (२५ मील) और राज्य की राजधानी लखनऊ से ५३० किमी (३३० मील) की दूरी पर स्थित है। दिल्ली को उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर दिल्ली के निकट ही स्थित होने के कारण इसे कभी-कभी "उत्तर प्रदेश का साया" भी कहा जाता है।[१६]
गाजियाबाद हिण्डन नदी के तट पर बसा हुआ है, जो नगर के मध्य से होकर बहती है, और इसे दो हिस्सों में विभाजित करती है; नदी के पश्चिम की ओर बसे हिस्से को ट्रान्स-हिण्डन जबकि पूर्वी ओर के हिस्से को सिस-हिण्डन कहा जाता है।[१७] १९८५ में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के गठन के समय से ही गाजियाबाद एनसीआर का हिस्सा रहा है,[१८][१९] और उससे पहले यह दिल्ली के १९६२ के मास्टर प्लान में उल्लेखित दिल्ली मेट्रोपोलिटन एरिया (डीएमए) का भी हिस्सा था; १९५१ की जनगणना के अनुसार जिसकी जनसंख्या २१ करोड़ थी।[२०]
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से सटे होने के कारण गाजियाबाद में तापमान और वर्षापात सामान्यतः दिल्ली के समान ही रहती है। उत्तर भारत के अन्य नगरों की तरह ही गाजियाबाद में भी मुख्य रूप से तीन ऋतुऐं – ग्रीष्म, शिशिर एवं वर्षा – होती हैं, हालाँकि कभी-कभी राजस्थान में धूल भरी आंधियों या कुमाऊँनी पहाड़ियों में हिमपात के कारण प्रतिकूल मौसम भी देखा जा सकता है। नगर में मानसून सामान्यतः जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह में आ जाता है, और फिर यहाँ अक्टूबर तक वर्षा होती है।
गाजियाबाद में अनेक पेड़ पौधे से सुसज्जित पार्क है । जिनमें प्रमुख है। सीटी फॉरेस्ट राज पार्क आदि । सीटी फॉरेस्टकरेहड़ा, राज नगर के निकट व राज पार्क जो कि नन्दग्राम स्थित मेरठ रोड़ पर हैं।
जनसांख्यिकी
ऐतिहासिक जनसंख्या | ||
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वर्ष | जन. | %± |
1901 | ११,२७५ | एक्स्प्रेशन त्रुटि: < का घटक नहीं मिला |
1911 | ११,३०४ | 0.3% |
1921 | १२,३४३ | 9.2% |
1931 | १८,८३१ | 52.6% |
1941 | २३,८३४ | 26.6% |
1951 | ३८,२१७ | 60.3% |
1961 | ६३,१९० | 65.3% |
1971 | १,१८,८३६ | 88.1% |
1981 | २,७५,८१५ | 132.1% |
1991 | ४,५४,१५६ | 64.7% |
2001 | ९,६८,२५६ | 113.2% |
2011 | १६,४८,६४३ | 70.3% |
स्रोत: डिस्ट्रिक्ट सेन्सस हैंडबुक[२१] |
२०११ की भारत की जनगणना के अनुसार, गाजियाबाद महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या २३,५८,५२५ है,[२२] जिसमें से १६,४८,६४३ लोग गाजियाबाद नगर में निवास करते हैं।[२३] नगर का जनसंख्या घनत्व ७,४९४ लोग प्रति वर्ग मीटर है, और २००१ में नगर की जनसंख्या ९,६८,२५६ थी।[२४] २०११ की सिटी मेयर्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद विश्व में दूसरा सबसे तेजी से बढ़ता नगर है।[२५]
नगर की कुल जनसंख्या में से ८,७४,६०७ पुरुष हैं जबकि ७,७४,०३६ महिलाएं हैं, और इस प्रकार नगर का लिंगानुपात ८८५ महिलाएं प्रति १,००० पुरुष है।[२३] ०-६ वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या २,०८,८५३ है।[२६] नगर में औसत साक्षरता दर ८४.७८% है; पुरुषों में साक्षरता दर ८९.५४% जबकि महिलाओं में साक्षरता दर ७९.४५% है।[२६]
२०११ की जनगणना के अनुसार नगर की कुल जनसंख्या में से २,२५,४९८ लोग अनुसूचित जातियों से सम्बन्ध रखते हैं। इनमें १,२०,२२५ पुरुष हैं, और १,०५,२७३ महिलाएं हैं। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों की संख्या २,९९५ है; पुरुषों की संख्या १,५५४ है, जबकि महिलाओं की संख्या १,४०१ है।[२६]
साँचा:bar box गाजियाबाद में ८२.५०% हिन्दू धर्म का अनुसरण करते हैं।[२३] इसके अतिरिक्त नगर में १४.१८% लोग इस्लाम का, ०.९६% लोग सिख धर्म का, ०.७८% लोग ईसाई धर्म का, ०.७१% लोग जैन धर्म का और ०.१५% लोग बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं।[२३] लगभग ०.०१% लोग इनसे अलग किसी 'अन्य धर्म' का अनुसरण करते हैं, जबकि ०.७१% लोगों का 'कोई विशेष धर्म नहीं' है।[२३]
नगर में कई धार्मिक स्थल हैं, जिनमें हिन्दुओं का इस्कॉन मंदिर, मुसलमानों का जामा मस्जिद, ईसाइयों का होली ट्रिनिटी चर्च और सिखों का श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा इत्यादि प्रमुख हैं।
नगर में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएँ हिन्दी तथा उर्दू हैं, जो कि उत्तर प्रदेश राज्य की आधिकारिक भाषाएँ भी हैं।[२७] शेष भारत की ही तरह यहाँ भी अंग्रेजी भाषा अच्छी तरह बोली-समझी जाती है। नगर क्षेत्र में मुख्यतः मानक हिन्दी का चलन है, हालाँकि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में खड़ीबोली बोलचाल की मुख्य बोली है।[२८]
सरकार तथा प्रशासन
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, १९५९ के तहत गाजियाबाद नगर निगम द्वारा शासित है,[२९] जिसकी स्थापना ३१ अगस्त १९९४ को ७४वें संविधान संशोधन अधिनियम के अंतर्गत गाजियाबाद नगरपालिका के उन्नयन द्वारा हुई थी।[३०] नगर २२० वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।[३०] गाजियाबाद नगर निगम को 5 जोन में बांटा गया है- सिटी जोन, कवि नगर जोन, विजय नगर जोन, मोहन नगर जोन और वसुंधरा जोन।[३१] नगर निगम में १०० वार्ड होते हैं, जिनमें से हर पांच वर्षों में पार्षद चुने जाते हैं।[३२][३३] नगर निगम के कार्यकारी प्रमुख नगर आयुक्त होते हैं, जबकि महापौर इसके निर्वाचित प्रमुख होते हैं।
नागरिक सुविधाएँ
गाजियाबाद की नागरिक गतिविधियों की देखरेख का दायित्व नगर निगम गाजियाबाद का है। नगर की अन्य विकास एजेंसियों में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और यूपी जल निगम शामिल हैं। नगर के मास्टर प्लान को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा तैयार किया गया है, जो उत्तर प्रदेश सरकार के आवास और शहरी नियोजन विभाग के तहत आता है।[३४]
जल निगम गाजियाबाद में पानी की आपूर्ति करता है और उसके पास लगभग २.३५ लाख पानी के कनेक्शन हैं, जिन्हें प्रतिदिन लगभग ३८८ एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती है।[३५] नगर को गंगा से ५० क्यूसेक और १०० क्यूसेक संयंत्रों के माध्यम से भी पानी प्राप्त होता है,[३५] लेकिन बहुमंजिला अपार्टमेंट वाले शहर के बहुत से क्षेत्रों में गंगाजल नहीं मिलता है, और वे पानी के लिए भूजल पर निर्भर हैं।[३६] केवल ३६.२% घरों में ही निगम द्वारा जल की आपूर्ति की जाती है।[३७]
नगर निगम, और साथ ही यूपी जल निगम नगर के सीवेज शोधन संयंत्रों और जल शोधन संयंत्रों की स्थापना करते हैं,[३६] जबकि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा नगर में सीवर लाइनों और पेयजल आपूर्ति लाइनों का नेटवर्क बिछाया जाता है।[३७] नगर में पेयजल आपूर्ति की स्थिति चिंतनीय है, और ५५.६% घरों में नलकूपों, बोरवेलों और हैंडपंपों से पीने का पानी लिया जाता है।[३७] इसके अतिरिक्त केवल ३०.५% घर ही सीवर लाइनों से जुड़े हैं।[३७]
गाजियाबाद में प्रतिदिन १,००० मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से कुछ मेरठ भेजा जाता है, जबकि लगभग ३०० मीट्रिक टन पिलखुवा भेजा जाता है, और लगभग २०० मीट्रिक टन का उपयोग जीएमसी के विभिन्न पार्कों में खाद बनाने के लिए किया जाता है।[३८] निगम इंदिरापुरम की लैंडफिल साइट में भी कचरा डंप करता है, और इससे पहले प्रताप विहार लैंडफिल में डंप करता था, जब तक कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इस पर रोक नहीं लगा दी।[३८] निगम ने सितंबर २०२० में यह भी घोषणा की कि वह नगर की कचरे की समस्या के स्थायी समाधान के रूप में १० 'कचरा कारखाने' बना रहा है।[३९]
आवागमन
संस्कृति
अर्थव्यवस्था
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में एक है। यह कानपुर के बाद उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक नगर है।[४०]
यद्यपि गाजियाबाद १८६५ में ही रेल सेवाओं से जुड़ गया था, फिर भी नगर में पहला आधुनिक उद्योग वर्ष १९४० में स्थापित हुआ। इसके पश्चात १९४७ में भारत की स्वतंत्रता के बाद के चार वर्षों में नगर में २२ अन्य कारखाने खुले। इस विकास का मुख्य कारण नवगठित पाकिस्तान से लोगों का आगमन और वहां के पंजाब प्रान्त से व्यवसायों का स्थानांतरण माना जाता है।[४१] जॉन ओक एंड मोहन लिमिटेड, जो अपघर्षकों का निर्माण करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, मूल रूप से रावलपिंडी में 'नेशनल एब्रेसिव्स' के नाम से स्थापित थी, और १९४७ में 'डायर मीकिन्स' के स्वामित्व के तहत यहां स्थानांतरित की गई थी।[४२] इसके बाद १९४९ में नगर में मोहन मीकिन ब्रेवरीज की भी स्थापना हुई।[४३] इन्हीं वर्षों में गाजियाबाद भारत में तेल इंजन उद्योग के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक भी बन गया।[४४]
१९७० के दशक की शुरुआत में शहर में कई स्टील-विनिर्माण इकाइयाँ भी आईं, जिससे यह शहर के प्राथमिक उद्योगों में से एक बन गया। इसी अवधि में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की स्थापना के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का उदय भी देखा गया।[४५] अगले कुछ वर्षों में नगर के नियोजित औद्योगिक विकास में कई प्रख्यात औद्योगिक घरानों ने सहयोग दिया, जिनमें मोहन (मोहन नगर औद्योगिक एस्टेट, १९४९), टाटा (टाटा ऑयल मिल्स), मोदी (मोदीनगर, १९३३; इंटरनेशनल टोबैको कंपनी, १९६७), श्रीराम्स (श्री राम पिस्टन, १९६४), जयपुरिया आदि और डैनफॉस इंडिया लिमिटेड (स्था. १९६८); इंडो-बुल्गार फूड लिमिटेड और इंटरनेशनल टोबैको कंपनी (स्था. १९६७) जैसी विदेशी संस्थाओं ने भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई।[४६]
शिक्षा
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
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- ↑ Anu Kapur, p. 83-85, Mapping Place Names of India
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