शूट आउट एट लोखंडवाला (2007 फ़िल्म)
| शूटआऊट ऍट लोखंडवाला | |
|---|---|
| निर्देशक | अपूर्वा लखिया |
| निर्माता | बालाजी टेलीफ़िल्म्स |
| पटकथा |
संजय गुप्ता सुरेश नैर अपूर्वा लखिया |
| कहानी |
संजय गुप्ता सुरेश नैर अपूर्वा लखिया |
| अभिनेता |
विवेक ओबेरॉय संजय दत्त सुनील शेट्टी अमिताभ बच्चन अरबाज़ ख़ान |
| संगीतकार |
स्ट्रिंग्स आनन्द राज आनन्द मिका सिंह बिन्दु |
| छायाकार | गुरुराज आर॰ जैस |
| संपादक | बंटी नेगी |
| वितरक |
व्हाईट फिचर फिल्मस बालाजी मॉशन पिक्चर्स |
| प्रदर्शन साँचा:nowrap |
[[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
|
| देश | भारत |
| भाषा | हिन्दी |
| कुल कारोबार | ₹६८.९३ करोड़ (US$९.०५ मिलियन) |
शूट आउट एट लोखंडवाला अपूर्वा लखिया द्वारा निर्देशित २००७ की हिंदी भाषा में बनी अपराध फ़िल्म है।
मुख्यावलोकन
ए.ए. ख़ान, एटीएस के प्रमुख, जिन्होंने 16 नवम्बर 1991 को लोखंडवाला काॅम्पलेक्स पर धावा डाला, जिन्होंने यह 400 सशस्त्र पुलिसकर्मियों के साथ इसे अंजाम दिया। खतरनाक गैंगस्टर माया डोलास उन्हीं इमारतों में छिपा बैठा था। फ़िल्म के प्रमुख किरदार चुंकि वास्तविक लोगों पर केंद्रित हैं सो उनके नामों में सुक्ष्म बदलाव किए गए है और फ़िल्म के अनुशीर्ष पर इसे "वास्तविक घटना के गवाह ए बयानात पर आधारित" बताया गया। फ़िल्म का प्रदर्शन 25 मई 2007 में हुआ।
सारांश
फ़िल्म का पर्दापर्ण झाड़ु और पोंछा लगाकर लोखंडवाला काॅम्पलेक्स के स्वाति बिल्डिंग के इर्द गिर्द सूख चुके खून और बिखरे कारतूसों की सफाई की दृश्य से शुरू होते हैं।[१] टीवीएन रिपोर्टर मीता मत्तु (दीया मिर्ज़ा) यह खबर देती है कि पुलिस अपने विशाल स्कवाड के साथ बिना किसी घोषणा के बेहद शांत समझे जानेवाले रिहायशी क्षेत्र में दखलांदजी कर 3000 चक्र से ज्यादा की गोलियाँ और बारूद चलाई हैं।
फ़िल्म का दूसरा रुख भूतपूर्व मुख्या न्यायाधीश रहे निजी अभियोजक ढींगरा (अमिताभ बच्चन) के दफ़्तर को मुड़ती है जहाँ वे मौजूद मुंबई एनकाउंटर स्कवाड के शीर्ष सदस्यों का साक्षात्कार लेते है: अपर पुलिस कमिश्नर शमशेर एस. ख़ान (यहां ए.ए. ख़ान का जिक्र है जिसकी भूमिका संजय दत्त ने की है), इंस्पेक्टर कविराज पाटिल (सुनील शेट्टी) और पुलिस हवलदार जावेद शेख़ (अरबाज़ ख़ान)। फ़िल्म का मुख्य समयरेखा भी इन्हीं तीन अफसरों द्वारा ढींगरा के साक्षात्कार के साथ गुजरता है; जहाँ वे अफसरों जवाब ढींगरा के सवालों पर देते हैं, जिसके साथ फ़िल्म में कई फ्लैश बैक में उपरोक्त घटनाओं का जिक्र चलता है। ढींगरा उनसे इस एनकाउंटर दस्ते के बारे में पुछताछ करते हैं। ख़ान बताते हैं कि उन्होंने मुंबई पुलिस विभाग से कई बेहतरीन 27 कर्मियों और अफसरों को चुना हैं। इस दस्ते को बनाने का ख्याल उन्हें अमेरिकी, एलएपीडी (लाॅस एंजिल्स पुलिस डिपार्टमेंट) स्वाट टीम (स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स विशेष शस्त्रीकरण एवं युद्धनीति) के अपराध का सामना करते देखने से मिली।
इसी के साथ फ़िल्म के फ्लैश बैक में ख़ान को उन आदमियों के चयन और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर प्रखर लायक "चुस्त, काबिल और घातक" बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है। ढींगरा बमुश्किल ही उनसे प्रभावित होते हैं: वह इस मामले पर इंगित भी करते हैं कि यदि ख़ान "शूट्स टू किल" (प्राणघातक हमला) पर यकीन रखते हैं तो उनमें और गैंगस्टर में कोई फर्क नहीं रह जाएगा जिनका वह खात्मा करना चाहते हैं।
मामला तब तूल पकड़ने लगता है जब ख़ान निशानदेही के लिए, वह अपने जासूसों और खबरियों के नेटवर्क के जरिए, माया के विभिन्न आपराधिक और संभवतः आतंकी गतिविधियों पर निगरानी करता है। इसी समय के साथ, माया अपने महत्वाकांक्षाओं के साथ, वह अपनी आई (अमृता सिंह) की भी ज़िदे पूरी करता हैं, वह यह चाहने लगता है कि एक रोज दुबई में बैठे हुक्मरानों की जद से छुटने बाद वह पूरे मुंबई पर कब्जा जमा लेगा।
ख़ान की एटीएस का मकसद अब माया और भुआ को हटाने पर ध्यान रहता है, जिसके साथ ही चुहे-बिल्ली का खतरनाक खेल शुरू हो जाता है जहाँ इसके हमले से बचने की सूरत नजर नहीं आती है लेकिन इस रणनीति में कोशिश रहती हैं दुश्मन को किसी भी तरह लाचार किया जाए। ख़ान फिर उन अपराधियों के परिवारजनों से मिलकर उनके आरोपियों को बिना जहमत के समर्पण करने की सलाह देते हैं। इसके बदले में, माया और उसके आदमी भी उन पुलिसकर्मियों के निजी मामले में जबरन दखलांदजी कर उनसे "मुलाकात" करते हैं। माया रेस्तराँ में ख़ान से मिलता है जब वह अपने परिवार संग भोजन पर मशगुल रहता है। माया फौरन ख़ान को कहता है: "यह मामला तुम्हारे आदमियों और मेरे बीच का है। बीच में फैमिली को मत लाओ।" ख़ान भी उसके बातों पर चोट देकर कहता है: "मैं भी चाहता था कि तुम खुद आकर इस मामले को साफ करो। पर वक्त आ गया है कि यह मसला फांसी के फंदे पर खत्म होगा या बंदूक की गोलियों से।"
वहीं माया का गुस्सा तब बढ़ता है जब मशहूर शहरी बिल्डर वाधवानी उसे बाहर कर देता है (वास्तविक जीवन के बिल्डर एवं राजनीतिज्ञ गोपाल राजवानी, तथा फ़िल्म सेट में शामिल की गई इमारत के बतौर मालिक)। माया उसे 4 करोड़ की प्रोटेक्शन मनी देने की धमकी देता है; वाधवानी यह मामला दुबई तक पहुँचाता है। माया तब वाधवानी के सामने ही बच्चे की तरह नाक सुड़कने वाले, मोटे किस्म के लड़के को अगुवा कर लेता है। वाधवानी के शिकायत करते, बिग बाॅस तब माया को फौरन बच्चा लौटाने को कहता है। माया फिर बाॅस से बहुत ऊँची मांग रखता है और साथ में पूरे मुंबई पर एकछत्र राज करने की बात सुनाता है।
फ़िल्म के कई किरदारों के तरह उनके निजी जीवन का भी खुलासा करती है। ख़ान की पत्नी रोहिनी (नेहा धुपिया) भी अब अपने ही परिवार के लिए महत्व ना दे पाने कारण उसके साथ रह ना पाने की असमर्थता जताती है। और तलाक की अर्जी करती है। पाटिल उनके तलाक के मामले को सुलझाता है। वहीं दुश्मनों के खेमे में, बुवा अपनी बार डांसर प्रेमिका तन्नु (आरती छाबरिया) के साथ छिपकर समय गुजरता है, यह कहकर कि अब उसके साथ पहले की तरह वक्त नहीं दे पाता। वहीं उसके अपराधी साथी फट्टू (जिसे उसके ही माता पिता ने बेदखल कर दिया) और आर.सी. (शब्बीर अहलुवालिया) (जिसे अक्सर ही अपने हाथों हुए कत्ल के बाद एक बेगुनाह परिवार के सायों के भ्रम से होता है) भी अपनी मुश्किलों से जुझते रहते हैं।
फिर नवम्बर 1991 का वह निर्णायक दिन आ ही जाता है। पांच अपराधियों में से माया और बुवा खुद को सबसे बचाने के लिए, अपहृत वाधवानी के बच्चे के साथ, लोखंडवाला के स्वाति बिल्डिंग के फ्लैट में छुपे रहते हैं। ख़ान को मिली गुप्त जानकारी से उस इलाके की जानकारी मालूम हो जाती है। (ढींगरा इसपर सवाल उठाते है, क्योंकि कथित तौर पर उस रोज ख़ान को दुबई में बिग बाॅस की काॅल की खबर मिलती है। ख़ान पुरजोर तरीके से इस मसले से इंकार कर देता है।) ख़ान अपने हथियारबंद सिपाहियों एवं अफसरों के जत्थों के साथ इलाके के घेराबंदी कर लेता है। वह वहां के निवासियों को सख्त हिदायत देता है कि वे घर भीतर रहें और खिड़कियों की कुंडियां बंद कर लें।
फिर तो बंदूकों-गोलियाँ की एक लंबी और बेहद घमासान लड़ाई छिड़ जाती है। फ्लैट में मौजूद बुवा राॅकेट प्रोपेलेड ग्रेणेड लांच कर बहुत नुकसान पहुँचाता है और भागने की कोशिश करता है। लेकिन पुलिस की जबरदस्त गोलीबारी के वजह से उनका मनोबल टूट जाता है, और सभी पाँचों अपराधी मार गिराए जाते हैं। इस भीषण जंग में इमारत को काफी क्षति पहुँचती है: फ़िल्म के दृश्यों में सीढ़ियों, दालानों और विभिन्न नागरिकों के घरों को लगभग तबाह कर देती है। रिपोर्टर मीता मत्तु इस पूरे वारदात का सजीव प्रसारण करती है।
इस अंतिम निर्णय में, ढींगरा का पक्ष नकारात्मक रहता है और ख़ान तथा एटीएस के इस कार्रवाई की अपवाद करार करते है। वे अदालत में तमाम प्रेस रिपोर्टों एवं नागरिकों की शिकायतों के मद्देनजर देखते हुए ख़ान (एवं उनकी एटीएस पर) पर इस एकपक्षिय फैसले और अनेपक्षित तरीके से अपने बेहिसाब हथियारबंद दस्तें के साथ एक रिहायशी इलाके की शांति भंग करने की अवमानना का आरोप मढ़ते हैं। ख़ान और उनकी एटीएस पर दंडनीय निर्णय चलना ही था। लेकिन जब ढींगरा ने उनके बचाव पक्ष पर वकालत करने का खुलासा करते है, तो इस आर्श्यचकित करने वाले मोड़ में, वे बचाव में एक अपरंपरागत तर्क-वितर्क सी दलील पेश करते हैं। फ़िल्म के अंत में ख़ान एवं उनके एटीएस दस्ते को अदालत से बरी होते दिखाया जाता है।
कलाकार
- अमिताभ बच्चन – बचाव पक्ष के वकील ढींगरा
- संजय दत्त – शमशेर ख़ान (अतिरिक्त पुलिस आयुक्त)
यह किरदार वास्तविक जीवन के साहसी पुलिस अफसर रहे आफताब अहमद ख़ान पर आधारित है।
- सुनील शेट्टी – इंस्पेक्टर कविराज पाटिल
- अरबाज़ खान - पुलिस हेड कांसटेबल जावेद शेख़
- विवेक ओबेरॉय – महिन्द्रा डोलास उर्फ़ माया भाई (अपराध जगत का गैंगस्टर)
- तुषार कपूर – दिलीप भुवा
- रोहित रॉय – फातिम (फट्टू)
- शब्बीर अहलूवालिया – आर.सी.
- आदित्य लाखिया – डबलिंग
- रवि गोस्सैन – असलम कसाई
- अखिलेन्द्र मिश्रा – जेसीपी त्रिपाठी
- दीया मिर्ज़ा – मीता मत्तु (समाचार पत्रकार)
- नेहा धूपिया – रोहिनी (शमशेर की पत्नी)
- आरती छाबड़िया – तरन्नुम 'तन्नु' (भुवा की प्रेमिका)
- अमृता सिंह – रत्नाप्रभा डोलास
- आफताब अहमद खान – पुलिस कमिश्नर एस. रामामुर्ति
- अभिषेक बच्चन – इंस्पेक्टर अभिषेक म्हात्रे (विशेष उपस्तिथि)
- राखी सावंत – विशेष दृश्य प्रभाव के लिए (आईटम गीत के लिए)
- श्री वल्लभ व्यास – वाधवानी (वाधवानी कंस्ट्रक्शन)
दल
संगीत
शूटआउट एट लोखंडवाला का संगीत टी-सीरीज द्वारा अप्रैल 2007 में रिलीज़ किया गया था।[२]
| # | शीर्षक | गायक | गीतकार | संगीतकार | अवधि |
|---|---|---|---|---|---|
| 1 | "मेरे यार" | सुनिधि चौहान, आनन्द राज आनन्द | देव कोहली | आनन्द राज आनन्द | 05:01 |
| 2 | "आखरी अलविदा" | स्ट्रिंग्स | अनवर मकसूद | स्ट्रिंग्स | 04:39 |
| 3 | "गणपत" | मीका सिंह | 04:29 | ||
| 4 | "उनके नशे में" | सुखविंदर सिंह, आनन्द राज आनन्द, मीका सिंह | संजय गुप्ता | आनन्द राज आनन्द | 04:49 |
| 5 | "लिव बाय द गन" | बिद्दू | 04:22 | ||
| 6 | "सोने दे मान" | डॉ. पलाश सेन | यूफोरिया | 04:45 | |
| 7 | "गणपत (रेप)" | मीका सिंह | मीका सिंह, विराग मिश्रा | मीका सिंह | 05:47 |
| 8 | "आखरी अलविदा (क्लब मिक्स)" | स्ट्रिंग्स | अनवर मकसूद | स्ट्रिंग्स | 06:24 |
| 9 | "उनके नशे में (क्लब मिक्स)" | सुखविंदर सिंह, आनन्द राज आनन्द, मीका सिंह | संजय गुप्ता | आनन्द राज आनन्द | 05:25 |
उत्तर-कृति
रोचक तथ्य
परिणाम
बौक्स ऑफिस
समीक्षाएँ
नामांकन और पुरस्कार
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
स्टार स्क्रीन पुरस्कार
- नामांकन: सर्वश्रेष्ठ खलनायक – विवेक ओबेरॉय
ज़ी सिने पुरस्कार
- नामांकन: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ज़ी सिने पुरस्कार – विवेक ओबेरॉय
स्टारडस्ट पुरस्कार
- नामांकन: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए स्टारडस्ट पुरस्कार – विवेक ओबेरॉय
- प्राप्त: वर्ष का स्टारडस्ट स्टैंडआउट प्रदर्शन
- नामांकन: सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए स्टारडस्ट अवार्ड – मीका सिंह (मौजा मौजा/गुप्ता)
- नामांकन: सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक के लिए स्टारडस्ट अवार्ड – मीका सिंह
आईफा पुरस्कार
- प्राप्त: आईफा सर्वश्रेष्ठ एक्शन पुरस्कार – जावेद शेख और ऐजाज़
- प्राप्त: आईफा सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार – विवेक ओबेरॉय
एएक्सएन एक्शन अवॉर्ड्स
- प्राप्त: सर्वश्रेष्ठ एक्शन फिल्म – व्हाइट फैदर फिल्म्स
- प्राप्त: सर्वश्रेष्ठ एक्शन कलाकार – संजय दत्त
- प्राप्त: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ एक्शन कलाकार – विवेक ओबेरॉय
- प्राप्त: सर्वश्रेष्ठ एक्शन सीक्वेंस – जावेद शेख और ऐजाज़