शाह

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ईरान के अंतिम शहनशाह मुहम्मद रेज़ा पहलवी (१९४१-१९७९)

शाह (फ़ारसी: شاه‎‎, अंग्रेज़ी: shah) ईरान, मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में 'राजा' के लिए प्रयोग होने वाला एक और शब्द है। यह फ़ारसी भाषा से लिया गया है। शाह का एक अर्थ है 'सबसे बड़ा' अर्थात जो जनता में सबसे बड़ा हो उसे शाह (राजा) कहते है। भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और नेपाल में भी शाह उपनाम वाले निवासी मिल जायेंगे। भारत के उत्तरप्रदेश के मकनपुर में मदार शाह (रह) की दरगाह है। मदार शाह ने इस्लाम धर्म का प्रचार सारे भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मदार शाह ने यानी हज़रत सय्यद बदीउद्दीन अहमद क़ुत्बुल मदार अल मारूफ़ मदारूल आलमीन ज़िंदा शाह मदार ने किया।

शाह उपनाम राजवंश और सूफी-संतों की उपाधि

एशिया के ज्यादातर राजवंश शाह उपनाम लगाते है। ईरान का शाही राजवंश हो या अफगानिस्तान का राजवंश या फिर हिंदुस्तान के गोंडवाना साम्राज्य के राजगोंड राजवंश या दिल्ली सल्तनत के समस्त सुल्तान और अन्य स्वतंत्र रियासतों के नरेश कोई भी शाह उपनाम से अछूता नही रहा। दिल्ली पर राज करने वाले समस्त राजवंश चाहे गुलाम वंश हो, या फिर ख़िलज़ी, तुगलक हो या फिर सैयद, लोधी हो या फिर मुगल या फिर सूरी राजवंश सभी में एक बात उल्लेखनीय रही कि तुर्की, अफगानी पठान और मुगल होने पर भी इन महान सम्राटों ने अपने नाम के आगे-पीछे शाह उपनाम लगाया। देखी आपने शाह उपनाम की एहमियत। सभी राजवंश के बादशाहों ने अपने नाम के साथ शाह उपनाम लगाया। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी शाह राजवंश था। मुगलों के दौर में जिन रियासतों ने खुद को स्वतंत्र माना और नवाब की उपाधि धारण की उन नवाबों ने भी अपने नाम के साथ शाह उपनाम को तरजीह दी। जैसे लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह। भारत में सबसे पहले गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस्लामी राज्य की नींव डाली। उसने भी अपने नाम में शाह जोड़ा। उसकी मृत्यु के बाद उसकी गद्दी पर उसका बेटा आराम शाह बैठा। आराम शाह के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद सुल्तान अल्तमश दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके सभी बेटों ने शाह उपनाम लगाया ।अल्तमश की मृत्यु के बाद उसका बेटा रुकनुद्दीन शाह बैठा फिर सुल्ताना रज़िया को मारकर उसका भाई बहराम शाह गद्दीनशीन हुआ फिर मसूद शाह और आखिर में सुल्तान नासिरुद्दीन शाह महमूद ।बलबन ने भारत में ईरानी सभ्यता को जीवित किया। बलबन के पोते कैकुबाद को मारकर खिलजी गवर्नर जलालुद्दीन फिरोज शाह खिलजी दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। खिलजी में शाह उपनाम ही प्रचलित रहा। उसके बाद तुगलक काल में ग्यासुद्दीन तुगलक के वंशजों में शाह उपनाम लगाया जाता रहा । सुल्तान फिरोज शाह तुग़लक और महमूद शाह तुग़लक सय्यद वंश भी शाह उपनाम से जाना जाता रहा। शेरशाह सूरी के वंशजों ने भी शाह लगाया। शाह आलम, जहाँदर शाह, निकुसियार शाह से लेकर अकबर शाह फिर आखरी मुगल बादशाह का नाम भी बहादुर शाह जफर है। भारत में पहले इस्लामी राजा कुतुबुददिन ऐबक शाह से लेकर बहादूर शाह जफर तक तमाम राजा शाह सरनेम लगाते रहे।

शाह ज्यादातर सूफी-संतों का उपनाम

भारत में आए पहले सूफी संत हजरत मदार शाह सभी ने शाह उवनाम लगाया और धार में राजा भोज के काल में 1000 ईस्वी में तशरीफ़ लाए शाह चंगाल ने भी शाह उपनाम लगाया। भारत के कोने-कोने में, जंगलों में, वीरानों में, पहाड़ों और आबादियों में जहाँ-जहाँ भी नजरे जाती है किसी ना किसी अल्लाह के वली की समाधि दिखाई देती है ये सभी सूफी संत शाह है।भारत के उत्तरप्रदेश के मकनपुर में मदार शाह रह0 की दरगाह है । मदार शाह ने इस्लाम धर्म का प्रचार सारे भारतवर्ष में ही नहीं किया बल्कि पूरी दुनिया में हजरत जिंदा शाह मदार ने इस्लाम धर्म का प्रचार किया।

शाह उपनाम वाले सैयद जाति से होते हैं

हजरत मोहम्मद की बेटी फ़ातेमा का एक नाम सय्यदा भी है सय्यदा की औलादों को सैयद कहते है। बीवी फ़ातेमा के पति हजरत अली ने फ़ातेमा की मृत्यु के बाद दूसरी शादियां की उन बीवियों से उत्तपन्न वंश अल्वी कहलाता है। चूंकि फ़ातेमा और अन्य पत्नियों से पैदा हुए बच्चों के पिता हजरत अली ही है इसलिए सैयद वंश के लोग आने सरनेम में अपने बाप हजरत अली का नाम भी उपनाम की तरह लिखते है। सैयद जाति में बैग, अमीर और शाह भी लक़ब है। बहुत से लोग शाह को फ़कीर भी कहते है । फ़क़ीर के लफज़ी मायने जरूरतमंद है। फ़कीर सूफी-संतों की उपाधि है ना कोई जाति या बिरादरी। अल्लाह के वली जब किसी इलाके में रहकर इबादत करते थे तब उनके चाहने वाले खाने पीने की चीजें दे जाते आप सूफी संत उसे स्वीकार कर लेते कभी-कभार अल्लाह वाले खुद बस्ती में जाकर अपनी पेट की भूख मिटाने चाहने वालों के घर चले जाया करते ,इसलिए इन्हें फ़क़ीर भी कहा गया।

संस्कृत के सजातीय शब्द

ध्यान दें कि हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार की बहनें होने के नाते संस्कृत और फ़ारसी में 'शाह' लिए सजातीय शब्द हैं। संस्कृत में एक क्रिया 'क्षयति' है यानि 'वह राज करता है', जिस से मिलती हुई पुरानी फ़ारसी भाषा में क्रिया से 'ख़्शायथ़ीय' शब्द बना था। यही 'ख़्शायथ़ीय' शब्द ईरान के हख़ामनी साम्राज्य के शिलालेखों में मिलता है। इसका संस्कृत सजातीय शब्द 'क्षत्र' है जिस से 'क्षत्रीय' (अर्थ: 'राज करने वाला') बना है। प्राचीन फ़ारसी में 'साम्राज्य' को 'ख़्शाथ़त्र' कहते थे, जो संस्कृत के 'क्षेत्र' के बराबर है​। आधुनिक फ़ारसी में 'ख़्शायथ़ीय' (संस्कृत सजातीय: 'क्षत्रिय') का 'शाह' और 'ख़्शाथ़त्र' (संस्कृत सजातीय: क्षेत्र) का 'शहर' बन गया है। शहर का मतलब 'साम्राज्य' से घटकर 'नगर' रह गया है हालांकि इसे कभी-कभी प्राचीन मतलब के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है, मसलन 'ईरान शहर' का मतलब 'ईरान का साम्राज्य/राष्ट्र' है।[१] 'ख़्शाथ़त्र' के उच्चारण में बिंदु-वाले 'ख़' के उच्चारण पर और बिंदु-वाले 'थ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि वे बिंदु-रहित 'ख' और बिंदु-रहित 'थ' से ज़रा भिन्न हैं।

शहंशाह

भारत में ऐसे सम्राज या महाराजा को 'महाराजाधिराज' बुलाया जाता था जिसके अधीन बहुत से राज्यों के राजा हों। उसी तरह फ़ारसी में 'शाहों के शाह' को 'शहनशाह' (شاهنشاه‎) कहते हैं। हख़ामनी साम्राज्य की पुरानी फ़ारसी भाषा में इसके बराबरी की उपाधि 'ख़्शायथ़ीय ख़्शायथ़ीयनम' थी (जिसकी संस्कृत बराबरी 'क्षत्रीय क्षत्रीयनम' होती) जो बीस्तून के अभिलेखों में देखी गई है।[२]

शहज़ादा और शहज़ादी

फ़ारसी का 'ज़ादा' (زاده‎) शब्द 'पुत्र' या 'कुमार' का और 'ज़ादी' (زادی‎) शब्द 'पुत्री' या 'कुमारी' का अर्थ रखते हैं। 'शहज़ादा' का अर्थ 'राजकुमार' और 'शहज़ादी' का अर्थ 'राजकुमारी' होता है। ध्यान दें कि 'ज़ादा' का भी एक संस्कृत सजातीय शब्द है। 'फ़लाँ-ज़ादा' का मतलब है 'फ़लाँ द्वारा पैदा किया हुआ', मसलन 'अमीरज़ादा', 'रायज़ादा', 'रईसज़ादा', 'शहज़ादा', इत्यादि। संस्कृत में इसकी बराबारी का शब्द 'जात' या 'जाता' और हिन्दी में 'जाया' है, जैसा कि 'नवजात' जैसे शब्दों में देखा जाता है। हिन्दी में 'शहज़ादा' को 'शाह का जाया' कहा जाएगा और अगर सख़्त संस्कृत नज़रिए से देखा जाए तो 'शहज़ादा' संस्कृत के 'क्षत्रियजात' का सजातीय है।[३]

शाहबानू और शाहदोख़्त

फ़ारसी में 'बानू' (بانو‎) शब्द का मतलब 'महिला' है और 'शाहबानू' (شهبانو‎) का मतलब 'राजसी महिला' है, जो कि नाम भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत महिलाओं का होता है। इसी तरह ईरान, ताजिकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में एक नाम 'शाहदोख़्त' (شاهدخت‎) मिलता है जो भारत और पाकिस्तान में प्रचलित नहीं है। इसका अर्थ 'शाह की बेटी' होता है। इसमें 'दोख़्त' फ़ारसी के 'दोख़्तर' (अर्थ: बेटी) शब्द का संक्षिप्त रूप है - ध्यान दें कि इस का भी एक क़रीबी संस्कृत सजातीय शब्द 'दुहितृ' है (हिन्दी में 'दुहिता'), जिसका भी वही 'बेटी' वाला अर्थ है।[४][५]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  1. Pamphlets on oriental subjects, Volume 5 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Some phonetic laws in Persian, Prof. Charles Rieu, 1883, ... Many words in Sanskrit begin with the group ksh ... In old Persian, the corresponding forms ... khs ... Sanskrit kshap, old Persian khsapa, 'night', modern Persian shab ... Achemenide inscriptions, khsayatiya 'king', which in modern Persian has dwindled down to Shah ... kindred word is the Sanskrit kshatra ... kshatriya ... old Persian is khsathra 'empire' ... modern Persian shahr 'city' ... retains its ancient significance in the compound Iran-shahr, the 'Persian empire' ...
  2. The Numismatic chronicle and journal of the Numismatic Society, Volume 20, Royal Numismatic Society (Great Britain), Taylor & Walton, 1900, ... the khshayathiya khshayathiyanam (king of kings) of the Amchaemenid monarchs ...
  3. Journal of the Asiatic Society of Bombay, Volume 26, Asiatic Society of Bombay, 1924, ... his interpretation, Zida <Persian)=Son, literally, "born" (Skr. TT — Jata) ...
  4. लोकभारती बृहत् प्रमाणित हिन्दी कोश, आचार्य रामचन्द्र वर्मा (मूल संपादक), डॉ॰ बदरीनाथ कपूर (संशोधन-परिवर्धन), Rajkamal Prakashan Pvt Ltd, 2006, ISBN 978-81-8031-057-7, ... दुहिता स्त्री॰ [सं॰ दुहितृ] बेटी, पुत्री ...
  5. The lion and the sword: an ethnological study of Sri Lanka, Asiff Hussein, Lenwood G. Davis, 2001, ISBN 978-955-97262-0-3, ... Sinhala duva 'daughter' and its cognates such as the Bengali duhita, Sanskrit duhitr, Avestan dugdar, Persian dokhtar, Gothic dauhtar, Dutch dochter, German tochter, Lithuanian dukteand Old Prussian duckti ...