शस्त्र उद्योग

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सन १९४४ में कनाडा में तमंचा बनाते हुए श्रमिक

शस्त्र उद्योग (arms industry) हथियार तथा सैन्य प्रौद्योगिकी के निर्माण और विक्रय का वैश्विक उद्योग है। इसमें सरकारी और निजी दोनों ही उद्योग शामिल हैं जो सैनिक सामान, औजार एवं सुविधाओं पर शोध करने, उनका विकास करने, उत्पादन करने और मरम्मत करने का कार्य करती है। शस्त्र उद्योग मुख्यतः विभिन्न देशों की सशस्त्र सेनाओं के लिए हथियार बनाती हैं। शस्त्र उत्पादों में शामिल हैं- बंदूक, गोला-बारूद, मिसाइल, सैनिक वायुयान, सैन्य गाडियां, जलयान, इलेक्ट्रोनिक सामान, एवं एनी बहुत से सामान.

यह जाना माना तथ्य है कि आजकल विश्व भर में कुल लगभग डेढ़ ट्रिलियन डालर सैनिक साज सामान पर खर्च किये जा रहे हैं जो विश्व के कुल उत्पाद का 2.7% है।

इतिहास

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सैन्य उत्पादन भी देखें।

डिट्रॉयट स्थित अमेरिकी सेना के टैंक निर्माणी में M4 टैंकों की असेम्बली

आधुनिक युग के आरम्भिक काल में फ्रांस, यूके, नीदरलैण्ड्स तथा जर्मनी के कुछ राज्य शस्त्र-निर्माण के क्षेत्र में आत्म-निर्भर हो गए। इसके बाद कुशल कर्मिकों का पुर्तगाल और रूस आदि देशों में गमन होने लगा।

आधुनिक शस्त्र उद्योग का जन्म १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ जब पहली विशाल सैन्य-औद्योगिक कम्पनियों का निर्माण और विस्तार हुआ। चूँकि छोटे देश (और नए-नए औद्योगीकृत हुए रूस और जापान भी) अब अपनी स्वदेशी क्षमता के आधार पर सर्वोत्कृष्ट श्रेणी के हथियार बनाने में सक्षम नहीं थे, वे देश युद्धपोत, आर्टिलरी, राइफलें आदि का ठेका इन कम्पनियों को देने लगे।

सन 1854 में ब्रितानी सरकार ने एल्सविक ऑर्डनेन्स कम्पनी को ब्रीच लोडिंग राइफलों के लिए एक ठेका दिया। इससे निजी क्षेत्र को शस्त्र उत्पादन में घुसने में मदद मिली। इस कम्पनी में जो अत्तिरिक्त (सर्प्लस) हथियार बनते थे वे विदेशों को निर्यात होने लगे। इस कम्पनी का मालिक आर्मस्ट्रांग विश्व के प्रथम शस्त्र डीलरों में से एक है। उसके शस्त्र-प्रणालियाँ पूरे विश्व की सरकारें खरीदने लगीं। १८८४ में उसने एल्सविक में युद्धपोत निर्माण में विशेषज्यता अर्जित करने के लिए एक शिपयार्ड खोल लिया। उस समय यह विश्व की एकमात्र कारखाना था जो युद्धपोत बनाकर उसे पूरी तरह से हथियारों से लैस कर सकता था। इस कारखाने ने विश्व की कई जलसेनाओं के लिए युद्धपोत बनाए। इसने शाही जापानी जलसेना के लिए भी युद्धपोत बनाए । सन १९०५ में जापान द्वारा रूस को हराने में आर्मस्ट्रॉंग के बहुत से क्रूजर्स ने महती भूमिका निभायी थी।

प्रशा ने १८६६ में और १८७०-७१ में रक्षा-उद्योग के इस औद्योगिक नवाचार को अपना लिया और क्रमशः आस्ट्रिया एवं फ्रांस को पराजित कर दिया। इस समय तक सेनाओं में मशीन गन का प्रवेश होने लगा था। यह कितना प्रभावी था, इसका पहला उदाहरण १८९९ के बोअर युद्ध में और फिर १९०५ के रूस-जापान युद्ध में देखने को मिला। फिर भी जर्मनी हथियारों में नवाचार के क्षेत्र में जर्मनी अग्रणी था और इसी नवचार के बल पर प्रथम विश्वयुद्ध में मित्रदेशों को पराजित करने के नजदीक पहुँच गया था।

सन १८८५ में फ्रांस ने हथियारों के निर्यात से प्रतिबन्ध हटाने का निर्णय किया। प्रथम विश्वयुद्ध तक फ्रांस हथियारों का उन्मुक्त निर्यात करता रहा। प्रथम विश्वयुद्ध में हुए नरसंहार के बाद शस्त्रों के व्यापारियों को "मृत्यु के व्यापारी" समझा जाने लगा। और उन पर आरोप लगने लगे कि उन्होने अपने शस्त्र-व्यापार को बढ़ाने के लिए इस युद्ध को उकसाया व इसे चलने में मदद की। ब्रिटेन में तो इस आरोप की जाँच भी हुई किन्तु उसे कोई साक्ष्य नहीं मिला।

२०वीं शताब्दी में शस्त्र-व्यापार बहुत अधिक बढ़ गया और इसका उपयोग राजनैतिक हथियार के रूप में भी होने लगा (विशेष रूप से शीत युद्ध के सम्य)। उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ अपन-अपने समर्थक देशों (proxies) को हथियार देने लगे (निक्सन नीति देखिए)।

विश्व के सबसे बड़े शस्त्र निर्यातक

नीचे की सारणी स्टॉकहोम अन्तरराष्ट्रीय शान्ति अनुसन्धान संस्थान (SIPRI) द्वारा अनुमानित आंकड़ों के आधार पर बनी है। इसमें दी गयी संख्याएँ सीधे वित्तीय-प्रवाह को अभिव्यक्त नहीं करतीं क्योंकि सम्बन्धित हथियारों के मूल्य बहुत कम या शून्य भी (सनिक सहायता की स्थिति में) हो सकते हैं। [१]

2018
रैंक
आपूर्तिकर्ता शस्त्र निर्यात
1 साँचा:flag/core 10,508
2 साँचा:flag/core 6,409
3 साँचा:flag/core 1,768
4 साँचा:flag/core 1,277
5 साँचा:flag/core 1,188
6 साँचा:flag 1,083
7 साँचा:flag 1,040
8 साँचा:flag/core 741
9 साँचा:flag 707
10 साँचा:flag/core 611

सन २०१० से २०१४ की तुलना में पिछले पाँच वर्षों में वैश्विक शस्त्र निर्यात में कुल ६% की वृद्धि हुई। यह वृद्धि २००५-२००९ की तुलना में २०% है।[२]

१९५० से १९१७ के बीच विश्व के सबसे बड़े शस्त्र निर्यातक

SIPRI केवल ट्रेन्ड (Trend Indicator Values = TIVs) बताती है। नीचे की सारणी में दी गयी संख्याएँ सैनिक संसाधनों के हस्तानान्तरण को इंगित करते हैं, न कि उनके वित्तीय मान को।[३][४]


1950–2017
रैंक
आपूर्तिकर्ता शस्त्र निर्यात
(in billion TIV)
1 साँचा:US 682,607
2 साँचा:flag/core 141,385
3 साँचा:flag/core 140,057
4 साँचा:flag/core 122,558
5 साँचा:flag/core 86,740
6 साँचा:flag 54,395
7 साँचा:flag/core 32,855
8 साँचा:flag/core 29,329
9 साँचा:flag/core 24,302
10 साँचा:flag 17,457

विश्व के सबसे बड़े शस्त्र आयातक

नीचे दी गयी सारणी में संख्याओं की ईकाई ट्रेन्ड इन्डिकेटर वैल्यू (TIV) मिलियन अमेरिकी डॉलर में है (सन २००९ के मूल्यों के आधार पर)। सम्भव है कि ये संख्याएँ वास्तिक वित्तीय प्रवाह को न दर्शाती हों क्योंकि सैनिक सहायता के मामले में शस्त्र का मूल्य शून्य भी हो सकता है। [५]

2010–2018
रैंक
Recipient शस्त्र आयात
1 साँचा:flag 3,172
2 साँचा:flag/core 1,572
3 साँचा:flag 1,566
4 साँचा:flag/core 1,539
5 साँचा:flag/core 1,484
6 साँचा:flag 1,318
7 साँचा:flag 1,317
8 साँचा:flag/core 1,101
9 साँचा:flag/core 816
10 साँचा:flag/core 777

उल्लेखनीय है कि हथियारों का आयात बहुत अधिक चढता-उतरता रहता है और इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से देश युद्ध करने जा रहे हैं या कौन से युद्ध समाप्त कर रहे हैं।

विश्व के प्रमुख शस्त्र निर्माता

नीचे विश्व के सबसे बड़े शस्त्र निर्माताओं तथा अन्य सैनिक सेवा कम्पनियों की सूची दी गयी है जो युद्ध अर्थव्यवस्था से सर्वाधिक]] लाभ कमातीं हैं। इन कम्पनियों की उत्पत्ति भी दिखायी गयी है। यह सूची SIPRI द्वारा सन २०१९ क लिए दी गयी है।[६] SIPRI द्वारा प्रदत्त आंकडों में चीन में आधारित कम्पनियों को नहीं लिया गया है। संख्याएँ बिलियन अमेरिकी डॉलर में हैं।

रैंक कम्पनी का नाम रक्षा राजस्व
(US$ billions)
रक्षा से प्राप्त कुल
राजस्व का %
1 साँचा:flagicon लॉकहेड मार्टिन 47.2 88%
2 साँचा:flagicon बोइंग 29.1 29%
3 साँचा:flagicon नॉर्थरॉप ग्रुमान 26.1 87%
4 साँचा:flagicon रेथिऑन 23.4 87%
5 साँचा:flagicon जनरल दाइनेमिक्स 22.0 61%
6 साँचा:flagicon BAE Systems 21.2 95%
7 साँचा:flagicon एयरबस 11.6 15%
8 साँचा:flagicon Leonardo 9.8 68%
9 साँचा:flagicon Almaz-Antey 9.6 98%
10 साँचा:flagicon थेल्स समूह 9.4 50%

शस्त्र नियंत्रण

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सन्दर्भ

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  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  5. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ