विराट् रामायण मंदिर
विराट् रामायण मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
ज़िला | पूर्वी चम्पारण |
देश | भारत |
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वास्तु विवरण | |
प्रकार | खमेर हिन्दू वास्तुकला से प्रेरित |
निर्माता | साँचा:if empty |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
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वेबसाइट | |
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विराट् रामायण मंदिर, बिहार के पूर्वी चम्पारण के चकिया - केसरिया नगर के निकट जानकीपुर में बन रहा एक आगामी मंदिर है जिसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति (महावीर मंदिर न्यास) नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है। कम्पूचिया के अंकोरवाट की रचना की तर्ज पर आधारित इस मंदिर को अंकोरवाट की दुगनी ऊँचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है। इस मंदिर-समूह में कुल १८ देवताओं के मंदिर होंगे जिनमें मुख्य आराध्य भगवान राम होंगे। आकार में इस मंदिर का प्रमुख शिखर अंकोरवाट (जो २१५ फ़ुट ऊंचा है) से करीब दुगना, ४०५ फ़ुट ऊंचा होगा। साथ ही, यह २०० एकड़ के क्षेत्र पर फैला होगा। इस आकार के साथ, पूर्ण होने पर यह विश्व की सबसे बड़ा धार्मिक संरचना होगी। इस निर्माणकार्य की कुल लागत ₹५०० करोड़ होगी।
स्थिति
यह मंदिर पूर्वी चंपारण के केसरिया में स्थित है। इसकी सटीक निर्दिस्थिती, केसरिया के निकट जानकी नगर में बहुआरा काठवलिया गाँवों में केसरिया-चईका सड़क पर है। यह स्थल वैशाली से ६० किलोमीटर और पटना से करीब १२० किलोमीटर की दूरी पर है।[१][२]
आकार एवं निर्दिष्टीकरण
योजनानुसार इस मंदिर को मुख्यतः कम्पूचिया के अंकोर वाट मंदिर की अनुकृति के रूप में बनाया जा रहा है, परंतु यह अंगकोर वात का तथस्त प्रतिरूप (हूबहू नकल) नहीं होगा, इसकी रूपाकृति को अंकोरवाट, रामेश्वरम और मीनाक्षी मंदिरों के तत्वों से प्रेरित होकर बनाया जाएगा। १३ नवम्बर २०१३ को बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इस मंदिर के भावी प्रतिरूप का अनावरण किया था। आकार में यह अंगकोर वात का दुगना होगा। इसके पूरे परिसर की लम्बाई २८०० फ़ीट, और चौड़ाई १४०० फ़ीट होगी और मुख्य शिखर की ऊँचाई ४०५ फ़ीट होगी। इस परियोजना का कुल क्षेत्रफल ३९,२०,००० वर्ग फ़ीट (यानी करीब २०० एकड़) होगी। इस पूरे मंदिर-समूह में कुल १८ गर्भ गृह होंगे, जिनमें केन्द्रीय शिखर के नीचे भगवान राम, उनकी सहचारिणीं सीता एवं लव और कुश की प्रतिमाएं विराजमान की जाएंगी। इस मुख्य गृह के समक्ष २०,००० लोगों की आयतन वाला एक विशाल प्रार्थना मंडप भी होगा। साथ ही इस मंदिर में ३३ फुट ऊंचा, विश्व के बृहदतम् शिवलिंग को स्थापित करने की भी योजना है। इस पूरे परियोजना की लागत ५०० करोड़ रुपय है।
नामकरण
संकल्पतः प्राथमिक तौर पर इस मंदिर का नाम विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था। इसकी योजना के आन्वरण एवं प्रचलित चर्चा होने के बाद, कम्बोडियाई सरकार ने इस मंदिर के नाम को असल अंगकेर वात की नकल होने पर भारत सरकार से आपनी आपत्ति व चिन्ता जताई। इसके बाद भारत सरकार द्वारा रोक के पश्चात इस मंदिर के नाम को बदल कर इसे विराट रामायण मंदिर का नाम दे दिया गया।[३][४]
पृष्ठभूमि
इस पूरी परियोजना के सूत्रधार आचार्य किशोर कुणाल हैं, जो पटना के महावीर मंदिर न्यास (ट्रस्ट) के सिचिव एवं बिहार राज्य धार्मिक नायास बोर्ड के आध्यक्ष हैं। महावीरस्थल न्यास समिति, जो पटना के महावीर मंदिर में आधारित है, की प्राथमिक योजना गंगा-पार, हाजीपुर में विराट अंकोरवात मंदिर, नामक एक भव्य मंदिर बनाने की थी, जिस्का आकार, संकल्पतः, असल मंदिर का दुगना हो। इसी संदर्भ में न्यास ने कुछ भूमी अधीगृत की च्येठटा में थी।[५] इसी बीच न्यास ने पूर्वी चंपारण में १६१ एकड़ भूमी अधीगृत कर ली, जिसके बाद १२० कीलोमीटर दूर चंपारण में इस भव्य विराटाकार धर्मालय बलाने की परियोजना तईयार की गई। कम्बोडियाई सर्कार द्वारा जताई गई आपत्ति और चिंता के बाद सरकार ने इसे अंग्कोर की हूबहू नकल बनाने से मना कर दिया। नए मंदिर के प्रतिरूप की अनावरण मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने १३ नवम्बर २०१३ को किया था।[६][७]
विरोध
कम्पूचिया (कम्बोडिया) का अंकोरवाट विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर, सबसे बड़ा धर्मस्थल, सबसे सूप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। उसकी भव्यता एवं गौरव को देखने के लिए वहां हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। साथ ही वह कम्बोडिया के लिये विदेशी मुद्रा कमाने का एक प्रमुख स्रोत भी है। भारत में इसका प्रतिरूप बनने से कम्बोडियाई सरकार को इस बात से चिन्ता थी की इससे अंकोरवाट की लोकप्रियता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसी करण कम्बोडियाई सरकार इस मंदिर के निर्माण का विरोध कर रही है। इस विरोध के उत्तर में भारत सरकार के निर्देशतः मंदिर के नाम समेत, इस परियोजना में अन्य काफी बदलाव भी किये गए हैं।[८]
वर्तमान स्थिति
यह मंदिर निर्माणाधीन है। मंदिरनिर्मिण का कार्य जून २०१५ को शुरू हो गया था।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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