ला. स. रामामृतम्

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ला. स. रामामृतम्
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लालगुडि सप्तऋषि रामामृतम् (1916 – 29 अक्टूबर 2007) एक वरिष्ठ तमिल उपन्यासकार थे। उन्होंने 300 लघुकथाएँ, 6 उपन्यास और 10 निबन्ध संग्रह लिखे हैं। 29 अक्टूबर 2007 को अपने इक्यानवेवें जन्मदिन पर उनका निधन हो गया।[१] इनके द्वारा रचित एक संस्मरण चिन्तानदी के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[२]

प्रारम्भिक वर्ष

वे 1916 में जन्मे, तथा लालगुडि के मूलनिवासी थे। वे मणिकोडि युग के लेखकों में से एक थे। उन्होंने तब लिखना शुरू किया जब वे बीस वर्ष के थे। पहले उन्होंने अंग्रेज़ी में लिखा बाद में तमिल की ओर मुड़ गये। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में तीस वर्षों तक कार्य किया तथा सेवानिवृत्ति के बाद चेन्नई में बस गये[१] ल.स.र. ने तीन साल तक वौहिनी पिक्चर्स में टंकणज्ञ के तौर पर कार्य किया, जिसने तब कुछ प्रमुख तेलुगु फ़िल्मों जैसे वन्दे मातरम्, सुमंगली और देवता का निर्माण किया। तब दक्षिण भारतीय फ़िल्म निर्देशक के.रामनोथ ने उनसे अनुरोध किया कि वे अपनी प्रतिभा को बर्बाद न होने दें, यानी यह इशारा किया कि फ़िल्मों में कैरियर बनाने की उनकी उम्मीद उतनी लाभप्रद नहीं होगी। अन्ततः वे एक बैंककर्मी बन गये परन्तु लेखन जारी रखा।[३]

1989 में उन्हें चिन्तानदी नामक आत्मकथात्मक निबन्धों के संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[४]

सन्दर्भ

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