लालकुआँ
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लालकुआँ जंक्शन रेलवे स्टेशन | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | नैनीताल ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ७,६४४ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, कुमाऊँनी |
पिनकोड | 262402 |
वाहन पंजीकरण | UK 04 |
लालकुआँ (Lalkuan) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है। लालकुआँ हल्द्वानी महानगर से सटा दक्षिण में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल के अंतर्गत आता है। लालकुआँ बिड़ला समूह की एक बड़ी पेपर मिल (सेंचुरी पल्प एंड पेपर) के लिए प्रसिद्ध है।[१][२][३]
इतिहास
जहां अब लालकुआँ नगर है, वह क्षेत्र पहले घना जंगल था। वर्ष १९२७ में जंगल को काटकर लोगों ने बसना शुरू किया। स्वतन्त्रता के बाद से ही स्थानीय लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार से इसे राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग करना शुरू कर दिया। २३ दिसंबर १९७५ को लालकुआँ को राजस्व ग्राम घोषित किया गया। १९७८ में नगर के सर्वेक्षण एवं अभिलेखन की कार्यवाही शुरू की गयी, जिसमें यहां रहने वाले लोगों को खतौनी पर्ची दी गई, लेकिन अचानक उसे निरस्त कर दिया गया। १९७८ में ही लालकुआँ को नगर पंचायत का दर्जा भी दे दिया गया। राज्य गठन के बाद ३० जुलाई २००५ को उत्तराखंड सरकार ने नगर का पुन: सर्वे कराया। जिसमें नगर की पूरी भूमि का नक्शा, क्षेत्रफल, खसरा तैयार किया गया।[४]
भूगोल
लालकुआँ २९.०६७६१८°N ७९.५१८१८८°E के निर्देशांकों पर स्थित है।[५] समुद्र तल से इसकी ऊंचाई २६० मीटर है।[६] यह राष्ट्रीय राजमार्ग १०९ पर हल्द्वानी से १६ किलोमीटर, रुद्रपुर से २४ किलोमीटर, पंतनगर विमानक्षेत्र से ६ किलोमीटर तथा बरेली से ८० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
जनसांख्यिकी
२०११ की जनगणना के अनुसार लालकुआँ की जनसंख्या ७,६४४ है जिसमें से ४,१९० पुरुष हैं जबकि ३,४५४ महिलाएं हैं।[७] ०-६ वर्ष की उम्र वाले बच्चों की संख्या १०१७ है जो कुल आबादी का १३.३०% है।[७] नगर का लिंग अनुपात ८२४ महिलाएं प्रति १००० पुरुष है।[७] नगर की साक्षरता दर ८३.०८% है।[७] पुरुषों में साक्षरता लगभग ८८.७९% है जबकि महिलाओं में साक्षरता दर ७६.०५% है।[७]
चित्र दीर्घा
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
- ↑ "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
- ↑ नेगी, राजेश (१८ फरवरी २०१६) पांच दशक से नहीं मिला मालिकाना हक स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. नैनीताल:अमर उजाला. अभिगमन तिथि: २४ अप्रैल २०१८
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
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