रुस्तम (फ़िल्म)
रुस्तम | |
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निर्देशक | टीनू सुरेश देसाई |
निर्माता |
नीरज पांडे अरुणा भाटिया नित्तिन केनी आकाश चावला वीरेंद्र अरोड़ा ईश्वर कपूर शीतल भाटिया |
पटकथा | विपुल के॰ रावल |
कहानी | विपुल के॰ रावल |
आधारित | के॰ एम॰ नानावती स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र |
अभिनेता |
अक्षय कुमार इलियाना डी'क्रूज़ अर्जन बाजवा ईशा गुप्ता |
संगीतकार |
अंकित तिवारी जीत गांगुली राघव सच्चर अर्को प्रवो मुखर्जी |
छायाकार | सन्तोष ठुण्डीयिल |
स्टूडियो |
ज़ी स्टूडियो कृअर्ज एंटरटेनमेंट केप ऑफ़ गुड फ़िल्म्स फ़्राइडे फायरवर्क्स |
वितरक | ज़ी स्टूडियो |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
रुस्तम (अंग्रेजी :Rustom) वर्ष २०१६ की एक भारतीय हिन्दी भाषी फ़िल्म है जिनका निर्देशन टीनू सुरेश देसाई ने किया है जबकि फ़िल्म के लेखक विपुल के॰ रावल है। फ़िल्म में मुख्य किरदार अक्षय कुमार तथा इलियाना डी'क्रूज़ है।[१] यह फ़िल्म एक सत्य घटना के विषय पर है, जो महाराष्ट्र के एक नेवी अधिकारी के॰ एम॰ नानावती पर आंशिक तौर पर आधारित है।[२][३] फ़िल्म सिनेमाघरों में १२ अगस्त २०१६ को प्रदर्शित होगी। [४][५]
सारांश
सन् १९५० के दशक दौरान, नौसेना का अफसर रुस्तम पावरी (अक्षय कुमार) अपनी पत्नी सिंथिया पावरी (इलियाना डीक्रुज़) के साथ एक खुशहाल वैवाहिक जीवन बीताता है। उनकी शादी में भूचाल तब मचता है जब रुस्तम को अपनी पत्नी का संबंध उसके दोस्त विक्रम मखिजा (अर्जन बाजवा) साथ चलने की बात मालूम होती है। इसका पता उसे सिंथिया के कपबाॅर्ड पर रखी विक्रम के खत से होती है, रुस्तम दोनों को एकसाथ देख भी लेता है। वह बड़ी बेचैनी से सिंथिया के घर लौटने तक इंतजार करता है और फिर वह उन प्रेम पत्रों को उसके सामने रखता है, मगर सिंथिया के कुछ भी बयान से पहले वह बाहर चला जाता है। रुस्तम नौसेना जहाज के शस्त्रागार से एक पिस्तौल निकालता है और दिल्ली को एक ट्रंक काॅल कराता है। इसके बाद, वह विक्रम से मिलने उसके दफ़्तर हो आता है, फिर उसके घर को निकलता है। जहाँ रुस्तम सीधे विक्रम के शयनकक्ष में दाखिल होता है, उसके नौकर को वह तीन गोलियों के धमाके सुनाई पड़ते हैं और वह कमरे की ओर भागता है, वहाँ सिर्फ उसे पूल पर खुन में तर हुए विक्रम की लाश बिछी मिलती है और रुस्तम अपने हाथों में पिस्तौल थामे चल पड़ता है। रुस्तम तत्काल ही खुद को पुलिस के सुपुर्द करता है और इंस्पेक्टर विन्सेंट लोबो (पवन मल्होत्रा) इस मामले की तफ्तीश शुरू करता है।
विक्रम की बहन प्रिति मखिजा (इशा गुप्ता) शहर के सबसे काबिल वकील लक्ष्मण खनगानी (सचिन खेड़ेकर) से रुस्तम को कड़ी से कड़ी संभव सजा दिलवाने के लिए नियुक्त करती है। वहीं स्थानीय अखबार ट्रुथ के प्रकाशक इस खबर को सनसनीखेज बनाने में जुट जाते हैं, जिससे शहर के लोगों में यह कौतहुल का विषय बन जाता है। नौसेना के आला अफसर और पुलिस उनकी जमानत तक देने के समर्थन में उतर जाते है तो दूसरी तरफ पारसी समुदाय के लोग सहायतार्थ के लिए एक बेहतर बचाव के वकील देने की सिफारिश करते हैं। रुस्तम तब सभी से मिली मदद को इंकारते है और अपने बलबूते इस के मुद्दे से लड़ने का निश्चय करते हैं। इस बीच ट्रुथ अखबार के मुख्य संपादक, इराच बिलीमोरिया (कुमुद मिश्रा) जनता के समक्ष रुस्तम के प्रति सहानुभूति दिलाते है, तो रुस्तम के वरिष्ठ अफसर प्रशांत कामत (परमीत सेठी) अपने दो टोहियों को उसके घर जरूरी दस्तावेजों को ढुंढ़नें भेजते हैं, मगर उनके हाथ कुछ नहीं मिलता। घबराई हुई सिंथिया जेल में बंद रुस्तम से मिलती है, मगर तब भी वह उससे कोई बात नहीं करता। आखिर में रुस्तम उससे मिलता है और सिंथिया की आपबीती सुनता है, कि किस कदर रुस्तम के महीनों बाहर लंदन चले जाने बाद एकांकी और उदास थी। जिसके अकेलेपन का फायदा विक्रम ने उठाया और सिंथिया को अपने मोहपाश में बांधा,मगर विक्रम की हत्या बाद सिंथिया पहले ही टूट चुकी थी जब उसने पहले ही शादी करने से मना कर दिया था।
रुस्तम की हिदायत पर, सिंथिया को वह नेवी अफसर प्रशांत कामत उस दस्तावेज को सौंपने पर बदले में पाँच करोड़ देने के लिए ब्लैकमेल करता है। कचहरी में सुनवाई दरम्यान, रुस्तम अप्रत्याशित तौर जज के समक्ष किसी तरह की दोष पर पैरवी ना करने का निवेदन करता है, यह मामला तब न्यायपीठ के परिक्षण को दिया जाता है। अंततः इस मामले की जड़ में कमाण्डर रुस्तम द्वारा विक्रम को गोली मारने की वजह "उत्तेजना में हुआ अपराध" अथवा इसे एक पूर्वनियोजित हत्या को करार करते हैं।
भूमिकाएँ
- अक्षय कुमार[१] - कमाण्डर रुस्तम पावरी
- इलियाना डी'क्रूज़[१] - सिंथिया रुस्तम पावरी
- ईशा गुप्ता [१] - प्रिति मखिजा
- अर्जन बाजवा[१] - विक्रम मखिजा
- पवन मल्होत्रा - इंस्पेक्टर विन्सेंट लोबो
- उषा नडकरणी - जमनाबाई
- सचिन खेड़ेकर - जनता अभियोक्ता लक्ष्मण खंगानी
- कुमुद मिश्रा - इराच बिलीमोरिया
- अनंग देसाई - जज
- परमीत सेठी - रियर एडमिरल प्रशांत कामत
- कंवलजीत सिंह - रक्षा सचिव के.जी. बख्शी
- ब्रिजेन्द्र काला - हेड कांस्टेबल
संगीत
रुस्तम के रचनाकार अर्को प्रवो मुखर्जी ,राघव सच्चर ,अंकित तिवारी और जीत गांगुली है जबकि गीत मनोज मुन्ताशिर के है।
फ़िल्म का पहला गाना तेरे संग यारा है जो आतिफ़ असलम ने गाया है। जो ०६ जुलाई २०१६ को प्रदर्शित किया गया।[६]
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "तेरे संग यारा" | मनोज मुंताशिर | अर्को प्रवो मुखर्जी | आतिफ़ असलम | 04:50 |
2. | "रुस्तम वही" | मनोज मुन्ताशिर | राघव सचार | सुकृति कक्कड़ | 03:20 |
3. | "तय है" | मनोज मुन्ताशिर | अंकित तिवारी | अंकित तिवारी | 03:48 |
4. | "देखा हजारो दफा" | मनोज मुन्ताशिर | जीत गांगुली | अरिजीत सिंह, पलक मुच्छल | 03:30 |
5. | "ढल जाऊं मैं" | मनोज मुन्ताशिर | जीत गांगुली | जुबिन नौटियाल, आकांक्षा शर्मा | 04:53 |
6. | "जब तुम होते हो" | मनोज मुन्ताशिर | अंकित तिवारी | श्रेया घोषाल | 04:18 |
7. | "रुस्तम वही थीम" | राघव सचार | 01:23 | ||
8. | "रुस्तम वही मराठी" | मनोज मुन्ताशिर | राघव सचार | जसराज जयंत जोशी | 03:07 |
9. | "रुस्तम पुरूष" | मनोज मुन्ताशिर | राघव सचार | जसराज जयंत जोशी | 03:10 |
10. | "तेरे बिन यारा (रीप्राइज़)" | मनोज मुन्ताशिर | अर्को प्रवो मुखर्जी | अर्को प्रवो मुखर्जी | 03:46 |
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियां
- रुस्तम (फ़िल्म) फेसबुक पर
- ट्विटर पर रुस्तम