राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान
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गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान | |
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चित्र:GBPIHED Logo.png | |
स्थापित | 1988 |
मान्यता/सम्बन्धता: | भारतीय वानिकी संस्थान |
अवस्थिति: | अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड, भारत
(29°38'23.5"N 79°37'22.9"E) |
गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान (जीबीपीएनआईएचईएसडी) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा नगर में स्थित एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना १९८८-८९ में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार के संस्थान के रूप में की गई थी। इसकी पहचान वैज्ञानिक ज्ञान को उन्नत करने, एकीकृत प्रबंधन रणनीति तैयार करने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने और संपूर्ण भारतीय हिमालय क्षेत्र (आईएचआर) में पर्यावरण की दृष्टि से ठोस विकास सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में की गई है।
यह संस्थान सामाजिक, पारिस्थितिक, आर्थिक और भौतिक प्रणालियों के बीच के जटिल संबंधों में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है, जिससे भारतीय हिमालय क्षेत्र (आईएचआर) में स्थिरता बनाई रखी जा सके। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए संस्थान प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के पारस्परिक संबंधों पर जोर देते हुए अपने सभी अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों में बहु-विषयक और समग्र दृष्टिकोण का अनुसरण करता है। इस प्रयास में नाजुक पर्वतीय पारितंत्रों, ज्ञान प्रणालियों और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के संरक्षण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। विभिन्न कार्यक्रमों की दीर्घकालिक स्वीकार्यता और सफलता के लिए स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चितत करने के लिए एक सार्थक प्रयास किया जाता है। विभिन्न हितधारकों के लिए प्रशिक्षण,पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता संस्थान के सभी अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों के आवश्यक घटक हैं।
संस्थान के मुख्यालय अल्मोड़ा में स्थित हैं, और इसके अतिरिक्त इसकी पांच अन्य इकाईयां गढ़वाल (श्रीनगर), हिमाचल (कुल्लू), सिक्किम (गंगटोक), पूर्वोत्तर (ईटानगर) तथा पर्वतीय प्रभाग (नई दिल्ली) हैं।